
गेंदा और बिजली के फूल की खेती कर अपनी तकदीर बदल रहा किसान
देश के किसान अब परंपरागत खेती के साथ ही नए-नए नवाचार से भी जुड़ रहे हैं। ऐसे ही प्रगतिशील किसान उत्तर प्रदेश में नवाचार को अपनाकर अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। दरअसल, राजधानी लखनऊ का पड़ोसी जिला बाराबंकी कभी अफीम का गढ़ माना जाता था, लेकिन अब ये जिला देशी-विदेशी फूलों की बेल्ट के रूप में जाना जाने लगा है। इस बदलाव के पीछे यहां के किसानों की मेहनत और लगन है, जिन्होंने परंपरागत खेती से हटकर फूलों की खेती करने की शुरुआत की।
सब्जियों की खेती के साथ फूलों की खेती
दरअसल, बाराबंकी के किसान सब्जियों की खेती के साथ ही गेंदा, बिजली के फूलों की खेती भी बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। बाराबंकी के ही युवा किसान प्रमोद वर्मा स्नातक की पढ़ाई के बाद इस पेशे से जुड़े। उन्होंने बड़े पैमाने पर गेंदा के फूल की खेती के माध्यम से अपनी तकदीर बदल दी।
उद्यान विभाग से ली जानकारी
प्रमोद बताते हैं कि पहले वह धान, गेहूं की खेती करते थे, लेकिन उसमें बहुत ज्यादा फायदा नहीं होता था। प्रमोद ने बताया कि उन्होंने उद्यान विभाग से संपर्क किया। वहां से उन्हें सब्जियों और फूलों की खेती साथ-साथ करने के बारे में जानकारी मिली। इसकी शुरुआत उन्होंने सब्जी की खेती से की। इसके बाद फूलों के बारे में काफी जानकारी जुटाई और अब दोनों की खेती कर रहे हैं। खास बात ये है कि थोड़ा-थोड़ा करके वह कई तरह के फूलों की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बिजली नाम के पौधे से काफी मुनाफा हो रहा है।प्रमोद वर्मा में अपने सब्जियों की खेती के साथ ही पिछले साल दो बीघे की जमीन में गेंदे के फूल की खेती की, जिसमें अच्छा मुनाफा कमाया। इस बार क्षेत्रफल बढ़ाते हुए प्रमोद एक एकड़ में इसकी खेती कर रहे हैं।
युवाओं के लिए बने प्रेरणा
अपने उत्पादन और लाभ की वजह से प्रमोद युवा किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। इतना ही नहीं आस-पास के किसान उनकी सब्जियों और फूलों की खेती देखने के लिए आ रहे हैं। इस बारे में प्रगतिशील किसान अनिल बताते हैं कि गेंदे की खेती से मुनाफा 4 से 5 गुना बढ़ जाता है। बाजार में गेंदे के फूल 80 रुपये किलो तक बिकते हैं। यानी अगर किसान ऐसी खेती करें तो आय बढ़ाने के साथ आमदनी में भी इजाफा होगा।