नई दिल्ली । भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है, लेकिन इस बीच कई राज्यों ने टीके की कमी की शिकायत की है। इस बीच एक्सपर्ट्स ने कोरोना वैक्सीन की कमी दूर करने के लिए सुझाव दिया है और कहा है कि वैक्सीन को प्रोडक्शन बढ़ाए बिना टीका लगाने का तरीका बदलने से किल्लत दूर होगी।
एक डोज से पांच लोगों को लग सकेगी वैक्सीन
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर वैक्सीन को मांसपेशियों लगाने के बजाय त्वचा की दूसरी परत (डर्मल) में लगाई जाए तो इसमें वैक्सीन की मात्रा भी कम लगेगी और टीका का असर भी कम नहीं होगा। अभी वैक्सीन की एक डोज लगाने में जितनी मात्रा की जरूरत है, उतने में 5 लोगों को वैक्सीन लग सकेगी।
इंट्रामस्कुलर तरीके से दी जा रही है वैक्सीन
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल देश में कोरोना वैक्सीन इंट्रामस्कुलर तरीके से लगाई जा रही है यानी इंजेक्शन से वैक्सीन को गहराई में मौजूद मांसपेशियों में पहुंचाया जा रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर वैक्सीन इंट्राडर्मल तरीके दी जाए यानी त्वचा की दूसरी परत में लगाई जाए तो 0.5 ml के बजाय 0.1 ml मात्रा ही काफी होगी. इस तरह इंट्रामस्कुलर तरीके से एक डोज में वैक्सीन की जितनी मात्रा दी जाती है, उतने में इंट्राडर्मल तरीके से 5 लोगों टीका लगाया जा सकता है।
एक्सपर्ट ने रैबीज वैक्सीन का दिया हवाला
टेक्निकल एडवाइजरी कमिटी के चेयरमैन डॉक्टर एमके सुदर्शन ने रैबीज वैक्सीन का हवाला दिया है, जो रैबीज की वैक्सीन पर काफी काम कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि रैबीज वैक्सीन लगाने के लिए इंट्रामस्क्यूलर की जगह इंट्राडर्मल तरीके का उपयो किया गया और यह काफी कारगर रही।
अब तक दी गई वैक्सीन की 26.55 करोड़ डोज
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में अब तक (17 जून, सुबह 7 बजे तक) कोरोना वैक्सीन की 26 करोड़ 55 लाख 19 हजार 251 वैक्सीन की डोज दी गई है. देश में अब तक 21 करोड़ 58 लाख 48 हजार 80 पहली डोज लगाई गई है, जबकि 4 करोड़ 96 लाख 71 हजार 171 लोग टीके की दोनों डोज ले चुके हैं।