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एपीएस रीवा के टीआरएस कॉलेज के तीन पूर्व प्राचार्य सहित 19 लोगों के विरुद्ध आर्थिक अपराध दर्ज
सिंंगरौली। एपीएस विश्वविद्यालय (रीवा यूनिवर्सिटी) के पुरातन प्रतिष्ठित ठाकुर रणमत सिंह स्वशासी महाविद्यालय में पिछले 2 वित्त वर्ष की अवधि में बड़े पैमाने पर हेराफेरी एवं आर्थिक घोटाले के मामले में ईओडब्ल्यू ने तीन पूर्व प्राचार्यों डॉ रामलला शुक्ल पर डेढ़ करोड़, डॉ सत्येंद्र शर्मा पर 15 लाख और डॉ एस यू खान पर 32 लाख गबन करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराया है।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की ओर से ईओडब्लू ने तीन प्राचार्य सहित 19 लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज किया है। इस कार्रवाई से महाविद्यालय सहित यूनिवर्सिटी प्रबंधन में हड़कंप मच गया है।
ईओडब्ल्यू के एसपी वीरेंद्र जैन द्वारा बताया गया कि पिछले 2 वर्षों में 4.30 करोड़ का घोटाला हुआ है जिसमें प्राचार्य द्वारा आर्थिक अनियमितता की गई है। यहां के प्राचार्य द्वारा जन भागीदारी निधि के खाते से अपने बैंक अकाउंट में धनराशि डाली गई है। इस मामले की शिकायत मिलने पर अपराध दर्ज कर जांच शुरू की गई है। उन्होंने बताया कि इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) बी एवं 13 (2) के साथ ही आईपीसी की धारा एवं 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
ऑपरेटरों की बिना नियुक्ति के निकाल लिए पैसे
यहां प्राचार्य ने मानदेय यात्रा भत्ता टेलीफोन भत्ता परिश्रमिक प्रश्न पत्र बनाने उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन की दरें मार्क फीडिंग टेबुलेशन सहित डाटा एंट्री ऑपरेटरों की के नाम से मूल्यांकन की दरें वित्त विशेषज्ञों की अनुपस्थिति में बैठक कर पारित कर ली गई है। मूल्यांकन के बिलों पर रामलला शुक्ला ने और नियंत्रक डॉ अजय शंकर पांडे ने हस्ताक्षर किये हैं। जबकि प्रोफेसरों सहायक प्रोफेसरों ने इसकी मांग ही की नहीं, बावजूद इसके पैसे निकाले गए। इस कार्यवाही से कॉलेज कर्मचारियों में हड़कंप मचा है।
इन प्रोफेसरों पर लटक रही तलवार टीआरएस कॉलेज में घोटाले की एफ आई आर में 19 लोगों के नाम बताए जा रहे हैं। जिसमें तत्कालीन प्राचार्य रामलला शुक्ला तत्कालीन प्राचार्य डॉ एसयू खान, तत्कालीन प्राचार्य डॉ सत्येंद्र शर्मा सहित परीक्षा नियंत्रक अजय शंकर पांडे, डॉ कल्पना अग्रवाल, डॉ संजय सिंह, डॉ आरपी चतुर्वेदी, डॉ सुशील कुमार दुबे, डॉ अवध प्रताप शुक्ला, डॉ आरएन तिवारी, डॉक्टर एसएन पांडे, डॉ आरके धुर्वे, डॉ एच डी गुप्ता, श्रमिक प्रियंका मिश्रा, प्रभात प्रजापति, भृत्य राम प्रकाश चतुर्वेदी व तत्कालीन लेखापाल शामिल बताए गए हैं।