भारत की शेरनियाँ : संघर्ष से शिखर तक – जब बेटियों ने लिखा विश्व कप का इतिहास
भारत की महिला क्रिकेट टीम ने 2 नवम्बर 2025 को पहली बार विश्व कप जीतकर नया इतिहास रचा। हरमनप्रीत कौर की कप्तानी और दीप्ति शर्मा के हरफनमौला प्रदर्शन से भारत ने फ़ाइनल में शानदार जीत दर्ज की। इस टीम की हर खिलाड़ी ने कठिन परिस्थितियों से उठकर सपनों को हकीकत बनाया - खेतों, गलियों और स्कूलों से निकलकर विश्व मंच पर तिरंगा लहराया। यह जीत सिर्फ़ खेल नहीं, बल्कि नारी शक्ति, समर्पण और आत्मविश्वास की पहचान है। भारतीय महिला क्रिकेट के लिए यह स्वर्णिम युग की शुरुआत है।
2 नवम्बर 2025 की रात, नवी मुंबई का डी.वाई. पाटिल स्टेडियम गूंज उठा – “भारत माता की जय!” भारत की बेटियों ने पहली बार महिला क्रिकेट विश्व कप अपने नाम कर लिया। यह जीत सिर्फ़ खेल की नहीं थी, बल्कि उन सपनों की थी जो कभी मिट्टी के मैदानों में, टिन की छतों के नीचे, और समाज की चुनौतियों के बीच पलते रहे। हर खिलाड़ी की अपनी कहानी है – कोई किसान की बेटी है, कोई अध्यापक के घर की; कोई छोटे शहर की गलियों से, तो कोई कॉलेज की खेल छात्रवृत्ति से यहाँ तक पहुँची। आइए जानते हैं, इस स्वर्णिम टीम की हर शेरनी की प्रेरक यात्रा।
हरमनप्रीत कौर (कप्तान) – पंजाब की सपूत, जिसने नेतृत्व को नया अर्थ दिया
राज्य: पंजाब (मोगा)
पारिवारिक पृष्ठभूमि: पिता हरमिंदर सिंह क्लब स्तर के क्रिकेटर रहे, जिन्होंने बेटी को बल्ला थमाया; माँ गृहिणी।
शिक्षा: गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर।
भूमिका: कप्तान / ऑलराउंडर
2017 की 171 रन की तूफ़ानी पारी से चर्चित हुई हरमनप्रीत 2025 में नेतृत्व की मिसाल बनीं। उन्होंने अपनी टीम में “विश्वास” का संस्कार डाला। फ़ाइनल में उनके शांत निर्णयों ने इतिहास रच दिया।
स्मृति मंधाना – महाराष्ट्र की मुस्कान, जिसने हर मैच को कविता बना दिया
राज्य: महाराष्ट्र (सांगली)
परिवार: पिता श्रीनिवास मंधाना (रबर फैक्ट्री व्यवसायी), भाई क्रिकेटर।
शिक्षा: वाणिज्य स्नातक, सांगली कॉलेज।
भूमिका: उप-कप्तान / ओपनर
स्मृति ने हर पारी में सटीक तकनीक और आत्मविश्वास से भारत को मज़बूत शुरुआत दी। उनकी कवर ड्राइव महिला क्रिकेट की पहचान बन चुकी है।
शेफाली वर्मा – हरियाणा की निडर बेटी, जिसने मैदान को रणभूमि बना दिया
राज्य: हरियाणा (रोहतक)
परिवार: पिता संजीव वर्मा (ज्वेलर), जिन्होंने बेटे के रूप में नहीं, खिलाड़ी के रूप में पाला।
शिक्षा: बारहवीं तक की पढ़ाई रोहतक से; आगे IGNOU से स्नातक जारी।
भूमिका: ओपनर / पार्ट-टाइम गेंदबाज़
फ़ाइनल में 87 रन और 2 विकेट – यह उनके साहस की कहानी है। 10 साल की उम्र में लड़कों की टीम में खेलना शुरू किया, आज विश्व कप का सितारा बनीं।
जेमिमा रोड्रिग्स – मुंबई की प्रतिभा, जिसने धैर्य से कमाया गौरव
राज्य: महाराष्ट्र (मुंबई)
परिवार: पिता इवान रोड्रिग्स (कोच), माँ एलिसिया रोड्रिग्स (टीचर)।
शिक्षा: बी.कॉम, सेंट जोसेफ कॉलेज, मुंबई।
भूमिका: बल्लेबाज़
सेमीफाइनल में 127* की ऐतिहासिक पारी खेली। उनके पिता ही पहले कोच रहे – जो हर सुबह बेटी के लिए नेट लगाते थे। जेमिमा आज अनुशासन की मिसाल हैं।
दीप्ति शर्मा – उत्तर प्रदेश की मिट्टी से उगी मेहनत की मिसाल
राज्य: उत्तर प्रदेश (सहारनपुर)
परिवार: पिता भगवान शर्मा (रेलवे कर्मचारी), माँ गृहिणी।
शिक्षा: स्नातक, मेरठ कॉलेज।
भूमिका: ऑलराउंडर (प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट)
फ़ाइनल में 58 रन और 5 विकेट – भारत की जीत की धुरी बनीं। दीप्ति का बचपन गली क्रिकेट में बीता, भाइयों के साथ खेलकर खुद को निखारा।
रिचा घोष – बंगाल की बहादुर विकेटकीपर, जिसने हर गेंद पर भरोसा रखा
राज्य: पश्चिम बंगाल (सिलीगुड़ी)
परिवार: पिता मानव घोष (पूर्व क्रिकेटर), माँ शिक्षिका।
शिक्षा: सिलीगुड़ी गर्ल्स हाई स्कूल।
भूमिका: विकेटकीपर / बल्लेबाज़
रिचा ने फ़ाइनल में दो निर्णायक कैच और 26 रन बनाए। बिजली जैसी फुर्ती और निडर बल्लेबाज़ी उनकी पहचान है।
रेणुका सिंह ठाकुर – हिमाचल की घाटियों से निकली स्विंग की सिम्फनी
राज्य: हिमाचल प्रदेश (शिमला)
परिवार: पिता ललित सिंह (सरकारी कर्मचारी, निधन 2019), माँ गृहिणी।
शिक्षा: DAV कॉलेज, शिमला।
भूमिका: तेज गेंदबाज़
रेणुका की गेंदों में पहाड़ों की ठंडक और सटीकता दोनों हैं। उन्होंने फ़ाइनल में शुरुआती ब्रेकथ्रू दिलाया, जिससे मैच भारत की ओर झुक गया।
राधा यादव – उत्तर प्रदेश की आत्मनिर्भर स्पिनर
राज्य: उत्तर प्रदेश (गाजीपुर), पली-बढ़ी मुंबई में।
परिवार: पिता हर्बल शॉप चलाते थे; आर्थिक संघर्ष में भी बेटी को कोचिंग दिलाई।
शिक्षा: स्नातक, मुंबई यूनिवर्सिटी।
भूमिका: लेफ्ट आर्म स्पिनर
राधा का सफ़र झुग्गी बस्ती से भारतीय टीम तक का है। उनकी फ्लाइट और नियंत्रण ने विरोधी बल्लेबाज़ों को बांधे रखा।
अमनजोत कौर – पंजाब की बहुमुखी योद्धा
राज्य: पंजाब (मोहाली)
परिवार: किसान परिवार, पिता ने खेतों में पिच बनाकर अभ्यास कराया।
शिक्षा: पंजाब यूनिवर्सिटी, पटियाला।
भूमिका: ऑलराउंडर
सेमीफ़ाइनल में जेमिमा के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी; निचले क्रम में निर्णायक 32 रन बनाए।
स्नेह राणा – उत्तराखंड की संयमित रणनीतिकार
राज्य: उत्तराखंड (देहरादून)
परिवार: पिता शिक्षक, माँ गृहिणी।
शिक्षा: एम.ए., देहरादून विश्वविद्यालय।
भूमिका: ऑलराउंडर
स्नेह अपनी ऑफ-स्पिन से मध्यम ओवर्स में नियंत्रण लाती हैं; साथ ही टीम की “मेंटल सपोर्ट” स्तंभ मानी जाती हैं।
क्रांति गौड़ – मध्य प्रदेश की नई तेज़ रफ्तार
राज्य: मध्य प्रदेश (इंदौर)
परिवार: पिता बैंककर्मी, माँ सरकारी स्कूल शिक्षिका।
शिक्षा: होलकर कॉलेज, इंदौर।
भूमिका: तेज गेंदबाज़
2025 में डेब्यू; 6 विकेट लेकर सेमीफ़ाइनल में भारत की जीत में अहम योगदान दिया।
श्री चरनी – आंध्र प्रदेश की सादगी और स्विंग का संगम
राज्य: आंध्र प्रदेश (नेल्लोर)
परिवार: पिता किसान, माँ गृहिणी।
शिक्षा: बी.कॉम, वेंकटेश्वर कॉलेज।
भूमिका:तेज गेंदबाज़
अपने डेब्यू वर्ष में ही फ़ाइनल में शानदार ओपनिंग स्पेल; उन्हें टीम की “स्विंग क्वीन” कहा जाने लगा है।
अंजुम चोपड़ा और मिताली राज – प्रेरणास्रोत की भूमिका में
दोनों दिग्गज पूर्व कप्तानों ने टीम की रणनीति, अनुशासन और मानसिक तैयारी में सलाहकार की भूमिका निभाई।
उनकी उपस्थिति ड्रेसिंग रूम में “मां जैसी ऊर्जा” रही।
भारत की शेरनियाँ – 16 बेटियाँ, 28 राज्यों की प्रेरणा
खिलाड़ी————-| राज्य——————| भूमिका
हरमनप्रीत कौर——–| पंजाब—————–| कप्तान, ऑलराउंडर
स्मृति मंधाना———| महाराष्ट्र—————| बल्लेबाज़, उप-कप्तान
शेफाली वर्मा———-| हरियाणा—————| बल्लेबाज़
जेमिमा रोड्रिग्स——–| महाराष्ट्र ————–| बल्लेबाज़
दीप्ति शर्मा———–| उत्तर प्रदेश————-| ऑलराउंडर
रिचा घोष ———–| पश्चिम बंगाल ———–| विकेटकीपर
रेणुका सिंह ठाकुर——| हिमाचल प्रदेश————| तेज गेंदबाज़
राधा यादव———–| उत्तर प्रदेश / मुंबई——–| स्पिनर
अमनजोत कौर——–| पंजाब——————–| ऑलराउंडर
स्नेह राणा———–| उत्तराखंड—————-| ऑलराउंडर
क्रांति गौड़———–| मध्य प्रदेश—————| तेज गेंदबाज़
श्री चरनी————| आंध्र प्रदेश————–| तेज गेंदबाज़
अरुंधति रेड्डी———| तेलंगाना—————-| पेसर
उमा चेेत्री————| असम——————| विकेटकीपर
हर्लीन देओल———-| हिमाचल प्रदेश———–| बल्लेबाज़
यास्तिका भाटिया——-| गुजरात—————–| बल्लेबाज़ (चोट के बाद बाहर)
यह सिर्फ़ जीत नहीं, जागरण है
यह विश्व कप जीत भारत की बेटियों के सामर्थ्य की घोषणा है। हर खिलाड़ी की कहानी एक संदेश देती है -“खेल में लिंग नहीं, केवल लगन मायने रखती है।” इन बेटियों ने साबित किया कि अगर अवसर मिले, तो गाँव से भी विश्व विजेता बन सकती है। अब यह हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि क्रिकेट अकादमियों, स्कूलों और परिवारों में बेटियों के हाथ में भी बल्ला थमाया जाए — क्योंकि अगली विश्व चैंपियन शायद हमारे ही शहर की कोई “शेफाली” हो।
भारतीय महिला क्रिकेट की प्रेरक पूर्व हस्तियाँ
भारतीय महिला क्रिकेट की नींव उन अदम्य खिलाड़ियों ने रखी, जिन्होंने संसाधनों की कमी, सामाजिक संकोच और आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद अपने जुनून से खेल को दिशा दी। आज जो बेटियाँ विश्व कप की चमक में नहाई हैं, वह इन्हीं अग्रणियों के परिश्रम का परिणाम है।
शांता रंगास्वामी – भारत की पहली महिला टेस्ट कप्तान। 1976 में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ़ भारत को पहली टेस्ट जीत दिलाई। उन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट की संरचना खड़ी की और बाद में बीसीसीआई महिला क्रिकेट समिति का नेतृत्व कर खेल प्रशासन में भी योगदान दिया।
डायना एडुल्जी – भारतीय महिला क्रिकेट की सबसे करिश्माई व्यक्तित्वों में से एक। बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाज़ी से कई महत्वपूर्ण जीत दर्ज कराईं। उन्होंने महिला क्रिकेट को बीसीसीआई की मुख्यधारा में लाने के लिए लंबा संघर्ष किया और बाद में क्रिकेट प्रशासक समिति (CoA) की सदस्य के रूप में भी सेवा दी।
संध्या अगरवाल – 1980 के दशक की भारतीय बल्लेबाज़ी की रीढ़। उनकी तकनीक और धैर्य ने टीम को मज़बूती दी। टेस्ट क्रिकेट में उनका बल्लेबाज़ी औसत आज भी प्रेरणादायक माना जाता है। चयनकर्ता और कोच के रूप में उन्होंने नई पीढ़ी को संवारने में अहम भूमिका निभाई।
अंजुम चोपड़ा – भारतीय महिला क्रिकेट की आधुनिकता की प्रतीक। पहली भारतीय महिला जिन्होंने 100 वनडे मैच खेले। अपने नेतृत्व, समझदारी और अनुशासन से उन्होंने महिला क्रिकेट को लोकप्रियता दिलाई। अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित हुईं।
मिताली राज – महिला क्रिकेट की “गंभीरता और गरिमा” का प्रतीक। दो दशकों तक भारतीय टीम की कप्तान रहीं। उनके नेतृत्व में भारत दो बार विश्व कप फाइनल तक पहुँचा। मिताली राज ने महिला क्रिकेट को विश्व स्तर पर सम्मान और दर्शक दिलाए।
झूलन गोस्वामी – भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी की परिभाषा। उनकी गेंदें बल्लेबाज़ों के लिए पहेली बन जाती थीं। उन्होंने टेस्ट और वनडे दोनों में सर्वाधिक विकेट लेकर भारतीय क्रिकेट इतिहास में अमिट छाप छोड़ी। पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित हुईं।
“इन पूर्व खिलाड़ियों ने उस समय संघर्ष किया जब सुविधाएँ नहीं थीं, सिर्फ़ सपने थे। उन्हीं के पसीने की बूँदों से आज की पीढ़ी ने विश्व कप की चमक हासिल की है।”
“भारतीय महिला टीम बनी विश्वविजेता – शेफाली और दीप्ति का जलवा, भारत ने रचा इतिहास



