केवल वित्तपोषण ही नहीं, बल्कि मार्गदर्शन भी स्टार्टअप्स की अगली पीढ़ी को आकार देगा: डॉ. जितेंद्र सिंह
भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF) में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्टार्टअप्स भारत के भविष्य के विकास की प्रमुख शक्ति हैं। उन्होंने जोर दिया कि केवल वित्तपोषण ही नहीं, बल्कि मजबूत मार्गदर्शन और अनुसंधान में जोखिम उठाना भी आवश्यक है। मंत्री ने बताया कि सरकार स्टार्टअप्स को उद्योग भागीदारों, वित्त पोषण और मेंटर्स से जोड़ने के लिए सहायक तंत्र तैयार कर रही है। नियामक बोझ कम करने, लाइसेंस समाप्त करने और प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में सुधार जारी हैं। उन्होंने कहा कि नवाचार तभी आगे बढ़ेगा जब युवा डर के बजाय प्रयोग और शोध को अपनाएंगे।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्टार्टअप्स को भारत के भविष्य के विकास का एक प्रमुख चालक बताते हुए कहा कि केवल वित्तपोषण ही नहीं, बल्कि मार्गदर्शन भी स्टार्टअप्स की अगली पीढ़ी को आकार देगा।मंत्री ने आज यहां भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) में उद्यमियों और छात्रों के साथ बातचीत करते हुए मजबूत मार्गदर्शन, अनुसंधान में जोखिम उठाने और युवा नवप्रवर्तकों को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया।
महोत्सव के दूसरे दिन “स्टार्टअप जर्नी” पर एक पैनल चर्चा के दौरान, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत विज्ञान शिक्षा तक सीमित पहुंच जैसी स्थिति से एक ऐसे चरण में पहुंच गया है जहां अवसरों का लोकतांत्रिकीकरण हो रहा है तथआ छोटे शहरों एवं सामान्य पृष्ठभूमि की प्रतिभाओं को उद्यमिता का अवसर प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान नीतिगत मुद्दों से हटकर विचारों को बाज़ार से जोड़ने वाले सहायक तंत्रों के निर्माण पर केंद्रित हो गया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निरंतर प्रयासों से बार्क, राष्ट्रीय मिशन और क्षेत्र-विशिष्ट कार्यक्रमों जैसे योजना बनाने में मदद मिली है, जो स्टार्टअप्स को वित्त पोषण, उद्योग भागीदारों एवं मार्गदर्शकों से जोड़ते हैं। इस बात पर बल देते हुए कि नवाचार में अनिवार्य रूप से विफलता शामिल होती है, उन्होंने कहा कि अगर स्टार्टअप्स को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ना है और प्रतिस्पर्धा करनी है, तो भारत को अनुसंधान एवं विकास में जोखिम की पहचान एवं स्वीकार करना सीखना होगा।
मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे विज्ञान की प्रगति से भारत में रोज़मर्रा की ज़िंदगी बदल गई है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा प्रौद्योगिकियों एवं जैव प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति का हवाला दिया जो एक समय में केवल विदेशों में ही सुलभ थी। व्यापक समानता का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि आज देश न केवल वैश्विक प्रौद्योगिकियों को अपना रहा है बल्कि जीवन विज्ञान से लेकर डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म तक, सभी क्षेत्रों में मौलिक समाधानों में तेजी से योगदान भी दे रहा है।
युवा उद्यमियों, जिनमें से कई छात्र थे, के सवालों का जवाब देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्टार्टअप शुरू करने से पहले उद्देश्य एवं योग्यता के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि युवा नवप्रवर्तकों को अपनी ताकत समझने, विचारों को निखारने और आम गलतियों से बचने में मदद करने के लिए शुरुआती स्तर पर मार्गदर्शन बहुत आवश्यक है। सरकारी पहलों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि छात्रों, विशेषकर लड़कियों के लिए बनाए गए कार्यक्रमों का विस्तार किया जा रहा है ताकि प्रतिभा की जल्द पहचान हो सके और उन्हें व्यवस्थित मार्गदर्शन प्राप्त हो सके।
प्रतिभागियों द्वारा उठाई गई नियामक चिंताओं पर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार धीरे-धीरे उद्यमियों पर बोझ कम करने के लिए विनियमन में ढील, लाइसेंस खत्म करने एवं अपराधमुक्त करने की दिशा में बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इन सुधारों का उद्देश्य स्टार्टअप्स को अनुपालन के बजाय नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने देना साथ ही जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
कार्यक्रम में स्टार्टअप संस्थापकों एवं वरिष्ठ प्रशासकों ने अपना अनुभव भी साझा किया, जिनमें स्वास्थ्य सेवा और जैव प्रौद्योगिकी में प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों का उदाहरण शामिल था जो वंचित आबादी तक पहुंच रहे हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने इन अनुभवों का स्वागत किया और कहा कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी भारत की नवाचार रणनीति का केंद्रबिंदु बनी हुई है।
अपनी वक्तव्य को समाप्त करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आईआईएसएफ जैसे मंच नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों एवं महत्वाकांक्षी उद्यमियों को एक साथ लाने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों में जिज्ञासा जगाना एवं उन्हें प्रश्न पूछने का आत्मविश्वास देना, वित्त पोषण या अवसंरचना जितना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत अपने नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को 2047 के लिए निर्धारित लक्ष्यों के लिए तैयार कर रहा है।
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