हर व्यक्ति की गरिमा और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता : न्यायमूर्ति डा. डी.के. अरोड़ा
लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग में अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। “हमारी दैनिक आवश्यकताएं” थीम पर न्यायविदों, अधिकारियों और प्रशिक्षु छात्रों ने अपने विचार साझा किए। आयोग द्वारा मानवाधिकार जागरूकता हेतु ब्रोशर भी जारी किया गया। कार्यक्रम में गरिमा, समानता और मौलिक अधिकारों के संरक्षण पर जोर दिया गया।
लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग, लखनऊ स्थित ऑडिटोरियम में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति डॉ. डी. के. अरोड़ा, विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति सुधीर सक्सेना, आयोग के वरिष्ठ सदस्य न्यायमूर्ति राजीव लोचन मेहरोत्रा, सदस्य बृज भूषण, पुलिस महानिदेशक संदीप सालुंके, सचिव संजय कुमार, विधि अधिकारी अल्पना शुक्ला, संयुक्त सचिव वेद प्रकाश द्विवेदी, वित्त एवं लेखाधिकारी अंकिता मिश्रा, अनु सचिव आलोक यादव सहित आयोग के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों ने सहभागिता की। इस वर्ष मानव अधिकार दिवस की थीम “हमारी दैनिक आवश्यकताएं” निर्धारित की गई।
कार्यक्रम में आयोग के शीतकालीन इंटर्नशिप कार्यक्रम से जुड़े प्रशिक्षु छात्र-छात्राओं-आयुष पाठक, श्रुति मेहता, अन्तरा शुक्ला और दिव्यांशी-ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए थीम पर अपने विचार साझा किए। सचिव संजय कुमार ने स्वागत भाषण देते हुए मानव अधिकार दिवस के महत्व तथा उपस्थित अतिथियों, अधिवक्ताओं, मीडिया प्रतिनिधियों और प्रशिक्षुओं को संबोधित किया। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति डॉ. डी. के. अरोड़ा ने कहा कि मौलिक अधिकार निरपेक्ष नहीं होते, इन पर उचित प्रतिबंध लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि क़ानून की दृष्टि में प्रत्येक व्यक्ति समान है और मानवाधिकारों की सार्वजानिक घोषणा किन परिस्थितियों में की गई थी, इस पर भी प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति सुधीर सक्सेना ने अपने वक्तव्य में कहा कि गरिमा की शुरुआत घर से होती है। उन्होंने समाज में महिलाओं और बच्चियों की गरिमा बनाए रखने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया।
आयोग के वरिष्ठ सदस्य न्यायमूर्ति राजीव लोचन मेहरोत्रा ने कहा कि स्वच्छ हवा में सांस लेने का अधिकार भी मानवाधिकार है, और चाहे अधिकार मौलिक हों या विधिक, इनके संरक्षण के प्रति सजग रहना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की शपथ अपने आप में पूर्ण है और यदि इसे आत्मसात कर लिया जाए तो किसी अन्य कानून की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। सदस्य बृज भूषण ने कहा कि व्यक्ति को प्राप्त सभी प्रकार के अधिकार मानवाधिकारों की श्रेणी में आते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आयोग ने कई दिव्यांग एवं आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों की सहायता कर उन्हें न्याय दिलाया। पुलिस महानिदेशक संदीप साळुंके ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों, अधिवक्ताओं, प्रशिक्षुओं और आयोग के कर्मचारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया तथा कार्यक्रम को सफल बनाने में दिए योगदान की सराहना की।
कार्यक्रम का संचालन विधि अधिकारी अल्पना शुक्ला द्वारा किया गया। उनके मार्गदर्शन में आयोग के गठन, कार्य, शक्तियों और शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी को एक ब्रोशर के रूप में संकलित किया गया, जिसे कार्यक्रम के दौरान वितरित भी किया गया। ब्रोशर का उद्देश्य आम जनमानस को मानवाधिकारों और शिकायत निवारण प्रक्रिया के प्रति जागरूक करना है।
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