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दो दशक में दसवीं बार मुख्यमंत्री: नीतीश कुमार ने रचा नया राजनीतिक कीर्तिमान

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लगभग दो दशकों में दसवीं बार शपथ लेकर भारतीय राजनीति में नया रिकॉर्ड कायम किया है। हालिया विधानसभा चुनाव में उम्र, स्वास्थ्य और लोकप्रियता में कमी जैसे मुद्दों के बावजूद मतदाताओं ने उन पर भरोसा जताया। विशेष रूप से महिला मतदाताओं के 71 प्रतिशत से अधिक मतदान और 10 हजार रुपये की सहायता राशि का बड़ा प्रभाव दिखा। भाजपा–जदयू गठबंधन ने 101-101 सीटों पर संयुक्त रूप से चुनाव लड़कर मजबूत प्रदर्शन किया। स्वच्छ छवि, अनुभव और स्थिर नेतृत्व के कारण नीतीश कुमार एक बार फिर राज्य की पसंद बने।

  • महिला मतदाताओं के भारी समर्थन और राजग की संयुक्त रणनीति ने दिलाई ऐतिहासिक जीत

पटना : लगभग दो दशक से बिहार की राजनीति के प्रमुख चेहरे रहे जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नेता नीतीश कुमार ने गुरुवार को दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर भारतीय राजनीति में एक नया रिकॉर्ड बनाया है। शपथ ग्रहण के साथ ही उन्होंने यह साबित कर दिया कि लंबे कार्यकाल, उम्र और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के बावजूद उनका राजनीतिक प्रभाव और जनाधार अब भी कायम है।

हाल में सम्पन्न विधानसभा चुनाव को नीतीश कुमार के लिए सबसे कठिन परीक्षा माना जा रहा था। लोकप्रियता में कमी की अटकलों, विपक्ष के आरोपों और मीडिया से दूरी जैसे मुद्दों के बावजूद मतदाताओं ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को स्पष्ट समर्थन दिया और नीतीश कुमार को पुनः नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंप दी।

महिला मतदाताओं का निर्णायक योगदान

इस चुनाव में महिला मतदाताओं ने राजग की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राज्य में 71.6 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया, जो पुरुषों के मुकाबले लगभग नौ प्रतिशत अधिक है। राज्य सरकार की महिला-केंद्रित योजनाओं और हाल में 1.4 करोड़ से अधिक महिलाओं को 10 हजार रुपये की राशि दिए जाने का असर मतदान व्यवहार में स्पष्ट दिखाई दिया। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ‘जीविका’ समूह और सरकारी योजनाओं की लाभार्थी महिलाओं ने राजग के पक्ष में मजबूती से मतदान किया।

एनडीए की संयुक्त रणनीति और वोट ट्रांसफर

इस चुनाव में भाजपा और जदयू ने 101-101 सीटों पर गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों की संयुक्त छवि ने गठबंधन के पक्ष में माहौल तैयार किया। गठबंधन के भीतर सीट-स्तर समन्वय और ग्रामीण कैडर की सक्रियता ने भाजपा-जदयू के बीच वोट ट्रांसफर को सुचारू रखा, जिससे कई सीटों पर कड़ी टक्कर में लाभ मिला।

स्वच्छ छवि और नेतृत्व पर भरोसा

विपक्ष द्वारा नीतीश कुमार पर ‘अकार्यकुशलता’, ‘बुजुर्ग नेतृत्व’ और ‘नौकरशाही के बढ़ते प्रभाव’ जैसे आरोप लगाए गए थे। इसके बावजूद नीतीश कुमार की स्वच्छ और ईमानदार छवि, लंबे प्रशासनिक अनुभव और स्थिर सरकार की अपेक्षा ने मतदाताओं में विश्वास बनाए रखा। उन पर व्यक्तिगत भ्रष्टाचार का कोई आरोप न होना भी उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता का प्रमुख कारक बना।

नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर

नीतीश कुमार का राजनीतिक करियर चार दशकों से अधिक का रहा है। वे 1951 में पटना जिले के बख्तियारपुर में जन्मे और छात्र जीवन में जेपी आंदोलन से जुड़े। पहली चुनावी सफलता उन्हें 1985 में मिली। इसके बाद वे 1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 में लोकसभा के लिए चुने गए। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकारों में वे रेल मंत्री, कृषि मंत्री और भूतल परिवहन मंत्री रहे।

2000 में पहली बार मुख्यमंत्री बने, पर बहुमत न होने के कारण सात दिन में इस्तीफा दिया। 2005, 2010 और 2015 में वे पूर्ण कार्यकाल के लिए सत्ता में लौटे। वर्षों में कई बार गठबंधन परिवर्तन के बावजूद उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता बनी रही। जनवरी 2024 में वे पुनः राजग में लौटे और नौवीं बार मुख्यमंत्री बने। नवीनतम शपथ के साथ अब वे दस बार मुख्यमंत्री बनने वाले देश के चुनिंदा नेताओं में शामिल हो गए हैं।

चुनाव परिणामों ने संकेत दिया है कि बिहार के मतदाताओं ने इस बार अनुभव, स्थिरता और निरंतरता को प्राथमिकता दी।
राजग की जीत को राजनीतिक विश्लेषक महिलाओं के संगठित समर्थन, ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं की पहुंच और गठबंधन की रणनीतिक एकता का परिणाम मान रहे हैं।

शपथग्रहण समारोह में केंद्रीय शक्ति के रूप में विराजमान थे प्रधानमंत्री मोदी

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी मंच पर किसी केंद्रीय शक्ति की तरह विराजमान थे।बिहार के मुख्यमंत्री श्री कुमार और मंत्रीगण के शपथ ग्रहण के लिए बने मंच पर दाहिनी तरफ मंत्रियो और वरिष्ठ नेताओं के समूह का नेतृत्व गृहमंत्री अमित शाह कर रहे थे। इस दीर्घा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) घटक दलों के नेता, केंद्रीय मंत्री और सभी वरिष्ठ नेता बैठे हुए थे।प्रधानमंत्री नरेंद मोदी मंच के ठीक मध्य में बैठे हुए थे, जिन्हें देख कर कोई भी कह सकता था कि देश की सत्ता के केंद्र वही हैं।

श्री मोदी की बायीं तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठे हुए थे, जो बता रहा था कि बिहार का ‘सिरमौर’ कौन है। प्रधानमंत्री मोदी की दाहिनी ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल के नेता और सम्राट चौधरी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बायीं तरफ भाजपा विधायक दल के उपनेता और विजय कुमार सिन्हा विराजमान थे।इस व्यवस्था को देख कर कोई भी समझ सकता था कि मुख्यमंत्री की कुर्सी भले ही श्री कुमार के पास है, लेकिन सत्ता के समन्वय के लिए भाजपा ने दोनो तरफ दो मजबूत उप मुख्यमंत्री बैठा रखे हैं।

शपथ मंच पर गूंजा ‘मोदी- नीतीश हिट’, जीत को लेकर लोगों ने रखे अपने- अपने पक्ष

बिहार की राजधानी पटना में गुरुवार को उत्साह, ऊर्जा और उम्मीदों से भरे दिन के बीच राज्य के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में लोगों का जोश देखने लायक था।मंच से बज रहे चुनावी लोकगीत ‘जोड़ी मोदी अउर नीतीश जी के हिट हो गईल’ ने माहौल को और भी रंगीन बना दिया। धुन शुरू होते ही समारोह स्थल तालियों और नारों से गूंज उठा।समारोह में पहुंचे अरवल के राम गोविंद सिंह ने इस भारी बहुमत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का नतीजा बताया। उनके अनुसार, ‘मोदी जी के नेतृत्व और उनकी कार्यशैली ने ही बिहार में यह बड़ा जनादेश दिलाया है।

‘दूसरी ओर नालंदा के आलोक महतो का मानना था कि नीतीश कुमार की साफ छवि और लंबे शासन का भरोसा जीत का बड़ा कारण बना है।दोनों के बीच चल रही चर्चा को सारण से आई छात्रा रेखा कुमारी ने सहज शब्दों में समाप्त कर दिया। उसने कहा कि, ‘यह जीत किसी एक की नहीं, बल्कि सामूहिक जीत है। राजग की जीत है और जनता की जीत है। यह गाना भी यही कह रहा है, मोदी और नीतीश की जोड़ी ही इस बार विजेता रही है।‘इस बहस के बीच अचानक आसमान में तेज गड़गड़ाहट सुनाई दी। लोगों का ध्यान मंच से हटकर ऊपर की ओर चला गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हेलीकॉप्टर समारोह स्थल के ऊपर मंडराता हुआ दिल्ली की ओर रवाना हो रहा था।

भीड़ के बीच से एक सुर में आवाज उठी, ‘यह प्रचंड जीत का शंखनाद है।‘लोगों ने हाथ लहराकर प्रधानमंत्री का अभिवादन किया। कई लोग इस ऐतिहासिक क्षण को अपने मोबाइल में कैद करते भी नजर आये।पूरा समारोह स्थल उत्साह, उम्मीद और जश्न में डूबा रहा। समर्थकों का उत्साह इस बात का संकेत था कि बिहार में नई सरकार से जनता बड़ी अपेक्षायें रखती है। पटना का यह शपथ ग्रहण समारोह राजग की जीत, नेतृत्व की स्वीकार्यता और जनता की सहभागिता का प्रतीक बन गया है।गीत की धुन से लेकर हेलीकॉप्टर की उड़ान तक हर दृश्य यह संदेश देता रहा कि बिहार में नई सरकार का सफर भारी जनसमर्थन और ऊर्जा के साथ शुरू हो चुका है।

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