State

राजनीति में पास लेकिन कोरोना आपदा से लड़ाई में फेल हो गये केजरीवाल

बढ़ता जा रहा दिल्ली में मौतों का आंकड़ा,डायलिसिस पर सरकार

अजीत मिश्र

नयी दिल्ली।कहा गया है कि राजा और मित्र की परीक्षा आपत्ति काल में होती है लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कोरोना महामारी से निपटने की रणनीति में बुरी तरह फ़ेल साबित हो रहे हैं।जिस तरह से दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है उससे आम लोगों में भय व्याप्त होता जा रहा है।अन्य राज्यों के अपेक्षा आबादी के अनुपात में दिल्ली में कोरोना से संक्रमित लोगों और मौतों की संख्या सबसे ज्यादा है।प्रति 10 लाख की आबादी पर मौतों की संख्या के मामले में भी दिल्ली की स्थिति सबसे खराब है।इसके आलावा प्रवासी मजदूरों को सुरक्षा,भोजन नहीं देने और उन्हें पलायन के लिये मजबूर कर देने के आरोपों के साथ साथ कोरोना पीड़ितों को समुचित स्वास्थ्य सेवा देने में नाकाम रहने का चौतरफा आरोप भी केजरीवाल सरकार पर लग रहा है।
कोरोना महामारी का बढ़ता आंकड़ा भी अन्य राज्यो के अपेक्षा दिल्ली को ज्यादा डरा रहा है।महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों की संख्या 11,793 है,तमिलनाडु में 27,256, दिल्ली में 25,004 और गुजरात में 18,609 है और अगर कोरोना से मौत की बात करें तो यह महाराष्ट्र में 2710, तमिलनाडु में 223, दिल्ली में 761 और गुजरात में 1,115 हैं। इन आंकड़ों को राज्यों की जनसंख्या के अनुपात पर देखने पर दिल्ली की स्थिति सबसे ज्यादा खतरनाक दिखती है।
अब तो कहा जा सकता है कि केजरीवाल सरकार की अदूरदर्शिता के कारण हीं देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण बेकाबू हो गया है।सरकार के दावों के विपरीत दिल्ली में कोरोना मरीजों की संख्या विस्फोटक तरीके से बढ़ रही है। दिल्ली में लगातार पांचवें दिन कोरोना के 1200 से ज्यादा मामले आए हैं। 7 जून, 2020 के आंकड़ों के मुताबिक बीते 24 घंटे में दिल्ली में 1320 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है। इन्हें मिलाकर कुल मरीजों की संख्या 27,654 से अधिक हो चुकी है।
इसी बीच केजरीवाल सरकार पर झूठ बोलने के भी आरोप लग रहे हैं।लॉक डाउन का पालन कराने, चिकित्सा सुविधा देने और खाद्य सुरक्षा में भी वे पूरी तरह फ़ेल साबित हुए हैं लेकिन इसके बावजूद वे अपनी नाकामियों का ठीकरा निजी अस्पतालों पर फोड़ रहे हैं।हालात ये है कि दिल्ली में मरीज बेड के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पतालों में भटक रहे हैं।मरीज रोज मर रहे हैं,उनके परिजन गुहार लगा रहे हैं लेकिन दिल्ली सरकार प्रेस कांफ्रेंस में अपने को सही साबित करने में लगी है।अव्यवस्था का आलम यह है कि चौतरफा हमले के बाद भी सरकार जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ती दिख रही है।
केजरीवाल कहते हैं कि दिल्‍ली के कुछ अस्‍पताल अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं बल्कि वे किसी के इशारे पर राजनीति कर रहे हैं।और वे अस्पतालों पर बदमाशी का आरोप भी लगाते हैं।इसके बाद चेतावनी भरे लहजे में केजरीवाल कहते हैं कि मरीजों का इलाज अस्‍पतालों को करना ही होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो हम उनके खिलाफ ऐक्‍शन लेंगे। उन्होंने कहा कि मैं उन अस्पतालों से कहना चाहता हूं कि आपको कोरोना के मरीजों का नियमों के हिसाब से इलाज करना ही होगा,कुछ दो-चार अस्पताल इस गलतफहमी में हैं कि वे ब्लैक मार्किंटिंग कर लेंगे, उन अस्पतालों को भी बख्शा नहीं जाएगा।20 फीसदी बेड तो रखने ही होंगे, नहीं तो 100 फीसदी बेड कोरोना के लिए कर दी जायेगी।अब सवाल उठता है कि कोरोना महामारी से लड़ाई में धमकी देने और स्वास्थ्य कर्मियों से असहयोग कर वे किस तरह इसे कंट्रोल करेंगे।पहली बार लॉक डाउन में राजनीतिक रोटी सेंकते हुए उन्होंने धार्मिक कार्ड खेला, फिर दूसरे राज्यों को डिस्टर्ब करने की नीयत से उन्होंने प्रवासी श्रमिकों को अपने राज्य जाने के लिये अपने लोगों से दबाव बनवाया।इस कारण दिल्ली में लॉकडाउन का पालन पूरी तरह नहीं हो पाया।यही नहीं उनकी नासमझियों के कारण हीं अधिकांश प्रवासी मजदूरों में भी कोरोना संक्रमण फैल गया।अब ये मजदूर जहां जहां गये हैं वहाँ कोरोना पोजेटिवों की संख्या तेजी से बढ़ी है।कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जिस उम्मीद के साथ दिल्ली की जनता ने इन्हें तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाया उसकी उम्मीदों पर केजरीवाल सरकार खरी नहीं उतरी।इस महामारी से लड़ाई में भी वे पूरी तरह अक्षम और फेल साबित हुए हैं।

Website Design Services Website Design Services - Infotech Evolution
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Graphic Design & Advertisement Design
Back to top button