नई दिल्ली । कोरोना टीकाकरण में अब एक और वैक्सीन शामिल होगी। मंगलवार को अमेरिकी फॉर्मा कंपनी मॉडर्ना के वैक्सीन को भारत में आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति मिल चुकी है। नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने बताया कि देश को अब चौथी वैक्सीन भी मिल चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सूची में शामिल होने की वजह से मॉडर्ना वैक्सीन का भारत में ब्रिजिंग ट्रायल नहीं होगा।
मंगलवार शाम तीन बजे तक चली पहली ही बैठक में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने सिपला कंपनी के आवेदन को हरी झंडी देते हुए भारत में चौथी वैक्सीन के रुप में मॉडर्ना को आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दी है। यह टीका सात महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसे -25 से -50 डिग्री तापमान के बीच में सुरक्षित रखा जाता है। सामान्य तौर पर बात करें तो मॉडर्ना वैक्सीन को -20 डिग्री के आसपास तापमान की जरूरत होगी। अगर शीशी खुली नहीं है तो 30 दिन तक दो से आठ डिग्री तापमान में रख सकते हैं। इसकी दो खुराक चार सप्ताह के बीच में लेना जरूरी है।
अगले महीने भारत आएगी पहली खेप
मॉडर्ना की पहली खेप अगले महीने भारत आएगी। इसके बाद कसौली स्थित केंद्रीय प्रयोगशाला में पहले बैच की जांच होगी। फिर 100 लोगों का टीकाकरण होने के बाद उनका अध्ययन होगा जिसके बाद यह अस्पतालों में उपलब्ध होगी। इस प्रक्रिया में करीब एक महीने का वक्त लग सकता है। जानकारी मिली है कि जुलाई के आखिरी सप्ताह से यह वैक्सीन टीकाकरण केंद्रों पर उपलब्ध होगी।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के तहत विशेषज्ञ कार्य समिति (एसईसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिलहाल कुछ महीने तक यह वैक्सीन विदेशों से भारत आएगी लेकिन यहां भी इसके उत्पादन को लेकर फॉर्मा कंपनियों के साथ बातचीत चल रही है। उन्हें जो जानकारी मिली है कि उसके मुताबिक सिपला कंपनी मॉडनर्ना वैक्सीन को लेकर पूरी निगरानी रखेगी जबकि अन्य कंपनियां इसके उत्पादन को लेकर करार कर सकती हैं।
फाइजर की शर्तों पर नहीं हुआ निर्णय
पिछले कई दिनों से सरकार फाइजर सहित कई विदेशी वैक्सीन के लिए फॉर्मा कंपनियों से बातचीत कर रही है। फाइजर ने भारत में वैक्सीन लाने से पहले एक शर्त रखी है। उसका कहना है कि वैक्सीन लगने के बाद अगर किसी व्यक्ति में दुष्प्रभाव होते हैं तो उसकी जिम्मेदारी या क्षति कंपनी की जवाबदेही नहीं होगी।
इस शर्त के आधार पर फाइजर ने अब तक दुनिया के कई देशों में करार किया है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अब तक इस पर निर्णय नहीं लिया है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल का कहना है कि इस तरह की शर्तों को एकदम से स्वीकार कर लेना संभव नहीं है। अगर फाइजर को यह अनुमति मिलती है तो औरों को भी अनुमति देनी होगी। इसलिए फिलहाल फार्मा कंपनी से इस मुद्दे को लेकर बातचीत चल रही है।