शिक्षा और स्वास्थ्य का व्यवसायीकरण समाज के हित में नहीं-धनखड़
जयपुर : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शिक्षा और स्वास्थ्य का व्यवसायीकरण समाज के हित में नहीं बताते हुए कहा है कि देश में तैयार नई शिक्षा नीति से स्थिति में बदलाव आयेगा।श्री धनखड़ गुरुवार को जयपुर जिले के जोबनेर में श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के ग्यारहवें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत में पहले शिक्षा और स्वास्थ्य को व्यवसाय नहीं माना जाता था लेकिन अब स्थिति बदल गयी है। उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा और स्वास्थ्य का व्यवसायीकरण कभी समाज के हित में नहीं हो सकता।
उन्होंने नई शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए कहा कि व्यापक मंथन के बाद तैयार की गयी इस नीति से स्थिति में बदलाव आयेगा।भारत के विकास में कृषि के महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश मे बड़ा बदलाव किसान की तरफ से ही आएगा। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि कृषि के अंदर अनुसंधान की जितनी आवश्यकता है उतनी किसी और क्षेत्र में नहीं।उन्होंने कहा कि युवा भारत को वर्ष 2047 तक नंबर वन देश बनाएंगे।उन्होंने कहा “आज भारत का डंका पूरे विश्व मे बज रहा है। एक समय था कि हमारे पास मुश्किल से पंद्रह दिन के आयात लायक विदेशी मुद्रा बची थी और सोने की चिड़िया कहे जाने वाले इस देश का सोना जहाज के द्वारा विदेश भेजना पड़ा था। लेकिन आज हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर से ऊपर है। दस वर्ष पूर्व हमें विश्व की पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था और आज हम विश्व की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं।
”श्री धनखड़ ने देश मे पारदर्शिता बढ़ाने के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि पहले जो सरकारी राहत मिलती थी उसे बिचौलिए चाट जाते थे, बिचौलियों के बीमा काम नहीं होता था लेकिन आज वे बिचौलिए कहाँ गए। सत्ता के सभी केंद्र इन भ्रष्ट तत्वों से मुक्त कर दिए गए हैं।उन्होंने कहा कि भारत की तरक्की देखकर कुछ लोगों का हाजमा खराब हो जाता है और वे देश के बारे में उल्टी सीधी बातें करने लगते हैं। उन्होंने कहा कि आज 11 करोड़ किसानों को साल में तीन बार धनराशि भेजी जाती है और खुशी इस बात की है कि लेने वाला भी तकनीकी रूप से पूरी तरह सक्षम है। राष्ट्र निर्माण में किसानों के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि किसान ने सब कुछ सहकर भी भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है।
उन्होंने इस कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना में 11 सौ बीघा जमीन दान देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले श्री रावल नरेन्द्र सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनका यह कार्य भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांतों के अनुरूप था, वे हमारे लिए एक आदर्श हैं, हम सब उनके ऋणी हैं। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने विश्विद्यालय में आयोजित कृषि प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और विश्वविद्यालय की नयी वेबसाइट को लांच किया।इस अवसर श्री धनखड़ की पत्नी डॉ सुदेश धनखड़, राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, सांसद कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ विश्वविद्यालय के उपकुलपति बलराज सिंह , शिक्षक, छात्र एवं अन्य लोग मौजूद थे। (वार्ता)