जोधपुर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न्याय को सरल एवं स्पष्ट बनाने के लिए सबकी सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए कहा है कि राष्ट्रीय एकता न्याय व्यवस्था का नींव का पत्थर है और यह जितना मजबूत होगा, हमारे देश की व्यवस्थाएं उतनी ही मजबूत होगी।श्री मोदी रविवार को यहां उच्च न्यायालय जोधपुर के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न्याय हमेशा सरल और स्पष्ट होता है लेकिन कई बार प्रक्रियाएं इसे मुश्किल बना देती है। उन्होंने कहा कि हम सब की सामूहिक जिम्मेदाीर है कि न्याय को ज्यादा से ज्यादा सरल एवं स्पष्ट बनाये।
उन्होंने कहा कि उन्हें संतोष है कि देश में इस दिशा में कई ऐतिहासिक एवं निर्णायक कदम उठाये गये हैं और पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुके कानूनों को रद्द किया गया हैं और आजादी के इतने दशक बाद गुलामी की मानसिकता से उबरते हुए इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता को अपनाया है। श्री मोदी ने कहा कि दंड की जगह न्याय, यह भारतीय चिंतन का आधार भी है। भारतीय न्याय संहिता इस मानवीय चिंतन को आगे बढाती है। भारतीय न्याय संहिता हमारे लोकतंत्र को कोलोनियल माइंडसेट से आजाद करती है। उन्होंने कहा कि न्याय संहिता की यह मूलभावना ज्यादा से ज्यादा प्रभावी बने, ये दायित्व अब हम सभी के सामने है।
उन्होंने कहा कि आज देश के सपने भी बड़े है और देशवासियो की आकांक्षाएं भी बड़ी है, इसलिए यह जरुरी है कि हम नये भारत के हिसाब से नये नवाचार करे और अपनी व्यवस्थाओं को आधुनिक बनाये। यह जस्टिस फार ऑल के लिए भी उतना ही जरुरी है। उन्होंने कहा कि हमारी न्यायपालिका ने निरंतर राष्ट्रीय विषयों पर सजगता और सक्रियता की नैतिक जिम्मेदारी निभाई है। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का देश के संवैधानिक एकीकरण का उदाहरण हमारे सामने है। सीएए जैसे मानवीय कानून का उदाहरण हमारे सामने है। ऐसे मुद्दों पर राष्ट्रहित में स्वाभाविक न्याय क्या कहता है, यह हमारी अदालतों के निर्णयों से पूरी तरह से स्पष्ट होता रहा है। उच्च न्यायालय से लेकर उच्चत्तम तक, न्यायपालिका ने अनेकों बार ऐसे विषयों पर ‘राष्ट्र प्रथम’के संकल्प को सशक्त किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा “अभी इसी 15 अगस्त को मैंने लालकिले से सेकुलर सिविल कोड की बात की है। इस मुद्दे पर भले ही कोई सरकार पहली बार इतनी मुखर हुई हो लेकिन हमारी न्यापालिका दशकों से इसकी वकालत करती आई है। राष्ट्रीय एकता के मुद्दे पर न्यायपालिका का यह स्पष्ट रुख न्यायपालिका पर देशवासियों में भरोसा और बढ़ाएगा।”उन्होंने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट के अस्तित्व से हमारे राष्ट्र की एकता का इतिहास भी जुड़ा है। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जब 500 से ज्यादा रियासतों को जोड़कर देश को एक सूत्र में पिरोया था, उसमें राजस्थान की भी कई रियासतें थीं। जयपुर, उदयपुर और कोटा जैसी कई रियासतों के अपने हाईकोर्ट भी थे। इनके इंटिग्रेशन से राजस्थान हाईकोर्ट अस्तित्व में आया। यानी, राष्ट्रीय एकता न्याय व्यवस्था का भी नींव का पत्थर है। यह जितना मजबूत होगा, हमारा देश और देश की व्यवस्थाएं भी उतनी ही मजबूत होंगी। (वार्ता)