बंगलादेश पर ममता का बयान अनधिकृत: सरकार
बंगलादेश में अदालत ने हिंसा के बाद अधिकांश रोजगार आरक्षण खत्म किया
नयी दिल्ली : सरकार ने बंगलादेश में हो रहे सत्ता विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के कारण बंगलादेशियों को पश्चिम बंगाल में शरण देने संबंधी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान को अनधिकृत और गलत बताते हुए रविवार को खारिज कर दिया।सरकारी सूत्रों ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री की टिप्पणियों पर कहा,“ये ऐसे मामले हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है। राज्य सरकार के पास इस मुद्दे पर कोई अधिकार नहीं है और इस तरह उनकी टिप्पणियां पूरी तरह से गलत हैं।
”उल्लेखनीय है सुश्री बनर्जी ने कोलकाता में एक रैली में कहा कि बंगलादेश में बढ़ती हिंसा के मद्देनजर पड़ोसी देश के लोगों को वह शरण देंगी। बंगलादेश के लोगों के लिए पश्चिम बंगाल के दरवाजे खुले हैं।सुश्री बनर्जी के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। भाजपा में पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी एवं आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि पड़ोसी देश या किसी दूसरे देश से आने वाले व्यक्ति को भारत में आश्रय देने का सुश्री बनर्जी को कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि बाहरी लोगों को शरण देने, उन्हें बसाने एवं नागरिकता देने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है। संविधान के अनुसार राज्य को ऐसे मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं करने का अधिकार नहीं है।
बंगलादेश से 5000 से ज्यादा विदेशी छात्र निकले
बंगलादेश में आरक्षण विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के कारण अब तक करीब साढ़े चार हज़ार भारतीय छात्र स्वदेश लौट आए हैं तथा नेपाल, भूटान और मालदीव के लगभग साढ़े पांच सौ अन्य छात्र भी भारत आये हैं।विदेश मंत्रालय ने आज यहां एक बयान में बताया कि पिछले दो दिनों से ढाका में भारतीय उच्चायोग और चटगांव, राजशाही, सिलहट और खुलना में सहायक उच्चायोग बंगलादेश में हालिया घटनाक्रम के बाद भारतीय नागरिकों की घर वापसी में सहायता कर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय भारतीय नागरिकों के लिए भूमि-सीमा पारगमन केंद्रों और हवाई अड्डों पर सुगम मार्ग सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ भी समन्वय कर रहा है।चयनित भूमि सीमा पारगमन केंद्रों के माध्यम से स्वदेश वापसी के दौरान सड़क मार्ग से उनकी यात्रा के लिए, जहां आवश्यक है, सुरक्षा एस्कॉर्ट की भी व्यवस्था की गई है। ढाका में उच्चायोग भारत और बंगलादेश के बीच उड़ान सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बंगलादेश के नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारियों और वाणिज्यिक एयरलाइनों के साथ भी समन्वय कर रहा है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार अब तक 4500 से अधिक भारतीय छात्र भारत लौट चुके हैं। नेपाल के 500, भूटान के 38 और मालदीव का एक छात्र भी भारत पहुंचे हैं। भारतीय उच्चायोग और सहायक उच्चायोग भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में बने हुए हैं। वे बंगलादेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में शेष छात्रों और उनके कल्याण और सहायता के लिए भारतीय नागरिकों के साथ भी नियमित संपर्क में हैं।
बयान के मुताबिक ढाका में भारतीय उच्चायोग और बंगलादेश में भारत के सहायक उच्चायोग नीचे सूचीबद्ध आपातकालीन संपर्क नंबरों के माध्यम से भारतीय नागरिकों द्वारा आवश्यक किसी भी सहायता के लिए उपलब्ध हैं: भारतीय उच्चायोग, ढाका +880-1937400591, भारतीय सहायक उच्चायोग, चटगांव +880-1814654797 / +880-1814654799, भारतीय सहायक उच्चायोग, राजशाही +880-1788148696, भारतीय सहायक उच्चायोग, सिलहट +880-1313076411/ +880-1313076417स भारतीय सहायक उच्चायोग, खुलना +880-1812817799
बंगलादेश में अदालत ने हिंसा के बाद अधिकांश रोजगार आरक्षण खत्म किया
ढाका, 21 जुलाई (वार्ता) बंगलादेश के सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में हुई हिंसा के बाद रविवार को सरकारी नौकरियों में अधिकांश आरक्षण को खत्म कर दिया। देश में हिंसक झड़पों में 100 से अधिक लोग मारे गए।मीडिया रिपोर्टों में यह जानकारी दी गयी है।सार्वजनिक क्षेत्र की एक तिहाई नौकरियां 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता के लिए देश के युद्ध में भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए आरक्षित थीं, लेकिन अब शीर्ष अदालत ने फैसला दिया है कि केवल पांच प्रतिशत नौकरियां स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए आरक्षित की जा सकती हैं। सरकार ने अभी तक फैसले पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।
स्थानीय मीडिया ने एक छात्र समूह के प्रवक्ता के हवाले से कहा कि विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार राजधानी ढाका की सड़कें कर्फ्यू के दूसरे दिन भी सुनसान रहीं, लेकिन कुछ इलाकों में छिटपुट झड़पें हुईं।रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष अदालत की इमारत के बाहर एक बख्तरबंद वाहन तैनात किया गया था और सैनिक अब भी राजधानी की सड़कों पर गश्त कर रहे हैं। कुछ विरोधी नेताओं को कथित तौर पर गिरफ्तार किया गया है। अन्य लोग झड़पों में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। हिंसा में लगभग 115 लोगों के मरने की खबर है, लेकिन स्थानीय मीडिया के अनुसार हताहतों की संख्या इससे कहीं अधिक है। शुक्रवार को कम से कम 50 लोग मारे गए।
स्थानीय मीडिया ने बताया कि शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की 93 प्रतिशत नौकरियों में योग्यता के आधार पर भर्ती की जानी चाहिए, जबकि पांच प्रतिशत देश के स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के परिवार के सदस्यों के लिए छोड़ी जानी चाहिए। शेष दो प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यकों या विकलांग लोगों के लिए आरक्षित हैं।प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार द्वारा 2018 में समाप्त की गई कोटा प्रणाली को पिछले महीने एक निचली अदालत द्वारा बहाल कर दिया गया था। इस निर्णय से पूरे देश में भारी विरोध प्रदर्शन हुए जिसमें छात्रों ने कहा कि आरक्षण भेदभावपूर्ण था। सरकार ने कर्फ़्यू और संचार ब्लैकआउट सहित कठोर कार्रवाई की।(वार्ता)