National

संस्कृत को सम्मान दें, दैनिक जीवन में स्थान दें : मोदी

सोशल मीडिया पर भी छाया है 'एक पेड़ मां के नाम' का अभियान : मोदी.मोदी ने दिया 65 करोड़ मतदाताओं को धन्यवाद

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्राचीन ज्ञान विज्ञान की समृद्ध भाषा संस्कृत को सम्मान देने और दैनिक जीवन में अपनाने का आह्वान करते हुए आज कहा कि इस प्राचीनतम एवं वैज्ञानिक भाषा से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।श्री मोदी ने लोकसभा चुनावों के कारण तीन माह के अंतराल के बाद आकाशवाणी पर अपनी नियमित श्रृंखला ‘मन की बात’ के 111वें संस्करण में यह आह्वान किया। उन्होंने कार्यक्रम में संस्कृत में संवाद करते हुए कहा, “मम प्रिया: देशवासिन: अद्य अहं किञ्चित् चर्चा संस्कृत भाषायां आरभे। यानी मेरे प्रिय देशवासियों आज मैं संस्कृत भाषा पर कुछ चर्चा शुरू करता हूं।”

उन्होंने कहा, “आप सोच रहे होंगे कि ‘मन की बात’ में अचानक संस्कृत में क्यों बोल रहा हूँ ? इसकी वजह, आज संस्कृत से जुड़ा एक खास अवसर है। आज 30 जून को आकाशवाणी का संस्कृत बुलेटिन अपने प्रसारण के 50 साल पूरे कर रहा है। 50 वर्षों से लगातार इस बुलेटिन ने कितने ही लोगों को संस्कृत से जोड़े रखा है। मैं आकाशवाणी परिवार को बधाई देता हूँ।”प्रधानमंत्री ने कहा, “साथियों, संस्कृत की प्राचीन भारतीय ज्ञान और विज्ञान की प्रगति में बड़ी भूमिका रही है। आज के समय की मांग है कि हम संस्कृत को सम्मान भी दें, और उसे अपने दैनिक जीवन से भी जोड़ें।

आजकल ऐसा ही एक प्रयास बेंगलुरू में कई और लोग कर रहे हैं। बेंगलुरू में एक पार्क है- कब्बन पार्क ! इस पार्क में यहाँ के लोगों ने एक नई परंपरा शुरू की है। यहाँ हफ्ते में एक दिन, हर रविवार बच्चे, युवा और बुजुर्ग आपस में संस्कृत में बात करते हैं। इतना ही नहीं, यहाँ वाद- विवाद के कई सत्र भी संस्कृत में ही आयोजित किए जाते हैं। इनकी इस पहल का नाम है – संस्कृत सप्ताहांत ! इसकी शुरुआत एक वेबसाइट के जरिए समष्टि गुब्बी जी ने की है। कुछ दिनों पहले ही शुरू हुआ ये प्रयास बेंगलुरूवासियों के बीच देखते ही देखते काफी लोकप्रिय हो गया है। अगर हम सब इस तरह के प्रयास से जुड़ें तो हमें विश्व की इतनी प्राचीन और वैज्ञानिक भाषा से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।”

सोशल मीडिया पर भी छाया है ‘एक पेड़ मां के नाम’ का अभियान : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उन्होंने ‘मां के साथ एक पेड़ लगाने’ की जो शुरुआत की थी वह अब एक अभियान बन गया है और तेजी से गति पकड़ रहा है जिससे मां को भी सम्मान मिल रहा है और धरती मां की भी रक्षा हो रही है।श्री मोदी ने रविवार को रेडियो पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि उनके लिए खुशी की बात है कि उनका ‘मां के साथ पेड़ लगाने’ का आव्हान अभियान बन गया है और बड़ी संख्या में लोग सोशल मीडिया पर माँ के साथ पेड़ लगाने का फोटो शेयर कर रहे हैं। मां के सम्मान और धरती के संरक्षण के लिए इसे और तेज करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा “अगर मैं आपसे पूछूँ कि दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा होता है तो आप जरूर कहेंगे–’माँ’। हम सबके जीवन में ‘माँ’ का दर्जा सबसे ऊँचा होता है। माँ, हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। हर माँ, अपने बच्चे पर हर स्नेह लुटाती है। जन्मदात्री माँ का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है, जिसे कोई चुका नहीं सकता। मैं सोच रहा था, हम माँ को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन, और कुछ कर सकते हैं क्या। इसी सोच से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है–‘एक पेड़ माँ के नाम’।

“श्री मोदी ने कहा “मैंने भी एक पेड़ अपनी माँ के नाम लगाया है। मैंने सभी देशवासियों से, दुनिया के सभी देशों के लोगों से ये अपील की है कि अपनी माँ के साथ मिलकर, या उनके नाम पर, एक पेड़ जरूर लगाएं। और मुझे ये देखकर बहुत खुशी है कि माँ की स्मृति में या उनके सम्मान में पेड़ लगाने का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है। लोग अपनी माँ के साथ या फिर उनकी फोटो के साथ पेड़ लगाने की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। हर कोई अपनी माँ के लिए पेड़ लगा रहा है – चाहे वो अमीर हो या गरीब, चाहे कामकाजी महिला हो या गृहिणी। इस अभियान ने सबको माँ के प्रति अपना स्नेह जताने का समान अवसर दिया है। वो अपनी तस्वीरों को हैश टैग प्लान्ट फ़ॉर मीडिया और एक_पेड़_मां_के_नाम के साथ साझा करके दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।

“उन्होंने कहा “इस अभियान का एक और लाभ होगा। धरती भी माँ के समान हमारा ख्याल रखती है। धरती माँ ही हम सबके जीवन का आधार है, इसलिए हमारा भी कर्तव्य है कि हम धरती माँ का भी ख्याल रखें। माँ के नाम पेड़ लगाने के अभियान से अपनी माँ का सम्मान तो होगा ही होगा, धरती माँ की भी रक्षा होगी।”प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत में सबके प्रयास से वन क्षेत्र का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। अमृत महोत्सव के दौरान, देशभर में 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर भी बनाए गए हैं। अब हमें ऐसे ही माँ के नाम पर पेड़ लगाने के अभियान को गति देनी है।

योग, भारतीय भाषा, संस्कृति का प्रसार गौरव का क्षण : मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योग, भारतीय भाषा एवं संस्कृति के दुनिया भर में प्रचार प्रसार को गौरव का क्षण बताया है और लोगों का आह्वान किया है कि इन्हें अपना कर सकारात्मक बदलाव महसूस करें।श्री मोदी ने श्री मोदी ने लोकसभा चुनावों के कारण तीन माह के अंतराल के बाद आकाशवाणी पर अपनी नियमित श्रृंखला ‘मन की बात’ के 111वें संस्करण में यह आह्वान किया। उन्होंने कुवैत के राष्ट्रीय रेडियो चैनल पर हिन्दी में प्रसारित होने वाले एक कार्यक्रम की एक क्लिप को साझा करते हुए कहा, “दरअसल, कुवैत सरकार ने अपने राष्ट्रीय रेडियाे पर एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है। और वो भी हिन्दी में। ‘कुवैत रेडियो’ पर हर रविवार को इसका प्रसारण आधे घंटे के लिए किया जाता है। इसमें भारतीय संस्कृति के अलग-अलग रंग शामिल होते हैं। हमारी फिल्में और कला जगत से जुड़ी चर्चाएं वहाँ भारतीय समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। मुझे तो यहाँ तक बताया गया है कि कुवैत के स्थानीय लोग भी इसमें खूब दिलचस्पी ले रहे हैं। मैं कुवैत की सरकार और वहाँ के लोगों का हृदय से धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने ये शानदार पहल की है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनियाभर में हमारी संस्कृति का जिस तरह गौरवगान हो रहा है, उससे किस भारतीय को खुशी नहीं होगी। अब जैसे, तुर्कमेनिस्तान में इस साल मई में वहाँ के राष्ट्रीय कवि की 300वीं जन्म-जयंती मनाई गई। इस अवसर पर तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने दुनिया के 24 प्रसिद्ध कवियों की प्रतिमाओं का अनावरण किया। इनमें से एक प्रतिमा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी की भी है। ये गुरुदेव का सम्मान है, भारत का सम्मान है। इसी तरह जून के महीने में दो कैरेबियाई देश सूरीनाम और सेंट विन्सेंट एंड गेनाडाइन्स ने अपनी भारतीय विरासत को पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया।उन्होंने कहा कि सूरीनाम में हिन्दुस्तानी समुदाय हर साल 5 जून को इंडियन अराइवल डे और प्रवासी दिन के रूप में मनाता है। यहाँ तो हिन्दी के साथ ही भोजपुरी भी खूब बोली जाती है। सेंट विन्सेंट एंड गेनाडाइन्स में रहने वाले हमारे भारतीय मूल के भाई-बहनों की संख्या भी करीब छ: हजार है। उन सबको अपनी विरासत पर बहुत गर्व है। एक जून को इन सबने इंडियन अराइवल डे को जिस धूम-धाम से मनाया, उससे उनकी ये भावना साफ झलकती है। दुनियाभर में भारतीय विरासत और संस्कृति का जब ऐसा विस्तार दिखता है तो हर भारतीय को गर्व होता है।

विश्व योग दिवस की याद करते हुए श्री मोदी ने कहा, “इस महीने पूरी दुनिया ने 10वें योग दिवस को भरपूर उत्साह और उमंग के साथ मनाया है। मैं भी जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित योग कार्यक्रम में शामिल हुआ था। कश्मीर में युवाओं के साथ-साथ बहनों–बेटियों ने भी योग दिवस में बढ़–चढ़कर हिस्सा लिया। जैसे-जैसे योग दिवस का आयोजन आगे बढ़ रहा है, नए-नए कीर्तिमान बन रहे हैं। दुनिया-भर में योग दिवस ने कई शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं। सऊदी अरब में पहली बार एक महिला अल हनौफ साद जी ने योग अभ्यास कार्यक्रम का नेतृत्व किया। ये पहली बार है जब किसी सऊदी महिला ने किसी मुख्य योग सत्र को दिशानिर्देशन किया हो। मिस्र में इस बार योग दिवस पर एक फोटो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। नील नदी के किनारे लाल सागर के समुद्रतट पर और पिरामिडों के सामने – योग करते, लाखों लोगों की तस्वीरें बहुत लोकप्रिय हुईं।”उन्होंने कहा कि अपनी संगमरमर निर्मित बुद्ध प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध म्यांमार का माराविजया पैगोडा परिसर दुनिया में मशहूर है। यहाँ भी 21 जून को शानदार योग सत्र का आयोजन हुआ।

बहरीन में दिव्यांग बच्चों के लिए एक विशेष कैंप का आयोजन किया गया। श्रीलंका में यूनेस्को विरासत स्थल के लिए मशहूर गॉल फोर्ट में भी एक यादगार योग कार्यक्रम हुआ। अमेरिका के न्यूयॉर्क में ऑब्ज़र्वेशन डेक पर भी लोगों ने योग किया। मार्शल द्वीप समूह पर भी पहली बार बड़े स्तर पर हुए योग दिवस के कार्यक्रम में वहाँ के राष्ट्रपति जी ने भी हिस्सा लिया। भूटान के थिंपू में भी एक बड़ा योग दिवस का कार्यक्रम हुआ, जिसमें मेरे मित्र प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे भी शामिल हुए। यानी दुनिया के कोने-कोने में योग करते लोगों के विहंगम दृश्य हम सबने देखे।श्री मोदी ने कहा, “मैं योग दिवस में हिस्सा लेने वाले सभी साथियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। मेरा आपसे एक पुराना आग्रह भी रहा है। हमें योग को केवल एक दिन का अभ्यास नहीं बनाना है। आप नियमित रूप से योग करें। इससे आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलावों को जरूर महसूस करेंगे।”

मोदी ने दिया 65 करोड़ मतदाताओं को धन्यवाद

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनावों के बाद आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के पहले प्रसारण में देश के 65 करोड़ मतदाताओं को देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने पर बधाई दी और धन्यवाद ज्ञापित किया।श्री मोदी ने मन की बात के 111वें अंक में कहा, “मैं आज देशवासियों को धन्यवाद भी करता हूँ कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है। 24 का चुनाव, दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ, जिसमें, 65 करोड़ लोगों ने वोट डाले हैं। मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रक्रिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूँ।”भारत की विदेशी शासन से आज़ादी की लड़ाई को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि 30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन ‘हूल दिवस’ के रूप में मनाते हैं। यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था।

श्री मोदी ने कहा, “वीर सिद्धो-कान्हू ने हजारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेजों का जी-जान से मुकाबला किया, और जानते हैं ये कब हुआ था ? ये हुआ था 1855 में, यानी ये 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो साल पहले हुआ था, तब, झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था। हमारे संथाली भाई-बहनों पर अंग्रेजों ने बहुत सारे अत्याचार किए थे, उन पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए थे। इस संघर्ष में अद्भुत वीरता दिखाते हुए वीर सिद्धो और कान्हू शहीद हो गए। झारखंड की भूमि के इन अमर सपूतों का बलिदान आज भी देशवासियों को प्रेरित करता है।”प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम में संथाली भाषा में इस वीर गाथा पर आधारित एक लोकगीत के अंश भी सुनवाये।(वार्ता)

पेरिस ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों का उत्साहवर्द्धन जरूरी : मोदी

Website Design Services Website Design Services - Infotech Evolution
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Graphic Design & Advertisement Design
Back to top button