
बॉलीवुड के ही-मैन धर्मेन्द्र का निधन,पुत्र सनी देओल ने दी मुखाग्नि
भारतीय सिनेमा के महान अभिनेता धर्मेन्द्र का सोमवार सुबह मुंबई स्थित उनके आवास पर 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ थे और हाल ही में ब्रीच कैंडी अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद घर पर ही उपचाररत थे। विले पार्ले पवन हंस श्मशान भूमि में उनके बड़े बेटे सनी देओल ने मुखाग्नि दी। अंतिम विदाई देने के लिए हेमा मालिनी, इशा देओल, अमिताभ बच्चन, आमिर खान, सलमान खान, अक्षय कुमार सहित कई फिल्मी हस्तियां पहुंचीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और अनेक नेताओं ने उनके निधन को भारतीय सिनेमा की अपूरणीय क्षति बताया।
- फिल्म जगत और राजनीतिक हस्तियों ने जताया शोक; विले पार्ले में अंतिम संस्कार, परिवार और दिग्गज कलाकार हुए शामिल
मुंबई में सोमवार की सुबह भारतीय सिनेमा जगत के लिए एक गहरे शोक की घड़ी लेकर आयी, जब लगभग नौ दशकों से अपने अद्भुत अभिनय और व्यक्तित्व से करोड़ों दिलों पर राज करने वाले दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र ने अंतिम सांस ली। 89 वर्ष की आयु में उनका शांतिपूर्ण अवसान भारतीय फिल्म इतिहास के एक विशाल अध्याय का अंत माना जा रहा है। धर्मेंद्र पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और परिवार की देखरेख में अपने जुहू स्थित आवास पर ही उपचार प्राप्त कर रहे थे। 10 नवंबर को सांस लेने में कठिनाई की शिकायत के बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से 12 नवंबर को परिवार के आग्रह पर छुट्टी दे दी गई। इसके बाद से वह घर पर ही चिकित्सकीय निगरानी में थे। सोमवार को सुबह उनकी स्थिति गंभीर हुई और कुछ ही देर बाद उनका निधन हो गया।
धर्मेंद्र का अंतिम संस्कार अपराह्न विले पार्ले स्थित पवन हंस श्मशान भूमि में संपन्न हुआ। परिवार, मित्रों, सहकर्मियों और प्रशंसकों के बीच यह एक भावुक विदाई थी। उनके बड़े पुत्र और अभिनेता सनी देओल ने उन्हें मुखाग्नि दी, जबकि उनकी पत्नी एवं अनुभवी अभिनेत्री हेमा मालिनी, पुत्री ईशा देओल और परिवार के अन्य सदस्य अंतिम विदाई देने के लिए श्मशान भूमि में उपस्थित रहे। फिल्म जगत की कई प्रमुख हस्तियाँ, जिनमें अमिताभ बच्चन, शबाना आज़मी, गोविंदा, आमिर खान, अभिषेक बच्चन, सलमान खान, अक्षय कुमार, संजय दत्त, रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, जायद खान तथा वरिष्ठ पटकथा लेखक सलीम खान शामिल थे, धर्मेंद्र को अंतिम श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
धर्मेंद्र की विदाई एक निजी क्षण होने के बावजूद पूरे देश की भावनाओं से जुड़ गई। उनकी लोकप्रियता सिर्फ पर्दे तक सीमित नहीं थी; उन्होंने भारतीय दर्शकों के दिलों में दशकों तक स्थान बनाया और समय बीतने के साथ यह प्रेम और गहरा होता गया। मशहूर फिल्म निर्देशक करण जौहर ने उनकी मृत्यु की पुष्टि करते हुए अपने आधिकारिक सोशल मीडिया माध्यम पर एक भावुक संदेश लिखा। उन्होंने कहा कि यह एक युग का अंत है, क्योंकि धर्मेंद्र सिर्फ एक सुपरस्टार नहीं थे, बल्कि भारतीय सिनेमा के ऐसे कलाकार थे जिनकी उपस्थिति मात्र से पर्दे पर सजीवता, ऊष्मा और एक विशिष्ट करिश्मा आ जाता था। करण जौहर ने कहा कि धर्मेंद्र की मुस्कान, सरलता और दयालु स्वभाव ने उन्हें उद्योग में सबसे प्रिय व्यक्तियों में शामिल किया। उनका आभार, आशीर्वाद और स्नेह ऐसा था जिसे कभी शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।
धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के फगवाड़ा में हुआ था। उन्होंने 1960 में प्रदर्शित फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की। यह शुरुआत थी उस लंबे, सफल और प्रेरणादायक सफर की जिसे भारतीय सिनेमा के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज किया गया। छह दशक के अपने प्रभावी करियर में धर्मेंद्र ने 250 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और हर शैली में अपनी छाप छोड़ी। चाहे रोमांस हो, एक्शन, कॉमेडी या भावनात्मक चरित्र- धर्मेंद्र ने हर तरह के किरदारों को सहजता, ईमानदारी और गहराई के साथ निभाया।
1966 में प्रदर्शित फिल्म ‘फूल और पत्थर’ धर्मेंद्र के करियर का निर्णायक मोड़ बनी। इसी फिल्म से उन्हें ‘ही-मैन ऑफ बॉलीवुड’ की उपाधि मिली। इस उपाधि के पीछे सिर्फ उनकी आकर्षक, मांसल काया का प्रभाव नहीं था, बल्कि उनकी दृढ़ता, साहस और जोखिम लेने की क्षमता भी उतनी ही महत्वपूर्ण थी। फिल्म में उनका शर्टलेस सीन कुछ ही दिनों में सनसनी बन गया था। उनकी फिटनेस, आत्मविश्वास और दमदार एक्शन शैली का प्रभाव इतना व्यापक था कि वह भारतीय सिनेमा में पुरुषत्व और वीरता का एक प्रतीक बन गए। धर्मेंद्र का एक्शन सिर्फ दिखावे का नहीं था; उन्होंने कई खतरनाक स्टंट स्वयं किए। एक मशहूर किस्से के अनुसार उन्होंने एक फिल्म में असली चीते के साथ सीन शूट किया था, जिसे आज भी साहसिक अभिनय का एक दुर्लभ उदाहरण माना जाता है।
धर्मेंद्र की विनम्रता और सरलता उनके व्यक्तित्व का सबसे बड़ा खजाना मानी जाती थी। वह जितने बड़े अभिनेता थे, उतने ही बड़े दिल के इंसान भी थे। उनके जीवन से जुड़ी एक मार्मिक और रोचक घटना उनकी मां से संबंधित है। धर्मेंद्र कई बार भावुक होकर अपनी माता सतवंत कौर को याद करते थे। उन्होंने एक बार सोशल मीडिया पर साझा किया था कि उनकी मां अक्सर उनके कपड़े चुपके से निकालकर जरूरतमंदों को दे दिया करती थीं। जब धर्मेंद्र इस बात को जानते थे, तो वह मुस्कुरा भर देते थे, क्योंकि उनके लिए मां की दयालुता उनका सबसे बड़ा गर्व थी। यह किस्सा बताता है कि मानवीय संवेदनाएँ धर्मेंद्र के परिवार की परंपरा में गहराई से समाई थीं और धर्मेंद्र ने इन्हें जीवनभर अपनाए रखा।
धर्मेंद्र को सिर्फ फिल्म उद्योग ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों से जुड़े अनेक लोगों ने याद किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि धर्मेंद्र का निधन भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र दशकों तक दर्शकों के प्रिय बने रहे और उनकी यादगार भूमिकाएँ भारतीय सिनेमा की विरासत का अमिट हिस्सा हैं। राष्ट्रपति ने उनके परिवार, प्रशंसकों और शुभचिंतकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।
उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने कहा कि धर्मेंद्र न सिर्फ बेहतरीन अभिनेता थे, बल्कि भारतीय फिल्म उद्योग के एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने अपने समर्पण, मेहनत और कला के प्रति निष्ठा से उद्योग को समृद्ध किया। उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र की कालातीत विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी भावुक होकर कहा कि धर्मेंद्र ने अपनी सादगी, ईमानदारी और अभिनय कौशल से करोड़ों दिलों को छुआ। कई यादगार भूमिकाओं के माध्यम से उन्होंने भारतीय सिनेमा में ऐसा योगदान दिया जिसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि धर्मेंद्र एक असाधारण अभिनेता थे जिनकी गहराई और अभिनय शैली ने भारतीय फिल्मों को नई दृष्टि दी। उन्होंने कहा कि उनका निधन भारतीय सिनेमा जगत के एक युग का अंत है। प्रधानमंत्री ने उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त की। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने धर्मेंद्र के निधन को अभिनय और कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र ने अपने अभिनय, जीवटता और संवाद अदायगी से भारतीय सिनेमा को नई पहचान दी और करोड़ों लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी।
धर्मेंद्र के निधन के बाद बॉलीवुड में गहरा शोक व्याप्त है। फिल्म उद्योग के अनेक नामचीन सितारों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। वरिष्ठ अभिनेताओं से लेकर नई पीढ़ी के कलाकारों तक-हर किसी ने धर्मेंद्र को याद किया और उन्हें एक प्रेरणास्रोत, सच्चा कलाकार और महान इंसान बताया। दक्षिण भारतीय और भोजपुरी फिल्म उद्योग से भी व्यापक प्रतिक्रियाएँ आईं, जो यह साबित करती हैं कि धर्मेंद्र की लोकप्रियता क्षेत्रीय सीमाओं से कहीं आगे थी।
धर्मेंद्र का फिल्मी सफर अनेक उपलब्धियों और दिलचस्प पड़ावों से भरा रहा। ‘शोले’, ‘चुपके चुपके’, ‘अनुपमा’, ‘सत्यकाम’, ‘दोस्त’, ‘सीता और गीता’, ‘राजा जानी’, ‘यादों की बारात’, ‘धरम वीर’ जैसी फिल्मों ने उन्हें न सिर्फ एक बड़े अभिनेता के रूप में स्थापित किया, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। गंभीर, हास्य, रोमांटिक, एक्शन-हर शैली में उनकी पकड़ ने उन्हें एक ऐसे अभिनेता के रूप में स्थापित कर दिया जो किसी भी भूमिका को सहज संवाद शैली, भावपूर्ण अभिव्यक्ति और प्राकृतिक अभिनय से जीवंत कर देता था।
धर्मेंद्र का व्यक्तिगत जीवन भी प्रशंसकों और समाज दोनों के लिए प्रेरणादायक रहा। उन्होंने दोनों परिवारों—हेमा मालिनी और प्रथम पत्नी प्रकाश कौर-के साथ अपने रिश्तों में गरिमा और सम्मान बनाए रखा। उनके बच्चे-सनी देओल, बॉबी देओल, ईशा देओल और अहाना देओल-सब अपने पिता के संस्कारों और मार्गदर्शन का उल्लेख गर्व के साथ करते हैं। उनकी सरलता उनकी लोकप्रियता का कारण भी थी। वह अक्सर कहते थे कि उन्हें कभी भी सुपरस्टार होने का घमंड नहीं हुआ, क्योंकि वह खुद को गांव का सीधा-सादा आदमी मानते थे। यही वजह थी कि फिल्म सेट से लेकर पारिवारिक समारोहों तक-हर जगह वह सबके प्रिय बने रहे।
उनका प्रभाव भारतीय संस्कृति और समाज पर भी व्यापक रूप से दिखाई देता है। पंजाब से लेकर मुंबई तक और उत्तर भारत के छोटे कस्बों से लेकर फिल्म उद्योग की चमकदार दुनिया तक- धर्मेंद्र ने लाखों युवाओं को प्रेरित किया। उनकी मेहनत, संघर्ष, अनुशासन और दृढ़ता की कहानियाँ आज भी फिल्मी दुनिया में नए कलाकारों के लिए प्रेरक उदाहरण मानी जाती हैं। धर्मेंद्र का निधन भारतीय सिनेमा की उस विरासत को चिह्नित करता है जिसमें नैसर्गिक अभिनय, विनम्रता, साहस, भावनाओं की सच्चाई और इंसानियत की सबसे बड़ी भूमिका थी। वह सिर्फ फिल्मों के नायक नहीं थे; वह आम भारतीय के सपनों और भावनाओं के प्रतीक थे।
उनकी विदाई के साथ भारतीय सिनेमा में एक ऐसा खालीपन पैदा हुआ है जिसे कोई भी भर नहीं सकता। आज उनके चाहने वाले सिर्फ एक महान अभिनेता को नहीं, बल्कि एक संवेदनशील, दयालु और निष्कलंक मनुष्य को विदा कर रहे हैं।
अंत में यह कहना उचित होगा कि धर्मेंद्र जैसे कलाकार युगों में एक बार पैदा होते हैं। उनका जीवन, उनका संघर्ष, उनकी सफलता, उनका प्रेम और उनका योगदान सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं है; उन्होंने लोगों के दिलों में अमर स्थान बनाया है। भारतीय सिनेमा उन्हें हमेशा सम्मान और गर्व के साथ याद करेगा। उनकी मुस्कान, उनकी सादगी, उनकी विनम्रता और उनकी विशाल फिल्मी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। धर्मेंद्र आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वह हमेशा ‘धरमजी’ के रूप में अमर रहेंगे-उस कलाकार के रूप में जिसने न सिर्फ पर्दे पर, बल्कि दिलों में अपनी जगह बनाई। ॐ शांति।



