इसरो और एआरआईईएस के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
भारत के पहले सौर अंतरिक्ष मिशन से प्राप्त होने वाले आंकड़ों को सुलभ बनाने कम्युनिटी सर्विस सेंटर की स्थापना
नई दिल्ली । भारत के पहले सौर अंतरिक्ष मिशन से प्राप्त होने वाले आंकड़ों को एक वेब इंटरफेस पर इकट्ठा करने के लिए एक कम्युनिटी सर्विस सेंटर की स्थापना की गई है, ताकि उपयोगकर्ता इन आंकड़ों को तत्काल देख सकें और वैज्ञानिक आयाम से उसका विश्लेषण कर सकें।
आदित्य L1 सपोर्ट सेल (एएल1एससी) के नाम सेतैयार किया गया यह सर्विस सेंटर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत स्वायत्त संस्था आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंस (एआरआईईएस)का संयुक्त प्रयास है। इस केंद्र का उपयोग अतिथि पर्यवेक्षकों (गेस्ट ऑब्जर्वर) द्वारा वैज्ञानिक आंकड़ों के विश्लेषण और विज्ञान पर्यवेक्षण प्रस्ताव तैयार करने में किया जाएगा।
एएल1एससी की स्थापना एआरआईईएस के उत्तराखंड स्थित हल्द्वानी परिसर में किया गया है, जो इसरो के साथ संयुक्त रूप काम करेगा ताकि भारत के पहले सौर अंतरिक्ष मिशन आदित्य L1 से मिलने वाले सभी वैज्ञानिक विवरणों और आंकड़ों का अधिकतम विश्लेषण (उपयोग) किया जा सके।
यह केंद्र छात्रों और विभिन्न अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों, विद्यालयों इत्यादि के शिक्षकों तथा आदित्य L1पेलोड टीम एवं खगोल जगत के अनुसंधान से जुड़ी कम्युनिटी के बीच एक ज्ञान वाहक तंत्र के रूप में काम करेगा। इस केंद्र से यह अपेक्षा है कि यह आदित्य L1 पर्यवेक्षण के लिए पर्यवेक्षण प्रस्ताव तैयार करने में अतिथि पर्यवेक्षकों और शोधकर्ताओं के लिए विशेष प्रारूप विकसित करेगा और उनकी सहायता करेगा साथ ही वैज्ञानिक आंकड़ों के रखरखाव के लिए आवश्यक विश्लेषक सॉफ्टवेयर के प्रारूप तथा उसके विकास में इसरो की सहायता करेगा।
यह केंद्र दुनिया की अन्य वेधशाला से भी जुड़ेगा और सौर मिशन से जुड़े आंकड़े उपलब्ध कराएगा, जो आदित्य L1 से प्राप्त होने वाले विवरण में पूरक हो सकते हैं और उपयोगकर्ताओं को आदित्य L1 की अपनी क्षमताओं से आगे का वैज्ञानिक लक्ष्य प्राप्त करने योग्य बना सकते हैं।
अन्य वेधशालाओं से प्राप्त होने वाले आंकड़े सूर्य के स्वरूप संबंधी ज्ञान का आधार तैयार करने में मददगार हो सकते हैं,जिसमें सूरज की सतह से लेकर हेलियो स्फीयर तक के विवरण का सारांश शामिल हो सकता है। यह ज्ञान का आधार वैज्ञानिक समुदाय के लिए सूर्य की सतह और हेलियोस्फीयर की परस्परिक संरचना को आपस में जोड़कर उसका अध्ययन करने में काफी सहायक हो सकता है।
इस केंद्र एएल1एससीके अलावा डेटा विश्लेषण और पर्यवेक्षण प्रस्ताव तैयार करने के उद्देश्य से क्षमता निर्माण हेतु राष्ट्रीय उपयोगकर्ताओं के लिए पाक्षिक प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसी क्रम में भारत के विभिन्न स्थानों पर 2-3 दिवसीय छोटी-छोटी कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, जो विशेष रूप से ऐसे विश्वविद्यालयों में आयोजित किया जाएगा जहां आदित्य L1 से जुड़े आंकड़ों को डाउनलोड करने और उनका विश्लेषण करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा एएल1एससी के माध्यम से ऑनलाइन माध्यम से निरंतर ई-कार्यशाला और ऑनलाइन मंच पर ज्ञान सामग्री उपलब्ध कराने की भी योजना है।
यह केंद्र आदित्य L1 से प्राप्त होने वाले आंकड़ों को न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी सुलभ कराएगा ताकि इस मिशन तक अधिक से अधिक संख्या में लोग पहुंच सकें। यह प्रत्येक इच्छुक व्यक्ति को आंकड़ों का वैज्ञानिक विश्लेषण करने की छूट देगा।