‘बंगलादेश में हालात सुधारने के लिए निष्पक्ष, समावेशी चुनाव हो ‘ : मानवाधिकार विशेषज्ञ
नयी दिल्ली : देश के कूटनीतिक एवं मानवाधिकार विशेषज्ञों का मानना है कि बंगलादेश की स्थिति को नियंत्रित करने एवं अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को वहां अविलंब निष्पक्ष और सर्वसमावेशी चुनाव कराने का प्रयास करना चाहिए।दिल्ली सिविल सोसाइटी के तत्वावधान में बंगलादेश में भारत की उच्चायुक्त रहीं पूर्व राजनयिक श्रीमती वीणा सिकरी, खुफिया ब्यूरो के पूर्व निदेशक एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य राजीव जैन तथा विभिन्न सामाजिक संगठनों ने यह विचार व्यक्त किया।
बंगलादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए दिल्ली सिविल सोसाइटी ने 10 दिसंबर को बंगलादेश उच्चायोग तक मार्च निकालने का फैसला किया है। यह आयोजन बंगलादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे बढ़ते मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ आवाज उठाना तथा हिंदू समुदाय एवं अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा और उत्पीड़न की ओर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया है।वक्ताओं ने बंगलादेश में बिगड़ती मानवाधिकार स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की और अल्पसंख्यकों पर हो रहे व्यवस्थित अत्याचारों को उजागर किया। बंगलादेश, जो कभी बहु-जातीय और बहु-धार्मिक सह-अस्तित्व का प्रतीक था, वहां हिंदू जनसंख्या 1977 में 25 फीसदी से घटकर आज मात्र 8 फीसदी रह गई है।
गत 05 अगस्त की राजनीतिक उथल-पुथल, जिसमें एक संवैधानिक रूप से चुनी गई सरकार को हटाया गया, ने इस संकट को और गहरा कर दिया है।उन्होंने कहा कि चरमपंथी ताकतों ने इस अशांति का फायदा उठाकर अल्पसंख्यकों पर हत्या, बलात्कार, यातना, आगजनी और अमानवीय उत्पीड़न जैसे जघन्य अपराध किए, जिसमें खासकर महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाया गया। अंतरिम सरकार और संबंधित संस्थानों पर निष्क्रियता का आरोप लगाया गया, जिसने अपराधियों को और अधिक दुस्साहसी बना दिया।उन्होंने कहा कि आयोजकों और प्रतिभागियों ने इन अत्याचारों की निंदा की और इन मानवाधिकार उल्लंघनों को रोकने के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने हिंसा को तुरंत रोकने, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों के तहत अधिकारों को लागू करने और इस्कॉन संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को अन्यायपूर्ण कैद से मुक्त करने की मांग की।वक्ताओं ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और बंगलादेश में शांति और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक एकजुटता तथा मानवाधिकार उल्लंघनों को रोकने के लिए तुरंत हस्तक्षेप की अपील की। उन्होंने मांग की कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियों और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप मानवाधिकारों को लागू किया जाए। हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ लक्षित हिंसा को तुरंत रोका जाए।
इस्कॉन संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास सहित सभी धार्मिक नेताओं को अन्यायपूर्ण कैद से रिहा किया जाए। अपराधियों को जवाबदेह ठहराने और पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाया जाए। बंगलादेश में सभी धार्मिक समुदायों के बीच सौहार्द और सह-अस्तित्व की वकालत किया जाए।प्रतिभागियों ने पीड़ितों के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से चल रहे अत्याचारों को रोकने के लिए निर्णायक कदम उठाने का आग्रह किया। सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों ने न्याय, समानता और सभी के मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए अपने समर्पण को दोहराया।
विदेश सचिव सोमवार को बंगलादेश जाएंगे
बंगलादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट होने के बाद दोनों देशों के बीच पहली बार हो रही विदेश कार्यालय स्तर की परामर्श बैठक में शामिल होने के लिये विदेश सचिव विक्रम मिस्री सोमवार को ढाका जायेंगे।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को यहां नियमित ब्रीफिंग में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा किबंगलादेश के साथ विदेश कार्यालय स्तर की परामर्श बैठक (एफओसी) पर विदेश सचिव नौ दिसंबर को ढाका जाने वाले हैं। यह बंगलादेश पक्ष के साथ हमारी संरचित बातचीत का हिस्सा है।
विदेश सचिव की यात्रा में बंगलादेश के साथ बातचीत में भारतीय हितों एवं अपेक्षाओं के बारे में एक सवाल पर श्री जायसवाल ने कहा, “ इस मुद्दे पर हम पहले भी बात कर चुके हैं। हम अपनी अपेक्षा को दोहराना चाहेंगे कि बंगलादेश में चल रही प्रासंगिक कानूनी प्रक्रियाओं को निष्पक्ष, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से क्रियान्वित किया जाये, जिससे संबंधित व्यक्तियों के कानूनी अधिकारों का पूरा सम्मान सुनिश्चित हो सके। ”(वार्ता)
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