अनुकरणीय आचरण करें सांसद: धनखड़
नयी दिल्ली : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सांसदों से अनुकरणीय आचरण करने का आह्वान करते हुए कहा है कि यदि संसद संवाद और बहस का केंद्र नहीं बनी रही तो यह अप्रासंगिक हो जाएगी।श्री धनखड़ ने गुरुवार को यहां भारतीय वन सेवा के परिवीक्षार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि संसद संवाद, विचार विमर्श और बहस का स्थान है। उन्होंने कहा, “अगर संसद संवाद, बहस और चर्चा का केंद्र नहीं बनी रही और अगर लोगों के मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया तो संसद अप्रासंगिक हो जाएगी। इस तरह का पतन हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करेगा।
”उपराष्ट्रपति ने सभी राजनीतिक दलों से भारतीय संविधान को अंगीकार करने के बाद से एक सदी के अंतिम चौथाई में प्रवेश करने के महत्व पर जोर देने की अपील की।श्री धनखड़ ने कहा कि विकास या पर्यावरण संबंधी मुद्दों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।उन्होंने जोर देकर कहा , “अगर हम राष्ट्रीय सुरक्षा या विकास के मुद्दों को राजनीतिक चश्मे से देखना शुरू करते हैं, तो हम संविधान की शपथ के प्रति सच्चे नहीं हैं। इसके लिए हम सभी को राष्ट्रवाद के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता रखने की आवश्यकता है। हमें हमेशा राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखना होगा।
”उपराष्ट्रपति ने कहा , “हम अमृत काल में हैं और वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनने की राह पर हैं। पूरा देश इस महान लक्ष्य को हासिल करने के लिए उत्साहित है। चुनौती कठिन है, लेकिन हासिल की जा सकती है। वर्तमान में, हम पांच वीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था हैं, जो जापान और जर्मनी से आगे तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। इसे हासिल करने के लिए हमें अपनी आय को आठ गुना बढ़ाना होगा। हर सांसद को लोगों की आकांक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और देश के सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़कर काम करना चाहिए।” (वार्ता)
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