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डिजिटल सेवाओं में क्रांति ला रहा है डिजीलॉकर -अब हर दस्तावेज़ रहेगा सुरक्षित

भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के तहत 2015 में शुरू किया गया डिजीलॉकर (DigiLocker) आज देशभर में नागरिकों के लिए डिजिटल दस्तावेज़ों का सबसे भरोसेमंद प्लेटफ़ॉर्म बन गया है। इससे लोग अपने आधार से जुड़े खातों में ड्राइविंग लाइसेंस, मार्कशीट, पैन कार्ड, बीमा पॉलिसी और अन्य प्रमाणपत्र डिजिटल रूप में सुरक्षित रख सकते हैं। यह सेवा निःशुल्क, सुरक्षित और सरकारी रूप से मान्य है। डिजीलॉकर ने न केवल पेपरलेस गवर्नेंस को गति दी है, बल्कि नागरिकों में डिजिटल विश्वास (Digital Trust) को भी मजबूत बनाया है।

आज का युग सूचना, तकनीक और डेटा का युग है। प्रत्येक व्यक्ति अपने मोबाइल या कंप्यूटर से बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकारी सेवाओं से जुड़ा हुआ है। ऐसे समय में कागज़ी दस्तावेज़ों को संभालना, सुरक्षित रखना और हर बार प्रस्तुत करना एक बड़ी चुनौती थी। डिजिटल इंडिया मिशन के तहत शुरू हुआ डिजीलॉकर आज पहचान पत्र, प्रमाण-पत्र और शैक्षणिक दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखने का सबसे विश्वसनीय माध्यम बन चुका है। यह न केवल कागजरहित प्रशासन की दिशा में कदम है, बल्कि डिजिटल ट्रस्ट और पारदर्शिता को भी नई मजबूती देता है।

इसी चुनौती का समाधान लेकर आया – “डिजीलॉकर” (DigiLocker)।

भारत सरकार की डिजिटल इंडिया मिशन की एक प्रमुख परियोजना के रूप में यह 2015 में प्रारंभ की गई थी। इसका उद्देश्य था – कागजरहित प्रशासन (Paperless Governance), आसान पहुँच (Easy Access) और सुरक्षित डिजिटल दस्तावेज़ प्रबंधन (Secure Digital Document Management) सुनिश्चित करना। आज डिजीलॉकर के माध्यम से नागरिक अपने आधार से जुड़े खातों में अपने दस्तावेज़ों को न केवल डिजिटल रूप में सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि उन्हें किसी भी सरकारी या निजी संस्था के समक्ष “ऑथेंटिक डिजिटल दस्तावेज़” के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं।

डिजीलॉकर का इतिहास और स्थापना

डिजीलॉकर का विचार वर्ष 2014-15 में उस समय सामने आया जब भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया अभियान की रूपरेखा तैयार की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डिजिटल इंडिया का उद्देश्य था – “प्रत्येक नागरिक को सरकारी सेवाओं तक डिजिटल पहुँच प्रदान करना”। इसी अभियान के अंतर्गत *इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY)* ने ‘डिजीलॉकर’ की नींव रखी। इसे संचालित और प्रबंधित करने की जिम्मेदारी दी गई – राष्ट्रीय ई-शासन सेवा निदेशालय (NeGD – National e-Governance Division) को।

आधिकारिक लॉन्च:

  • 1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल इंडिया सप्ताह के अवसर पर डिजीलॉकर की शुरुआत की।
  • प्रारंभ में इसे बीटा संस्करण के रूप में सीमित उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराया गया।
  • 2016 तक यह प्लेटफ़ॉर्म सभी नागरिकों के लिए खुला दिया गया।

डिजीलॉकर कैसे काम करता है? – कार्यप्रणाली की समझ

डिजीलॉकर मूल रूप से एक क्लाउड आधारित प्लेटफ़ॉर्म है। इसमें हर भारतीय नागरिक को उसके आधार नंबर के माध्यम से एक व्यक्तिगत डिजिटल लॉकर उपलब्ध कराया जाता है।

कार्य करने की मुख्य प्रक्रिया:

1. पंजीकरण (Sign Up): नागरिक अपने आधार नंबर और OTP (वन टाइम पासवर्ड) के माध्यम से डिजीलॉकर पर लॉगिन करते हैं। इससे एक सुरक्षित “यूज़र अकाउंट” बनता है।

2. दस्तावेज़ अपलोड करना: उपयोगकर्ता अपने व्यक्तिगत दस्तावेज़ (जैसे पैन कार्ड, अंकपत्र, प्रमाणपत्र, ड्राइविंग लाइसेंस आदि) स्कैन कर PDF या JPG फॉर्मेट में अपलोड कर सकते हैं। अपलोड किए गए दस्तावेज़ 128-बिट SSL एन्क्रिप्शन से सुरक्षित रहते हैं।

3. डिजिटल जारी करने वाली संस्थाएं (Issuers): कई सरकारी संस्थाएं (जैसे CBSE, RTO, UIDAI, EPFO, विश्वविद्यालय आदि) सीधे डिजीलॉकर के साथ इंटीग्रेटेड हैं। वे दस्तावेज़ सीधे डिजिटल रूप में डिजीलॉकर पर अपलोड करती हैं – जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, RC, मार्कशीट, जन्म प्रमाणपत्र आदि।

4. साझा करना (Sharing):उपयोगकर्ता किसी भी दस्तावेज़ को QR कोड या लिंक के माध्यम से किसी संस्था के साथ साझा कर सकता है। इससे फर्जी दस्तावेज़ों की संभावना समाप्त हो जाती है क्योंकि सभी दस्तावेज़ डिजिटल रूप से सत्यापित होते हैं।

5. प्रमाणिकता और सत्यापन:दस्तावेज़ में एक Digital Signature (e-Sign) और QR Code होता है जो उसकी वैधता को साबित करता है। कोई भी संस्था इस QR कोड को स्कैन कर तुरंत सत्यापन कर सकती है।

डिजीलॉकर की तकनीकी संरचना (Technical Architecture)

डिजीलॉकर तीन प्रमुख परतों पर काम करता है:

1. Repository Layer: यह वह हिस्सा है जहां संस्थाएं अपने प्रमाण-पत्र अपलोड करती हैं – जैसे विश्वविद्यालय, बोर्ड, आरटीओ आदि।

2. Access Layer: यह वह परत है जहां नागरिक अपने लॉकर से दस्तावेज़ एक्सेस करते हैं – मोबाइल ऐप या वेबसाइट के माध्यम से।

3. Gateway Layer: यह डिजीलॉकर और जारी करने वाली संस्थाओं के बीच API आधारित कनेक्शन स्थापित करता है ताकि दस्तावेज़ों का ट्रांसफर सुरक्षित रहे।

डिजीलॉकर का उपयोग कैसे करें? (Step-by-Step Guide)

1. वेबसाइट खोलें: [https://digitallocker.gov.in](https://digitallocker.gov.in) या मोबाइल ऐप डाउनलोड करें।
2. साइन इन करें: अपने आधार नंबर और OTP से लॉगिन करें।
3. डैशबोर्ड: यहाँ आप अपलोड किए गए और प्राप्त दस्तावेज़ देख सकते हैं।
4. Get Documents: “Issued Documents” सेक्शन में जाकर आप CBSE, RTO, UIDAI, PAN आदि संस्थानों से अपने प्रमाण-पत्र प्राप्त कर सकते हैं।
5. Upload Documents: स्कैन किए हुए दस्तावेज़ अपलोड करें और “e-Sign” सुविधा से डिजिटल हस्ताक्षर करें।
6. Share: किसी संस्था या व्यक्ति को दस्तावेज़ साझा करने के लिए “Share” पर क्लिक करें और लिंक भेजें।

डिजीलॉकर के प्रमुख लाभ (Key Benefits)

1. कागजरहित सुविधा (Paperless System): अब किसी प्रमाणपत्र की फोटोकॉपी या हार्ड कॉपी ले जाने की जरूरत नहीं। सभी दस्तावेज़ डिजिटल रूप में उपलब्ध हैं।

सुरक्षा और गोपनीयता: डिजीलॉकर में डेटा 256-बिट एन्क्रिप्शन, SSL प्रोटोकॉल और क्लाउड सिक्योरिटी फ्रेमवर्क के अंतर्गत सुरक्षित रहता है।

फर्जी दस्तावेज़ों पर रोक: हर दस्तावेज़ जारीकर्ता संस्थान द्वारा डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित होता है, जिससे नकली दस्तावेज़ की संभावना समाप्त होती है।

सुविधाजनक पहुँच: कहीं भी, कभी भी – मोबाइल या कंप्यूटर से दस्तावेज़ देखे और साझा किए जा सकते हैं।

शिक्षा, परिवहन, बैंकिंग में उपयोग:

  • CBSE, NIOS, विश्वविद्यालयों की मार्कशीट
  • ड्राइविंग लाइसेंस और RC
  • बीमा पॉलिसी और पैन कार्ड
  • पासपोर्ट वेरिफिकेशन और सरकारी सेवाओं में पहचान के लिए

6. e-Sign सुविधा: डिजिटल हस्ताक्षर करने की सुविधा, जिससे किसी दस्तावेज़ पर कानूनी रूप से वैध हस्ताक्षर किए जा सकते हैं।

7. पर्यावरण संरक्षण में योगदान: कागज़ की खपत घटाकर पर्यावरण की रक्षा में डिजीलॉकर की बड़ी भूमिका है।

क्यों करना चाहिए डिजीलॉकर का उपयोग?

1. सरकारी मान्यता प्राप्त:डिजीलॉकर के दस्तावेज़ *आईटी अधिनियम, 2000 के तहत “कानूनी रूप से वैध” माने गए हैं।

2. लाइफटाइम एक्सेस:दस्तावेज़ हमेशा के लिए सुरक्षित रहते हैं। चोरी या नष्ट होने की चिंता नहीं।

3. फ्री और भरोसेमंद:यह सेवा पूरी तरह निःशुल्क है और सरकार द्वारा संचालित है।

4. रोज़मर्रा की ज़रूरतों में उपयोगी:स्कूल, कॉलेज एडमिशन, नौकरी आवेदन, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, बैंक अकाउंट — हर जगह यह स्वीकार्य है।

5. डिजिटल सशक्तिकरण का प्रतीक:यह भारत के हर नागरिक को “Digital Identity” प्रदान करता है।

डिजीलॉकर की सुरक्षा व्यवस्था (Security Framework)

डिजीलॉकर में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। यह निम्न स्तरों पर सुरक्षा प्रदान करता है:–

  • Authentication via Aadhaar OTP
  • 256-bit SSL Encryption
  • Role-Based Access Control
  • Audit Trail (हर गतिविधि का रिकॉर्ड)
  • Data Residency in India (सर्वर भारत में)

इसका मतलब यह है कि आपका डेटा न तो किसी बाहरी सर्वर पर जाता है, न ही बिना अनुमति के कोई तीसरा व्यक्ति उसे देख सकता है।

कौन-कौन सी संस्थाएं जुड़ी हैं डिजीलॉकर से

1. सरकारी विभाग:

  • सड़क परिवहन मंत्रालय (RTO)
  • शिक्षा मंत्रालय (CBSE, AICTE, NIOS)
  • UIDAI, PAN, EPFO, Passport Office

2. शैक्षणिक संस्थान:

  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC)
  • 2500+ कॉलेज और स्कूल

3. निजी क्षेत्र:

  • बीमा कंपनियां, बैंक, NBFCs
  • कॉर्पोरेट HR विभाग

4. राज्य सरकारें: महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, केरल आदि ने अपने राज्य पोर्टल से डिजीलॉकर को जोड़ा है।

अब तक की उपलब्धियाँ (Statistics)

(2025 तक के अनुमानित आँकड़े)

  • कुल उपयोगकर्ता: 17 करोड़ से अधिक
  • जारी दस्तावेज़: 6.5 बिलियन+
  • जुड़ी संस्थाएं: 2,500+
  • सरकारी विभागों की भागीदारी: 100+
  • प्रतिदिन औसतन 10 लाख से अधिक लेनदेन

भविष्य की योजनाएं और नवाचार

भारत सरकार अब डिजीलॉकर को अगले स्तर पर ले जाने की दिशा में काम कर रही है। आगामी सुविधाओं में शामिल हैं:–

1. AI आधारित दस्तावेज़ पहचान और वर्गीकरण।
2. ब्लॉकचेन आधारित सत्यापन प्रणाली।
3. मल्टी-लैंग्वेज सपोर्ट (भारतीय भाषाओं में)।
4. One Nation – One Digital Identity प्लेटफ़ॉर्म से एकीकरण।
5. अंतरराष्ट्रीय उपयोग (Overseas Document Verification) सुविधा।

डिजीलॉकर और पर्यावरण संरक्षण

हर वर्ष सरकारी प्रक्रियाओं में लाखों टन कागज़ का उपयोग होता है। डिजीलॉकर के माध्यम से कागज़ की खपत घटाकर देश न केवल पर्यावरण की रक्षा कर रहा है, बल्कि कार्बन फुटप्रिंट में भी कमी ला रहा है।

डिजीलॉकर केवल एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नहीं है – यह भारत के डिजिटल आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह नागरिकों को “दस्तावेज़ों की स्वतंत्रता” प्रदान करता है, सरकारी प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाता है और तकनीक के माध्यम से विश्वास को पुनर्स्थापित करता है। डिजीलॉकर ने भारत को “कागजरहित शासन” और “डिजिटल ट्रस्ट” की दिशा में अग्रसर किया है। अब वह समय दूर नहीं जब हर भारतीय नागरिक के पास एक डिजिटल पहचान, एक डिजिटल वॉलेट और एक डिजीलॉकर होगा – जो उसके जीवन के हर क्षेत्र में काम आएगा।

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