Health

बच्चे को सांस की दिक्कत नहीं तो घर पर इलाज संभव, अभिभावक इन बातों का रखें ध्यान…

बच्चों में कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किए दिशा-निर्देश

नई दिल्ली । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को बच्चों में कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए अभिभावकों के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है। मंत्रालय का कहना है कि अभिभावक बच्चों की कुछ चीजों पर ध्यान रखेंगे तो संक्रमण की पहचान जल्दी हो सकेगी। इसके अलावा बच्चों कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर स्थिति में जाने से बचाया जा सकेगा सकेगा।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बच्चे की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव है लेकिन कोई लक्षण नहीं है तो ऐसे बच्चों को इलाज उतना ही आसान है जितनी जल्दी संक्रमण का पता चलेगा। हल्के लक्षण जैसे खांसी, गले में खराश है और नाक बह रही है लेकिन सांस संबंधी तकलीफ नहीं है तो घर पर उसका इलाज संभव है। हृदय, क्रॉनिक लंग डिसीज, मोटापा समेत अन्य तकलीफों से ग्रसित बच्चों का भी घर पर उपचार हो सकता है।

कुछ बच्चों का हो रहा एमआईएस सिंड्रोम
कुछ बच्चों मल्टीसिस्टम इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस) भी हो रहा है। इसमें बच्चों को बुखार, पेट में दर्द, उल्टी, दस्त, शरीर पर चकत्ते के साथ हृदय और न्यूरोलॉजिकल तकलीफ होती है। इस तरह की तकलीफ बच्चों के लिए गंभीर हो सकती है।

सांस गति पर नजर रखें 
-60 से कम नहीं हो सांस लेने की दर प्रति मिनट 2 माह के बच्चे की
-50 से कम नहीं हो सांस लेने की प्रति मिनट 1 साल के बच्चे की
-40 से कम नहीं हो सांस लेने की प्रति मिनट गति 5 साल के बच्चे की
-30 से कम नहीं हो सांस लेने की दर 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे की

बच्चों में ये दवाएं कारगर नहीं 
एंटीवायरल दवाएं जैसे हाइड्रो ऑक्सिक्लोरोक्वीन, फेविपिराविर, आईवरमेक्टिन, रेमडेसिविर, यूमिफेनोविर, इंटरफेरॉन, प्लाजमा, डेक्सामेथासोन

जल्दी संक्रमण पता चलेगा तो इलाज आसान होगा
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि संक्रमण की चपेट में आने वाले कुछ बच्चे बिना लक्षणों के हो सकते हैं वहीं कुछ बच्चों को बुखार खांसी सांस लेने में तकलीफ थकान मांस पेशी में दर्द नाक बहना गले में खराश डाल दिया स्वाद और सुगंध का चले जाना जैसे लक्षण दिखते हैं कुछ बच्चों ने पांच अन्य पेट संबंधी तकलीफ हो सकती है।

अभिभावक इन बातों का रखें ध्यान
-रेस्पिरेटरी रेट और ऑक्सीजन लेवल दिन में दो से तीन बार जांचें
-सीने को देखते रहे, शरीर का रंग तो नहीं बदल रहा, यूरीन आउटपुट पर रखें नजर
-छोटे बच्चों को कोई तकलीफ है तो तत्काल डॉक्टर से बात करें।

माइल्ड लक्षण वाले बच्चों का इलाज 
बुखार के लिए पेरासिटामोल 15 एमजी हर 4 से 6 घंटे पर। खांसी के लिए गरारा, तरल पदार्थ और पौष्टिक आहार दें।

मॉडरेट लक्षण वाले बच्चों का इलाज
बच्चों की उम्र के हिसाब से सांस की गति कम है तो इसका मतलब है कि बच्चे को मॉडरेट लक्षण हैं। बच्चों का ऑक्सीजन लेवल 90 से ऊपर होना चाहिए। ऐसे बच्चों का इलाज कोविड-19 अस्पताल में हो।
बच्चे को कोई दूसरी गंभीर बीमारी नहीं है तो नियमित कोई जांच जरूरी नहीं है। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ देना है। आईवी फ्लूड का इस्तेमाल संभव है।

गंभीर लक्षण वाले बच्चों का इलाज 
जिनका ऑक्सीजन लेवल 90 से कम है। सीना तेजी के साथ फूला रहा है। थकान सुस्ती और दौरे हैं। ऐसे लक्षण वाले बच्चों का इलाज अस्पताल के एचडीयू और आईसीयू में ही कराना चाहिए।

गंभीर संक्रमित बच्चों में यह जांच जरूरी 
मंत्रालय के अनुसार, ऐसे बच्चों में खून का थक्का, सूजन और अंग फेल होने से जुड़ी जांच जरूरी है। ब्लड काउंट, लिवर और किडनी फंक्शन टेस्ट के साथ एक्सरे जांच अनिवार्य है।

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