नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कमजोर होने के बीच टीकाकरण के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। नई गाइडलाइंस में कहा गया है कि केंद्र की ओर से राज्यों को आबादी, संक्रमण का बोझ और वैक्सीनेशन की गति के आधार पर आवंटन किया जाएगा। गाइडलाइंस में कहा गया है कि अगर वेस्टेज ज्यादा होगा तो इसका असर राज्यों को होने वाले आवंटन पर पड़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के एक दिन बाद संशोधित गाइडलाइंस जारी की गई हैं। सोमवार को पीएम ने ऐलान किया था कि केंद्र सरकार 21 जून से सभी राज्यों में सभी वयस्कों को कोरोना रोधी टीके मुफ्त उपलब्ध कराएगी।
वैक्सीन की बर्बादी को लेकर केंद्र और कुछ राज्यों के बीच अनबन चल रही है। मई में स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार – झारखंड (लगभग 37%), छत्तीसगढ़ (30%), तमिलनाडु (15.5%), जम्मू और कश्मीर (10.8%) और मध्य प्रदेश (10.7%) ने वेस्टेज का जिक्र किया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि ये राज्य राष्ट्रीय औसत (6.3%) की तुलना में बहुत अधिक वेस्टेज कर रहे हैं।
18 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों के जनसंख्या समूह के भीतर, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश टीके की आपूर्ति अनुसूची में अपनी प्राथमिकता तय कर सकते हैं। कई राज्य आयु समूहों के भीतर प्राइआरिटी तय करने का विकल्प दिए जाने की मांग कर रहे थे।
निजी अस्पतालों के लिए टीके की खुराक की कीमत प्रत्येक वैक्सीन निर्माता द्वारा घोषित की जाएगी और बाद में होने वाले किसी भी बदलाव को पहले ही जानकारी दी जाएगी। निजी अस्पताल सेवा शुल्क के रूप में प्रति खुराक अधिकतम 150 रुपये तक चार्ज कर सकते हैं। राज्य सरकारें इसकी निगरानी कर सकती हैं। वैक्सीन निर्माताओं द्वारा उत्पादन और नए टीकों को प्रोत्साहित करने के लिए, घरेलू वैक्सीन निर्माताओं को सीधे निजी अस्पतालों को भी टीके उपलब्ध कराने का विकल्प दिया गया है।