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जानें, क्या भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में वैज्ञानिकों की भी रही है भूमिका

देश के स्वतंत्रता आंदोलन में राजनीतिक आंदोलनकारियों, क्रांतिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के योगदान की चर्चा तो खूब की जाती है, लेकिन स्वाधीनता की चेतना जगाने और स्वतंत्र देश के भविष्य निर्माण की आधारशिला रखने वाले वैज्ञानिकों के महत्वपूर्ण योगदान की चर्चा कम ही होती है। एक नई पहल के अंतर्गत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और विज्ञान संचारकों की भूमिका पर 20 और 21 अक्टूबर 2021 को नई दिल्ली में एक महासम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।

देश में प्रथम सत्याग्रह आचार्य जगदीश चंद्र बसु ने किया

इसी कड़ी में बीते गुरुवार भारतीय स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के तहत दिल्ली के राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला के सभागार में प्रारंभिक विमर्श आयोजित किया गया, जिसमें स्वतंत्रता आंदोलन और विज्ञान संचारकों की भूमिका पर चर्चा की गई। इस दौरान विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री जयंत सहस्त्रबुद्धे ने कहा, मेरा मानना है कि प्रथम सत्याग्रह भी देश में आचार्य जगदीश चंद्र बसु ने किया। 1884 में उनको भौतिक विज्ञान के प्राध्यापक के नाते काम करने की अनुमति नहीं दी गई थी।

अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ 3 साल चला बसु का संघर्ष

अग्रेंज शासन ने भेदभाव व अन्याय के कारण उन्हें इस प्रकार की स्वीकृति नहीं दी और यह कहा कि भारत के लोगों को तो तर्कपूर्ण विचार करना ही नहीं आता तो भारत का व्यक्ति भौतिक विज्ञान कैसे पढ़ा सकता है। तब इसके विरोध में जगदीश चंद्र बसु ने संघर्ष किया। उन्होंने हार नहीं मानी और उनका संघर्ष करीब तीन साल चला। उन्होंने बिना वेतन अंग्रेजों के सामने खड़े होकर चुनौती दी और अपनी लड़ाई जारी रखी। तीन साल बाद स्वयं अंग्रेजी सरकार उनकी शरण में आई और उन्हें भौतिक विज्ञान का प्राध्यापक स्वीकार किया।

वैज्ञानिकों के भुला दिए गए योगदान को सामने लाने की अभिनव पहल

विज्ञान और प्रोद्योगिकी विभाग की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार वैज्ञानिक और ओद्योगिक अनुसंधान परिषद यानि सीएसआईआर से सम्बद्ध संस्थान नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस कम्यूनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च और गैर सरकारी संगठन विज्ञान भारती ने मिलकर स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम तैयार किया है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और विज्ञान शीर्षक वाला यह उत्सव स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर केंद्र सरकार द्वारा आयोजित अमृत महोत्सव का हिस्सा है। 20 और 21 अक्टूबर 2021 को नई दिल्ली में होने वाले महासम्मेलन का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिकों के योगदान, उनके संघर्षों और उपलब्धियों के बारे में समाज को अवगत कराना है। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित इस विशाल सम्मेलन में बहुत से विज्ञान संचारक शामिल होंगे, जो मुख्य संदेश को समाज के जमीनी स्तर तक पहुंचाएंगे। ऐसे में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में वैज्ञानिकों के भुला दिए गए योगदान को सामने लाने की यह अभिनव पहल वाकयी सार्थक साबित होगी।

विज्ञान और प्रोद्योगिकी विभाग की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार वैज्ञानिक और ओद्योगिक अनुसंधान परिषद यानि सीएसआईआर से सम्बद्ध संस्थान नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस कम्यूनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च और गैर सरकारी संगठन विज्ञान भारती ने मिलकर स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम तैयार किया है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और विज्ञान शीर्षक वाला यह उत्सव स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर केंद्र सरकार द्वारा आयोजित अमृत महोत्सव का हिस्सा है। 20 और 21 अक्टूबर 2021 को नई दिल्ली में होने वाले महासम्मेलन का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिकों के योगदान, उनके संघर्षों और उपलब्धियों के बारे में समाज को अवगत कराना है। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित इस विशाल सम्मेलन में बहुत से विज्ञान संचारक शामिल होंगे, जो मुख्य संदेश को समाज के जमीनी स्तर तक पहुंचाएंगे। ऐसे में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में वैज्ञानिकों के भुला दिए गए योगदान को सामने लाने की यह अभिनव पहल वाकयी सार्थक साबित होगी।

 

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