
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार है इसीको ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मजबूत और जीवंत शिक्षा प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया गया है।श्रीमती मुर्मु ने मंगलवार को यहां महान शिक्षाविद्, असाधारण शिक्षक और पूर्व राष्ट्रपति, डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती ‘शिक्षक दिवस’ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में देश भर के 75 शिक्षकों को उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान करने के मौके पर यह बात कही।
उन्होंने कहा , “ राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एक मजबूत और जीवंत शिक्षा प्रणाली को विकसित करने पर जोर दिया गया है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार माना गया है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में शिक्षकों की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। ”उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा नीति भारतीय संस्कारों और गौरव से जुड़ने को प्राथमिकता देती है। भारत की प्राचीन तथा आधुनिक संस्कृति, ज्ञान प्रणालियों और परम्पराओं से प्रेरणा प्राप्त करना भी शिक्षा नीति का स्पष्ट सुझाव है।
उन्होंने कहा , “ हमारे शिक्षक और विद्यार्थी चरक, सुश्रुत तथा आर्यभट से लेकर पोखरण और चंद्रयान-3 तक की उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें, उनसे प्रेरणा लें तथा बड़ी सोच के साथ राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए कार्य करें। हमारे विद्यार्थी और शिक्षक मिलकर कर्तव्य काल के दौरान भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में तेजी से आगे ले जाएंगे, यह मेरा दृढ़ विश्वास है। ”राष्ट्रपति ने कहा कि किसी के भी जीवन में आरंभिक शिक्षा का बुनियादी महत्व होता है। अनेक शिक्षाविदों द्वारा बच्चों के संतुलित विकास के लिए बच्चों के दिमाग और आत्मा के विकास को जरूरी बताया गया है जिससे उनका सर्वांगीण विकास संभव हो पाता है।
उन्होंने कहा, “ मेरा मानना है कि हृदय का विकास अर्थात चरित्र-बल और नैतिकता का विकास सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। जैसे किसी मकान की मजबूती उसकी नींव के मजबूत होने पर आधारित होती है, उसी तरह जीवन को सार्थक बनाने के लिए चरित्र-बल की आवश्यकता होती है। चरित्र-बल का निर्माण बच्चों की आरंभिक शिक्षा के दौरान शुरू हो जाता है। ”उन्होंने कहा कि श्रम, कौशल एवं उद्यम के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए इस वर्ष कौशल विकास और उद्यमशीलता के क्षेत्रों में योगदान देने वाले शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया है। साथ ही, उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापन करने वाले शिक्षकों को भी पुरस्कृत किया गया है।
पुरस्कृत शिक्षकों में महिलाओं की कम संख्या का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें वृद्धि होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “ मेरा ध्यान इस बात पर गया कि पूरे देश के स्कूलों में शिक्षिकाओं की संख्या 51 प्रतिशत से अधिक है जबकि आज के पुरस्कार विजेताओं में उनकी संख्या 32 प्रतिशत है। उच्च शिक्षण संस्थानों में पुरस्कृत शिक्षिकाओं की संख्या केवल 23 प्रतिशत है जबकि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार उन संस्थानों में महिला अध्यापिकाओं की कुल संख्या लगभग 43 प्रतिशत है। अध्यापन कार्य में महिलाओं की भागीदारी को देखते हुए मैं चाहूंगी कि राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो। छात्राओं और अध्यापिकाओं को प्रोत्साहित करना महिला सशक्तीकरण के लिए बहुत जरूरी है।
”उन्होंने कहा कि हर बच्चे की विशिष्ट क्षमताओं को समझना और उन क्षमताओं को विकसित करने में बच्चे की मदद करना शिक्षकों का भी कर्तव्य है और अभिभावकों का भी। बच्चे की मदद करने के लिए, शिक्षकों में बच्चे के प्रति संवेदनशीलता का होना आवश्यक है। शिक्षक स्वयं भी माता-पिता होते हैं। कोई भी माता-पिता यह नहीं चाहते कि उनके बच्चे को मात्र एक समूह के सदस्य के रूप में देखा जाए। हर माता-पिता यह चाहते हैं कि उनके बच्चे पर विशेष ध्यान दिया जाए और उनके साथ प्रेम का व्यवहार किया जाए। (वार्ता)
LIVE: President Droupadi Murmu’s address at the presentation of National Awards to teachers on the occasion of Teachers’ Day https://t.co/yJD3bJ13p4
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 5, 2023
President Droupadi Murmu conferred National Awards on teachers from across the country on the occasion of Teachers’ Day. The President said that quality education is considered the fundamental right of every child and role of teachers is the most important in nation-building.… pic.twitter.com/ICSXQGMZ1I
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