लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति और परिवार से बनाई दूरी
बिहार विधानसभा चुनाव में राजद की करारी हार के बाद लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति और परिवार दोनों से दूरी बनाने का ऐलान कर सबको चौंका दिया है। पार्टी की कार्यशैली और चुनाव प्रबंधन से असहज चल रहीं रोहिणी ने स्पष्ट कहा कि वे अब राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं होंगी। किडनी दान कर पिता का जीवन बचाने वाली रोहिणी सोशल मीडिया पर सक्रिय रहीं और कई बार अप्रत्यक्ष रूप से संगठन पर सवाल उठाती दिखीं।
- राजद की चुनावी हार के बाद रोहिणी का बड़ा फैसला, कहा – अब सिर्फ सामाजिक सेवा पर ध्यान
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की करारी हार और पार्टी के महज 25 सीटों पर सिमट जाने के बाद लालू परिवार की राजनीतिक मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। चुनावी नतीजों ने जहां पार्टी नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए, वहीं अब परिवार के भीतर भी असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। इसी कड़ी में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की सबसे चर्चित बेटी और किडनी दान कर पिता का जीवन बचाने वाली रोहिणी आचार्य ने अचानक राजनीति से संन्यास लेने और परिवार से दूरी बनाने का चौंकाने वाला ऐलान कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार, रोहिणी पिछले कुछ समय से पार्टी की रणनीति, पारिवारिक मामलों और चुनावी प्रबंधन को लेकर असहज महसूस कर रही थीं। सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय रहने वाली रोहिणी कई बार अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी नेतृत्व और संगठन की कार्यशैली पर सवाल उठाती रही हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद उनकी नाराज़गी और बढ़ गई। बताया जा रहा है कि उन्होंने परिवार को अपने फैसले से अवगत कराते हुए स्पष्ट कहा कि वे अब न तो राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेंगी और न ही पारिवारिक विवादों में पड़ेंगी।
रोहिणी ने कहा है कि वे आने वाले समय में सिर्फ सामाजिक कार्यों और जनसेवा पर ध्यान देंगी। उन्होंने राजनीति को “तनावपूर्ण और उद्देश्यहीन” बताते हुए दूरी बनाने का निर्णय लिया है। इस कदम से लालू परिवार और राजद दोनों के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। राजद की हार के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा तो थी ही, अब रोहिणी के अलग होने से परिवार की एकता पर भी सवाल उठने लगे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लालू परिवार के भीतर बढ़ती खींचतान और पार्टी नेतृत्व की कमजोर पकड़ इस निर्णय के पीछे प्रमुख कारण हो सकते हैं। वहीं, राजद नेतृत्व ने इस मामले पर फिलहाल सार्वजनिक प्रतिक्रिया देने से परहेज़ किया है। रोहिणी का यह कदम बिहार की राजनीति में नई चर्चा का विषय बन गया है और आने वाले दिनों में इसके व्यापक राजनीतिक संकेत देखने को मिल सकते हैं।
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