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इलेक्ट्रॉनिक समन, डिजिटल रिकॉर्ड नए कानून में सबूत के रूप में मान्य : मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट जारी किया

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि अब इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक मोड में समन भेजने की व्यवस्था को कानूनी रूप से मान्यता दी गई है।श्री मोदी ने जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में नए कानूनों को गुलामों की औपनिवेशिक मानसिकता की जंजीरों से मुक्ति वाला बताते हुए कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को सबूत के रूप में मान्यता प्रदान की गई है।श्री मोदी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता का भी उल्लेख किया और कहा कि न्यायपालिका पर लंबित मामलों का बोझ कम करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मोड में समन भेजने की व्यवस्था लागू है।

श्री मोदी ने कहा कि इसके अलावा बदलाव के अनेक कदम उठाने गई हैं। देश ने आजादी के 70 वर्षों में पहली बार कानूनी इन्फ्रास्ट्रक्चर में इतने बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।भारतीय न्याय संहिता के रूप में नई भारतीय न्यायिक प्रणाली का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन कानूनों की भावना ‘नागरिक पहले, सम्मान पहले और न्याय पहले’ है।उन्होंने कहा कि भारत के आपराधिक कानून शासकों और गुलामों की औपनिवेशिक मानसिकता की जंजीरों से मुक्त हो चुके हैं। राजद्रोह जैसे औपनिवेशिक युग के कानून को निरस्त करने का उदाहरण सबके सामने है।उन्होंने नागरिकों को दंडित करने के बजाय उनकी रक्षा करने के लिए न्याय संहिता के परोक्ष विचार पर प्रकाश डाला और महिलाओं तथा बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए सख्त कानूनों के कार्यान्वयन और पहली बार छोटे अपराधों के लिए सजा के रूप में सामुदायिक सेवा के प्रावधानों का उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने शीर्ष अदालत के मार्गदर्शन में जिला न्यायपालिका को इस नई प्रणाली में प्रशिक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह भी किया। उन्होंने न्यायाधीशों और वकील सहयोगियों को भी इस अभियान का हिस्सा बनने का सुझाव दिया।प्रधानमंत्री ने कहा,“इस नई प्रणाली को जनता तक पहुँचाने में हमारे वकीलों और बार एसोसिएशनों की महत्वपूर्ण भूमिका है।”उन्होंने ‘ई-कोर्ट’ के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा न केवल न्यायिक प्रक्रियाओं को गतिमान किया गया है, बल्कि वकीलों से लेकर शिकायतकर्ताओं तक सभी की समस्याओं का निवारण भी किया गया है। अदालतों का डिजिटलीकरण किया जा रहा और उच्चतम न्यायालय की ई-कमेटी इन सभी प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट जारी किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित जिला न्यायाधीशों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान इस डाक टिकट का अनावरण किया गया। इस कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी. वाई. चंद्रचूड़, केन्द्रीय विधि एवं न्याय तथा संसदीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

यह स्मारक टिकट, भारत की न्यायिक प्रणाली में सर्वोच्च न्यायालय के अमूल्य योगदान तथा राष्ट्र के कानूनी परिदृश्य को स्वरुप प्रदान करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका का प्रतीक है। 28 जनवरी, 1950 को स्थापित सर्वोच्च न्यायालय कानून के शासन को बनाए रखने, नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने तथा पूरे देश में न्याय प्रशासन सुनिश्चित करने में अग्रणी रहा है।संचार मंत्रालय के अंतर्गत डाक विभाग, यह स्मारक डाक टिकट जारी करते हुए गर्व का अनुभव कर रहा है, जो भारत के न्यायिक इतिहास में सर्वोच्च न्यायालय की स्थायी विरासत का प्रमाण है।

यह आयोजन, भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसके तहत देश में न्याय और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिबद्धता के साढ़े सात दशकों का उत्सव मनाया जा रहा है। (वार्ता)

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