
अधिकार पाने के लिए शिक्षित होना जरूरीः डॉ. मोहन भागवत
कानपुर (उत्तर प्रदेश) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने रविवार को वाल्मीकि समाज से शिक्षित होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि समाज को आगे बढ़ने के लिए संविधान निर्माता बाबा साहब अम्बेड़कर ने राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता संविधान में दी है। सामाजिक स्वतंत्रता के लिए द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी ने कार्य शुरू किया। वह आज भी अनवरत जारी है। वाल्मीकि समाज शिक्षा के जरिये जब योग्य बनेगा तभी उनको अधिकार मिल सकेंगे। समाज तरक्की कर सकेगा। इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वाल्मीकि समाज के बीच लगातार पहुंच रहा है।
सरसंघचालक डॉ. भागवत ने वाल्मीकि जयंती पर फूलबाग के नानाराव पार्क में आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर मैं यहां पहली बार आया हूं। वैसे वाल्मीकि समाज के बीच में मैं आता रहता हूं। वाल्मीकि समाज विद्वान धर्मचरित्र को धारण करने वाले वाल्मीकि भगवान की पूजा करता है। वह भगवान जिन्होंने ऐसे आदर्श चरित्रवाले राजा राम का जीवन परिचय प्रस्तुत किया। ऐसे भगवान को पूरे विश्व में पूजा जाना चाहिये।
संघ प्रमुख ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने अपने ग्रंथ में करुणा को धर्म का एक पैर बताया है। मानव को भगवान राम के चरित्र के आदर्श पर आगे बढ़ना चाहिए। महर्षि वाल्मीकि ने मनुष्यों के लिए ऐसा आदर्श प्रस्तुत किया जिसमें व्यक्ति को कैसे रहना है। समाज का कैसे सहयोग करना है। सरसंघचालक ने कहा कि समाज में व्याप्त छुआछूत और भेदभाव को दूर करने के लिए संगठन के माध्यम से अनवरत कार्य किया जा रहा है। वाल्मीकि समाज का आगे बढ़ना जरूरी है। समाज को नशे से दूर रहना होगा। खराब आदतें छोड़नी होंगी। बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलानी होंगी। योग्य होंगे तो अधिकार अपने आप मिल जाएंगे।
सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को वाल्मीकि समाज पर गर्व करना चाहिए। भगवान राम को हिंदू समाज से परिचित कराने वाले भगवान वाल्मीकि ही थे। वह अगर रामायण नहीं लिखते तो आज हिंदू समाज को भगवान राम नहीं मिलते। इतना ही नहीं भगवती सीता को बेटी की तरह वाल्मीकि ने ही रखा था। उनके दोनों पुत्रों का लालन-पालन भी उन्हीं के आश्रम में हुआ था। वाल्मीकि जयंती हमारे लिए राष्ट्रीय उत्सव है। संघ अपनी पूरी ताकत के साथ वाल्मीकि समाज के साथ खड़ा है। हमारे लोग आपके पास स्वयं आएंगे। आपको आने की जरूरत नहीं। उन्हें पता है कि पूरा हिंदू समाज हमारा है। ये समाज अपना है। भारतवर्ष अपना है, जो सदैव रहेगा।
संघ का कार्य तथा संगीत दोनों में अभ्यास का महत्व – मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को यहां घोष कार्यक्रम में कहा कि संघ का कार्य तथा संगीत दोनों में अभ्यास का महत्व है। संघ में प्रतिदिन शाखा जाना पड़ता है और संगीत में प्रतिदिन अभ्यास करना पड़ता है। स्वर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर जी भी प्रतिदिन संगीत का अभ्यास करती थी।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म इण्टर कॉलेज परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कानपुर प्रांत के स्वर संगम घोष शिविर में 21 जिलों से आए हुए शिक्षार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रविवार को संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हम सभी घोष वादक यहां किसी प्रमाण पत्र हेतु नहीं आए हैं। हम यहां एक निश्चित ध्येय के लिए एकत्र हुए हैं। हमारा कार्यक्रम घोष का है किंतु हमें इस माध्यम से भारत माता को परम वैभव तक पहुंचाना है यही हमारा लक्ष्य है।
उन्होंने कहा कि हमारे दिल की धड़कन भी एक ताल है। यदि वह बंद हो गई तो सब समाप्त हो जाएगा। ध्वनि का नाद यदि संगीत मय हो जाये तो वह स्वर कहलाता है। स्वर और ताल के मिलने से संगीत बनता है। संगीत के ताल से आप के कदम जब मिलेंगे तब संचलन ठीक होगा।उन्होंने कहा कि हमारे कार्यक्रमों को देखकर समाज प्रभावित होता है क्योंकि हम इसे लग्न तथा अनुशासन से करते हैं। हमारा कार्य प्रति दिन चौबीस घंटे अनवरत चलता रहता है।
उक्त जानकारी देते हुए कानपुर प्रान्त प्रचार प्रमुख डॉ. अनुपम जी ने बताया कि 6 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक चलने स्वर संगम घोष शिविर में लगभग 1500 शिक्षार्थी वाद्ययंत्रों को का वादन करने के साथ ही प्रशिक्षण ले रहें है।शिविर में क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रान्त प्रचारक श्री राम, सह प्रान्त प्रचारक रमेश, प्रान्त प्रचार प्रमुख डाक्टर अनुपम, सह प्रान्त कार्यवाह भवानीभीख, क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख सुरेश, प्रान्त सह व्यवस्था प्रमुख विकास भी उपस्थित है।
डॉ.मोहन भागवत ने कानपुर में किया पथ संचलन का निरीक्षण
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कानपुर प्रांत में आयोजित स्वर संगम घोष शिविर के चौथे दिन रविवार को स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया। पथ संचलन का निरीक्षण कंपनी बाग चौराहे पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने किया। इसके बाद सरसंघचालक वाल्मीकि समाज के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए फूलबाग स्थित नानाराव पार्क निकल गए ।
पांच दिवसीय स्वर संगम घोष शिविर का आयोजन पंडित दीनदयाल स्कूल में किया गया है। तीसरे दिन देररात सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत शिविर में पहुंचे। रविवार को स्वयंसेवकों की दो टोली ने पथ संचलन किया। दोनों टोली पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्कूल से करीब 10ः15 बजे निकलीं। पहली टोली गंगा बैराज होते हुए वापस विद्यालय लौट गई जबकि दूसरी टोली कोहना से होते हुए कंपनी बाग पहुंची।
पथ संचलन में ड्रम और बांसुरी समेत 17 वाद्य यंत्रों को स्वयंसेवकों ने बजाया। कंपनी बाग चौराहे पर संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने पथ संचलन का निरीक्षण किया। संघ प्रमुख यहां करीब 15 मिनट तक रुके। यहां से सरसंघचालक फूलबाग स्थित नानाराव पार्क भारी सुरक्षा के साथ पहुंचे।(हि.स.)