डा० विनोद कुमार गुप्त : समाजसेवा के महान दीपस्तंभ को विनम्र श्रद्धांजलि
"डॉ. विनोद गुप्त की अंतिम प्रेरणा : करजौली आश्रम गौशाला और मऊ धर्मशाला समाजसेवा की जीवंत मिसाल"
नई दिल्ली/वाराणसी : मध्यदेशीय वैश्य समाज के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा० विनोद कुमार गुप्त का लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे पिछले कई महीनों से कैंसर से पीड़ित थे और दिल्ली एम्स में उपचाररत थे। रविवार रात्रि लगभग 10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से समाज में गहरा शोक व्याप्त है। मद्धेशिया समाज और मध्यदेशीय वैश्य महासभा ने उन्हें एक ऐसे समाजसेवी के रूप में याद किया है, जिन्होंने चार दशकों से अधिक समय तक संगठन, शिक्षा और सामाजिक चेतना के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी।
बरहज बाज़ार (देवरिया) में 25 जुलाई 1955 को जन्मे डा० गुप्त एक सच्चे कर्मयोगी थे। उन्होंने 41 वर्षों तक शिक्षण कार्य में योगदान देते हुए अनेक छात्रों के जीवन को दिशा दी। हीरालाल रामनिवास पीजी कॉलेज, खलीलाबाद और विद्या मंदिर कॉलेज, फर्रुखाबाद में वे सम्मानित शिक्षक, उपाचार्य और प्राचार्य रहे। गोरखपुर विश्वविद्यालय से एमकॉम और महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, वाराणसी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया।
सामाजिक कार्य एवं संगठनात्मक जीवन में उनकी भूमिका अतुलनीय रही
1980 से लेकर 2000 तक वे मध्यदेशीय वैश्य महासभा के विभिन्न पदों पर सक्रिय रहे। प्रदेशाध्यक्ष और राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में उन्होंने संगठन को नई दिशा दी – समाज में सामूहिक विवाह, छात्रवृत्ति और एकता के अनेक कार्यक्रम प्रारंभ किए। उनकी प्रेरणा से लखनऊ, गोरखपुर, मऊ, फैजाबाद, बलिया, वाराणसी जैसे शहरों में समाज के लिए अनेक ऐतिहासिक सम्मेलन और सेवा कार्यक्रम हुए। डा० गुप्त ने पिछड़ा वर्ग आयोग में कानू जाति को ओबीसी सूची में शामिल कराने के अभियान में अग्रणी भूमिका निभाई – जिससे हजारों लोगों को शिक्षा और रोजगार में अवसर प्राप्त हुआ।
संत गणिनाथ महाविद्यालय, मऊ का नामकरण कराने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । उनके नेतृत्व में सामूहिक विवाह समारोहों की परंपरा 25 वर्षों तक निरंतर चलती रही – जो आज भी समाज में प्रेरणा का स्रोत है। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती चंदा गुप्ता भी शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित रहीं। तीन पुत्रियों और एक पुत्र सहित पूरा परिवार समाजसेवा और शिक्षा से जुड़ा हुआ है। उनके जाने से समाज का एक सशक्त स्तंभ ढह गया – पर उनकी शिक्षाएं, उनकी कर्मनिष्ठा और उनका आदर्श सदा जीवित रहेगा।
“डॉ. विनोद गुप्त की अंतिम प्रेरणा : करजौली आश्रम गौशाला और मऊ धर्मशाला समाजसेवा की जीवंत मिसाल”
मद्धेशिया समाज के वरिष्ठ समाजसेवी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा० विनोद कुमार गुप्त न केवल संगठन के सशक्त स्तंभ थे, बल्कि समाज सेवा के हर आयाम में उनकी दूरदृष्टि और समर्पण का उदाहरण मिलता है। मऊ में स्थित मध्यदेशीय वैश्य धर्मशाला का आज जो भव्य और आधुनिक स्वरूप समाज देख रहा है, वह पूरी तरह डा० विनोद गुप्त जी की दूरदर्शी सोच और अथक प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने धर्मशाला को केवल एक भवन नहीं, बल्कि समाज के एकता केन्द्र के रूप में विकसित किया। उनकी योजना और प्रयासों से धर्मशाला के पुनर्निर्माण, संरचना और सुविधाओं का विस्तार हुआ। आज यह स्थल न केवल धार्मिक और सामाजिक आयोजनों का केंद्र है, बल्कि पूरे पूर्वांचल के मद्धेशिया समाज के लिए गर्व का प्रतीक बन चुका है।
करजौली आश्रम में गौशाला की स्थापना भी उनकी महान सेवाओं में से एक थी। उन्होंने स्वयं इसके संचालन की नींव रखी और अस्वस्थता के दिनों में भी गौशाला के विकास को लेकर गहरी चिंता जताई। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझते हुए भी, उन्होंने अपने अंतिम समय तक गौसेवा के लिए आर्थिक सहयोग भेजना जारी रखा। उनका यह समर्पण उनके भीतर बसे संतत्व और करुणा का प्रतीक है। अब यह जिम्मेदारी करजौली आश्रम समिति और मऊ मध्यदेशीय समाज की है कि वे इस गौशाला की परंपरा को आगे बढ़ाएं और इसे डॉ. गुप्त जी के सपनों के अनुरूप समृद्ध बनाएं। उनका यह संदेश समाज के लिए प्रेरणा है – “सेवा का मार्ग कठिन जरूर है, पर यदि मन में निष्ठा हो तो हर कार्य साध्य बन जाता है।”
वर्ष 2025 : मद्धेशिया समाज के लिए गहरा शोक – तीन विभूतियों के निधन से समाज हुआ स्तब्ध
वर्ष 2025 मद्धेशिया समाज के इतिहास में एक काला अध्याय बनकर दर्ज हो गया। इस वर्ष समाज ने अपनी तीन ऐसी विभूतियों को खो दिया, जिनके योगदान को शब्दों में समेटना कठिन है। पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष स्व. राम आधार गुप्ता जी, पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्व. रामस्वरूप गुप्ता जी और पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री स्व. डॉ. विनोद कुमार गुप्ता जी – ये तीनों नाम मद्धेशिया समाज की पहचान, दिशा और चेतना के प्रतीक रहे।
तीनों ही विभूतियों का सम्बन्ध देवरिया जनपद से था, और तीनों ने अपने कर्म, नेतृत्व और सेवा से समाज को नई ऊँचाइयाँ दीं। स्व. राम आधार गुप्ता जी ने संगठन को एकजुटता की दिशा दी, स्व. रामस्वरूप गुप्ता जी ने समाज में समरसता और सहयोग की भावना को जीवित रखा, जबकि स्व. डॉ. विनोद गुप्ता जी ने शिक्षा, संगठन और सेवा के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी।
इनके निधन से न केवल देवरिया, बल्कि पूरे देश-विदेश में फैले मद्धेशिया समाज में गहरा शोक और मर्माहट है। वरिष्ठ समाजसेवियों का कहना है कि -“यह वर्ष समाज के लिए अत्यंत पीड़ादायक रहा। जिन तीन स्तंभों पर समाज की मजबूती टिकी थी, वे तीनों अब नहीं रहे। उनकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता।”
बाबा गणिनाथ भक्त मण्डल, मध्यदेशीय वैश्य महासभा (भारत, नेपाल, बांग्लादेश) एवं मद्धेशिया ऑनलाइन इंटरनेशनल कोर कमेटी की ओर से डा० विनोद गुप्त जी के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए – यह संकल्प दोहराया गया है कि उनका अधूरा सपना – “एकजुट, शिक्षित और संस्कारित समाज” – पूर्ण किया जाएगा।
“जब किसी विशाल वृक्ष की छाया में बैठो, तो याद करो जिसने उसे लगाया, सींचा और सुरक्षित रखा।” डा० विनोद गुप्त ऐसे ही समाज के उस महान वृक्ष थे, जिनकी छाया में अनगिनत लोगों ने सुकून का अनुभव किया।
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