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मैंने और मेरी मां ने भी लगवाया टीका, आप भी लगवाइए : नरेंद्र मोदी

मन की बात में पीएम मोदी ने वैक्सीन के प्रति किया जागरूक। देशवासियों से टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने की अपील।

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम `मन की बात` के 78वें एपिसोड में देशवासियों को संबोधित किया। पीएम ने कार्यक्रम की शुरुआत फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह को श्रद्धांजलि देने से की। देशवासियों से टोक्यो ओलंपिक में जाने वाले खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने, वैक्सीन लगवाने की अपील की। साथ ही बारिश का पानी संचित करने और आयुर्वेद को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की भी अपील की।

कोरोना वैक्सीन लें या न लें, ये सवाल आज भी कई लोगों के मन में चलता है और इसी सवाल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सारी शंकाएं दूर कर दी हैं। आज अपने मन की बात के रेडिया कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने खुद कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराकें ले ली हैं।

इसके अलावा पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में अपनी माता हीराबेन मोदी का भी जिक्र किया और कहा कि मेरी मां 100 साल की हैं और उन्होंने भी कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ले ली हैं। बता दें कि अपने कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी कोरोना वैक्सीन को लेकर कई लोगों से बात की।

मध्यप्रदेश के भीमपुर के निवासी राजेश हिरावे ने पीएम मोदी को बताया कि उन्होंने अभी भी कोरोना का टीका नहीं लिया है। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होंने जबाव दिया कि कई लोग वैक्सीन से डरे हुए हैं, क्योंकि इसे लेकर कई अफवाहें फैली हुई हैं।

इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आपको इस तरह के भ्रमों को अपने मन से बाहर निकाल देना चाहिए। इसके अलावा पीएम मोदी ने बताया कि देश में अबतक 31 करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना का टीका लगा चुके हैं। इसके आगे पीएम मोदी ने कहा कि आपको पता है न कि मैंने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवा ली हैं और मेरी माता करीब 100 साल की हैं और उन्होंने भी दोनों खुराकें ले ली हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि जैसे ही आपका नंबर आए, वैक्सीन लगवाएं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने सालभर, रात दिन एक एक करके वैक्सीन बनाई है, इस पर भरोसा करना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना महामारी से बचाव के दो रास्ते हैं। एक वैक्सीन लगवाएं और दूसरा मास्क लगाएं और अन्य प्रोटोकॉल का पालन करें। उन्होंने ग्रामीणों से बात करते हुए सभी से यह कहने की अपील की कि जब भी आपका नंबर आए, कोरोना वैक्सीन जरूर लगवाएं।

पीएम मोदी ने की थी मिल्खा सिंह से यह अपील
मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब बात टोक्यो ओलंपिक की हो रही हो, तो भला मिल्खा सिंह जैसे महान खिलाड़ी को कौन भूल सकता है। उन्होंने मिल्खा सिंह का स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले ही कोरोना ने उन्हें हमसे छीन लिया। जब वे अस्पताल में थे, तो मुझे उनसे बात करने का अवसर मिला था। बात करते हुए मैंने उनसे आग्रह किया था। मैंने कहा था कि आपने तो 1964 में टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इसलिए जब इस बार हमारे खिलाड़ी ओलंपिक के लिए टोक्यो में जा रहे हैं, तो आपको हमारे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाना है, उन्हें अपने संदेश से प्रेरित करना है।

पीएम ने कहा कि मिल्खा सिंह खेल के लिए इतना समर्पित और भावुक थे कि बीमारी में भी उन्होंने तुरंत इसके लिए हामी भर दी। लेकिन दुर्भाग्य से नियति को कुछ और मंजूर था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने के लिए जाने वाले खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने की अपील की है। पीएम ने कहा कि अक्सर `मन की बात` में आपके प्रश्नों की बौछार रहती है, लेकिन इस बार मैंने सोचा कि कुछ अलग किया जाए। इस बार मैं आपसे प्रश्न पूछता हूं। पीएम मोदी ने सवाल किए कि ओलंपिक में इंडिविजुअल गोल्ड जीतने वाला पहला भारतीय कौन था? कौन से खेल में भारत ने अब तक सबसे ज्यादा मेडल जीते हैं? किस खिलाड़ी ने सबसे ज्यादा पदक जीते हैं?

पीएम मोदी ने की जल संरक्षण की चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी ने जल संरक्षण के लिए हो रहे प्रयासों का भी `मन की बात` कार्यक्रम में जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि वह जल संरक्षण को देश सेवा का एक रूप मानते हैं। हमे पानी बचाना है और मानसून से घबराना नहीं है। इसी कड़ी में पीएम ने जल संरक्षण के क्षेत्र में किए कार्यों के लिए उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के शिक्षक भारती की चर्चा की और उनके कार्यों की सराहना भी की। पीएम ने कहा कि गांव के खेतों में मेड़ बनाए और इससे पानी बचाएं। हमें भारती से प्रेरणा लेकर पानी बचाना चाहिए। इस मौसम में हमें पानी को बर्बाद नहीं होने देना चाहिए।

पीएम ने की सतना के रामलोटन की प्रशंसा
प्रधानमंत्री ने देशवासियों को संबोधित करते हुए आयुर्वेद की भी चर्चा की। पीएम ने उत्तराखंड के पारितोष के गिलोय को लेकर पत्र और मध्य प्रदेश के राम लोटन कुशवाहा की चर्चा की और कहा कि स्थानीय वनष्पतियों के माध्यम से आपके क्षेत्र की पहचान भी बढ़ेगी और आय का नया स्रोत भी मिलेगा। पीएम ने कहा कि रामलोटन ने अपने खेत में एक देशी म्यूजियम बनाया है। इस म्यूजियम में उन्होंने सैकड़ों औषधीय पौधों और बीजों का संग्रह किया है।

बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री को किया याद
प्रधानमंत्री मोदी ने 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे की चर्चा करते हुए पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय को याद किया। पीएम ने कहा कि 1 जुलाई को हम राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाएंगे। ये दिन देश के महान चिकित्सक और स्टेट्समैन डॉक्टर बीसी राय की जन्म-जयंती को समर्पित है। कोरोना-काल में डॉक्टरों के योगदान के हम सब आभारी हैं। हमारे डॉक्टर्स ने अपनी जान की परवाह न करते हुए हमारी सेवा की है।

प्रधानमंत्री ने दिया `इंडिया फर्स्ट` का मंत्र 
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि  कुछ लोग हैं, जो डॉक्टर्स की मदद के लिए भी काम कर रहे हैं। मोदी ने `मन की बात` गुरुप्रसाद का पत्र पढ़ा। गुरुप्रसाद ने पीएम मोदी के `मन के बात` कार्यक्रम में अब तक की तमिलनाडु के लिए कही गई बात का संकलन कर एक ई-बुक तैयार की है। इस ई-बुक को नमो एप पर अपलोड करने का निवदेन भी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को तमिल संस्कृति का बड़ा प्रशंसक बताया और कहा कि गुरुप्रसाद की इस ई-बुक को नमो एप पर अपलोड करूंगा। पीएम मोदी ने इंडिया फर्स्ट का मंत्र दिया और कहा कि हमारे हर फैसले का यही आधार होना चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा- आज हमने कोरोना की कठिनाइयों और सावधानियों पर बात की, देश और देशवासियों की कई उपलब्धियों पर भी चर्चा की। अब एक और बड़ा अवसर भी हमारे सामने है।15 अगस्त भी आने वाला है।आज़ादी के 75 वर्ष का अमृत-महोत्सव हमारे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।हम देश के लिए जीना सीखें।आज़ादी की जंग- देश के लिए मरने वालों की कथा है। आज़ादी के बाद के इस समय को हमें देश के लिए जीने वालों की कथा बनाना है।हमारा मंत्र होना चाहिए – इंडिया फर्स्ट। हमारे हर फ़ैसले, हर निर्णय का आधार होना चाहिए – इंडिया फर्स्ट।

उन्होने आगे कहा – `अमृत-महोत्सव में देश ने कई सामूहिक लक्ष्य भी तय किए हैं। जैसे, हमें अपने स्वाधीनता सेनानियों को याद करते हुए उनसे जुड़े इतिहास को पुनर्जीवित करना है।आपको याद होगा कि ‘मन की बात’ में, मैंने युवाओं से स्वाधीनता संग्राम पर इतिहास लेखन करके, शोध करने, इसकी अपील की थी।मक़सद यह था कि युवा प्रतिभाएं आगे आए, युवा-सोच, युवा-विचार सामने आए, युवा- कलम नई ऊर्जा के साथ लेखन करे।मुझे ये देखकर बहुत अच्छा लगा कि बहुत ही कम समय में ढाई हज़ार से ज्यादा युवा इस काम को करने के लिए आगे आए हैं। साथियों, दिलचस्प बात ये है 19वीं- 20 वीं शताब्दी की जंग की बात तो आमतौर पर होती रहती है लेकिन ख़ुशी इस बात की है कि 21वीं सदी में जो युवक पैदा हुए हैं, 21वीं सदी में जिनका जन्म हुआ है, ऐसे मेरे नौजवान साथियों ने 19वीं और 20वीं शताब्दी की आज़ादी की जंग को लोगों के सामने रखने का मोर्चा संभाला है।

इन सभी लोगों ने MyGov पर इसका पूरा ब्यौरा भेजा है। ये लोग हिंदी – इंग्लिश, तमिल, कन्नड़ा, बांग्ला, तेलुगू, मराठी – मलयालम, गुजराती, ऐसी देश की अलग-अलग भाषाओँ में स्वाधीनता संग्राम पर लिखेंगें। कोई स्वाधीनता संग्राम से जुड़े रहे, अपने आस-पास के स्थानों की जानकारी जुटा रहा है, तो कोई, आदिवासी स्वाधीनता सेनानियों पर किताब लिख रहा है। एक अच्छी शुरुआत है। मेरा आप सभी से अनुरोध है कि अमृत-महोत्सव से जैसे भी जुड़ सकते हैं, ज़रुर जुड़े।ये हमारा सौभाग्य है कि हम आज़ादी के 75 वर्ष के पर्व का साक्षी बन रहे हैं।इसलिए अगली बार जब हम ‘मन की बात’ में मिलेंगे, तो अमृत-महोत्सव की और तैयारियों पर भी बात करेंगे।आप सब स्वस्थ रहिए, कोरोना से जुड़े नियमों का पालन करते हुए आगे बढ़िए, अपने नए-नए प्रयासों से देश को ऐसे ही गति देते रहिए।इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, बहुत बहुत धन्यवाद`।

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