डीआरडीओ ने किया स्वदेशी होवित्जर तोप (एटीएजीएस) का सफल परीक्षण
नई दिल्ली : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने शनिवार को देश में बनी ATAGS (एडवांस टावर आर्टिलरी गन सिस्टम) होवित्जर तोप का ओडिशा के बालासोर फायरिंग रेंज में परीक्षण किया। यह तोप 48 किलोमीटर तक लक्ष्य साध सकती है। इस समय सेना को 1800 आर्टिलरी गन की जरूरत है। डीआरडीओ के मुताबिक, यह तोप इस जरूरत को पूरा सकती है। इसके बाद विदेश से तोपें मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
डीआरडीओ के एटीएजीएस प्रोजेक्ट डायरेक्टर शैलेंद्र वी गढ़े ने कहा, `यह दुनिया की सबसे अच्छी तोप है। अभी तक कोई दूसरा देश ऐसी तोप विकसित करने में सक्षम नहीं है। डीआरडीओ के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह दुनिया की सबसे अच्छी तोप है। इससे भारतीय सेना को और ज्यादा ताकत मिली है। यह तोप भारतीये सेना की 1800 आर्टिलरी गन सिस्टम की जरूरत को पूरा करने में सक्षम है। डीआरडीओ ने कहा है कि अब इस क्षेत्र में आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उन्होंने बताया कि, इस तोप को तीन साल के भीतर डिजाइन किया गया और परीक्षण के लिए रखा गया। जल्द ही, इसको पीएसक्यूआर परीक्षणों के अधीन किया जाएगा। हम उम्मीद कर रहे हैं कि तोपखाना प्रणाली क्षेत्र में भारत के पास सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। एटीएजीएस के फील्ड ट्रायल के दौरान डीआरडीओ के साइंटिस्ट और प्रोजेक्ट के डायरेक्टर शैलेंद्र वी गढ़े ने बताया कि यह गन सिस्टम अब तक भारत की सबसे बड़ी ताकत रही बोफोर्स समेत दुनिया की किसी भी तोप से बेहतर है। इसमें काफी तेज माना जाने वाला इजरायल का गन सिस्टम ATHOS भी शामिल है। हम इस तोप का परीक्षण चीन सीमा के पास सिक्किम और पाकिस्तान सीमा के पास पोखरण में कर चुके हैं। वहां इससे 2 हजार से ज्यादा गोले दागे गए थे।
एडवांस टोड ऑर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) डीआरडीओ ने डेवलप किया गया है। इन्हें दो प्राइवेट कंपनियों भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने बनाया है। गढ़े ने बताया कि भारतीय सेना को इस समय 1580 टोड तोपों के अलावा 150 ATAGS और 114 धनुष तोपों की जरूरत है। इस तरह सेना को कुल 1,800 तोपें चाहिए। यह गन सिस्टम जिस तरह परफॉर्म कर रहा है, उससे लगता है कि इसी से इन 1800 तोपों की जरूरत पूरी हो जाएगी। गौरतलब है कि, सरकार स्वदेशी तकनीक के जरिए हथियारों को बनाने पर जोर दे रही है, ताकि देश को रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनाया जा सके।