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सामाजिक संवेदनशीलता और महिला सशक्तिकरण में समृद्ध योगदान दे रहा है जेएनयू: मुर्मू

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज कहा कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय अपनी प्रगतिशील गतिविधियों , सामाजिक संवेदनशीलता, समावेशन तथा महिला सशक्तिकरण की दिशा में समृद्ध योगदान के लिए जाना जाता है।श्रीमती मुर्मू ने शुक्रवार को यहां जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया और छात्रों को संबोधित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में पूरे देश के छात्र पढ़ते हैं और यह विविधताओं के बीच भारत की सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रतिबिंब प्रस्तुत करता है। इस विश्वविद्यालय में कई अन्य देशों के छात्र भी अध्ययन करते हैं। इस तरह एक शिक्षण केंद्र के रूप में इसका आकर्षण भारत से बाहर भी है।राष्ट्रपति ने कहा कि यह विश्वविद्यालय अपनी प्रगतिशील गतिविधियों और सामाजिक संवेदनशीलता, समावेशन व महिला सशक्तिकरण के संबंध में समृद्ध योगदान के लिए जाना जाता है।श्रीमती मुर्मू ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों तथा शिक्षकों ने शिक्षा , शोध, राजनीति, सिविल सेवा, कूटनीति, सामाजिक कार्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, मीडिया, साहित्य, कला व संस्कृति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावशाली योगदान दिया है।

उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि जेएनयू ‘नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क’ के तहत देश के विश्वविद्यालयों के बीच साल 2017 से लगातार दूसरे स्थान पर है।राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालय की सोच, मिशन और उद्देश्यों को इसके संस्थापक विधानों में व्यक्त किया गया। इन बुनियादी आदर्शों में राष्ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, लोकतांत्रिक जीवनशैली, अंतरराष्ट्रीय समझ और समाज की समस्याओं को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण शामिल हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से इन मूलभूत सिद्धांतों के अनुपालन पर अटल रहने का अनुरोध किया।उन्होंने कहा कि चरित्र निर्माण भी शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है। तात्कालिक बहाव में आकर चरित्र निर्माण के अमूल्य अवसरों को कभी नहीं गंवाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि युवा छात्रों में जिज्ञासा, प्रश्न करने और तर्क के उपयोग की एक सहज प्रवृत्ति होती है। इस प्रवृत्ति को सदैव प्रोत्साहित करना चाहिए। युवा पीढ़ी द्वारा अवैज्ञानिक रूढ़ियों के विरोध को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। विचारों को स्वीकार करना या खारिज करना, वाद-विवाद और संवाद पर आधारित होना चाहिए।राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को पूरे विश्व समुदाय के बारे में चिंतन करना होता है। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, युद्ध व अशांति, आतंकवाद, महिलाओं की असुरक्षा और असमानता जैसे अनेक मुद्दे मानवता के सामने चुनौती बनकर खड़े हैं। प्राचीन काल से लेकर आज तक विश्व के प्रमुख विश्वविद्यालयों ने व्यक्ति और समाज की समस्याओं का समाधान खोजा है और समाज के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अपना योगदान दिया है।

उन्होंने कहा कि इन मुद्दों को लेकर सतर्क और सक्रिय रहना विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी है।उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों को बनाए रखने, संविधान के मूल्यों का संरक्षण करने और राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अपना प्रभावी योगदान देंगे।(वार्ता)

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