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नेपाल में राजनीतिक भूचाल: राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दिया इस्तीफ़ा, सेना की अपील के बावजूद हिंसा जारी

केपी शर्मा ओली ने मंगलवार दोपहर अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल को सौंपा

काठमांडू। नेपाल इन दिनों गहरे राजनीतिक संकट और जनविद्रोह से जूझ रहा है। सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से भड़की “जनरेशन-ज़ेड” की लहर ने न सिर्फ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद छोड़ने पर मजबूर कर दिया, बल्कि मंगलवार देर रात राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। लगातार बढ़ती आगजनी और तोड़फोड़ के बीच नेपाली सेना ने देशवासियों से शांति बनाए रखने की अपील की है, लेकिन हालात अब भी नियंत्रण से बाहर हैं।

आगजनी और तोड़फोड़ थमने का नाम नहीं

काठमांडू की सड़कों पर हजारों प्रदर्शनकारी अब भी डटे हैं। संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति भवन के बाहर जमकर आगजनी की गई। कई मंत्रियों और सांसदों के आवासों को भी निशाना बनाया गया। सरकारी गाड़ियों और पुलिस चौकियों में तोड़फोड़ की घटनाएं लगातार जारी हैं। राजधानी सहित कई बड़े शहरों में कर्फ्यू लागू है, फिर भी युवा भीड़ सुरक्षाबलों की हर नाकेबंदी तोड़ रही है।

पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी की मौत

हिंसा के इस दौर में एक और बड़ी खबर सामने आई है। नेपाल के एक पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी की मौत प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई आगजनी के दौरान हो गई। इस घटना ने लोगों के आक्रोश को और बढ़ा दिया है।

कर्फ्यू और हवाई सेवाएं बंद

स्थिति बिगड़ने पर सुरक्षा बलों को कर्फ्यू लागू करना पड़ा। काठमांडू एयरपोर्ट से सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को अस्थायी तौर पर रद्द कर दिया गया। पुलिस और सुरक्षाबलों की कड़ी तैनाती के बावजूद विरोध की लहर थमती नहीं दिखी।

प्रधानमंत्री ओली कहां हैं?

प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद केपी शर्मा ओली कहां हैं, इसको लेकर सस्पेंस बरकरार है। सूत्रों के मुताबिक, ओली ने सुरक्षा कारणों से अपना आधिकारिक निवास छोड़ दिया है। यह चर्चा तेज है कि वे या तो सेना की सुरक्षा घेरे में हैं या देश से बाहर जाने की तैयारी कर रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि ओली “भागने की फिराक” में हैं।

मंत्रियों और सांसदों का सामूहिक इस्तीफ़ा

अब तक गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी और स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल के साथ 20 से अधिक सांसद अपने पदों से इस्तीफ़ा दे चुके हैं। इन नेताओं ने अपने त्यागपत्र में साफ लिखा है कि सरकार ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ दमन का रास्ता चुना, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

सेना की अपील

बिगड़ते हालात पर नेपाली सेना ने विशेष बयान जारी कर नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की है। सेना ने कहा है कि “नेपाल की एकता और लोकतंत्र को बचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।” हालांकि सेना की इस अपील का सड़कों पर ज्यादा असर देखने को नहीं मिल रहा है।

जनाक्रोश की जड़

नेपाल सरकार ने हाल ही में फेसबुक, यूट्यूब, व्हाट्सएप और एक्स (ट्विटर) समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस फैसले ने युवाओं को गुस्से से भर दिया। इसे भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी के खिलाफ पहले से simmer कर रहे असंतोष की चिंगारी मानकर लाखों युवा सड़कों पर उतर आए। देखते ही देखते आंदोलन हिंसक रूप ले बैठा और यह अब नेपाल के इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक संकट बन चुका है।

माहौल तनावपूर्ण, भविष्य अनिश्चित

फिलहाल काठमांडू और आसपास के इलाकों में तनाव चरम पर है। त्रिभुवन एयरपोर्ट बंद है, सड़कों पर सेना और पुलिस का कब्ज़ा है, लेकिन प्रदर्शनकारी हर जगह डटे हैं। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों के इस्तीफ़े के बाद नेपाल का राजनीतिक भविष्य अनिश्चित हो गया है। देश में सत्ता का अगला स्वरूप क्या होगा, इस पर अभी कोई स्पष्टता नहीं है।

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