
बैंकिंग सुधार समय की आवश्यकता: सीतारमण
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि काेविड दौर की दबाव से बैंक उबर गये हैं और नयी दिशा की ओर बढ़ रहे हैं इसलिए बैंकिंग सुधार समय की आवश्यकता है।श्रीमती सीतारमण ने सदन में बैंककारी विधियां संशोधन विधेयक 2024 पर चली लगभग तीन घंटे की चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि ऋण माफी जैसा कुछ नहीं है। कर्जदारों से वसूली के प्रयास हाे रहे हैं। सरकार ने बैंकों में भ्रष्टाचार रोकने के प्रयास किये हैं जिसके बेहतर परिणाम सामने आये हैं। सार्वजनिक बैंकों ने मुनाफा अर्जित किया है और प्रबंधन में सुधार हुआ है। लेनदारों से वसूली हुई और ऋणों की वापसी हो रही है। उन्होंने कहा कि डूबा ऋण दर्शाने की एक प्रक्रिया होती है जो वैविश्क स्तर पर मान्य है।
उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों का एनपीए 2.5 प्रतिशत तक घट गया है और मुनाफा बढ रहा है। बैंकों को मजबूत बनाने के लिए स्वाययत्ता आवश्यक है और सरकार प्रयास कर रही है। तीन से पांच बैंकों काे पूंजी उपलब्ध करायी गयी है।वित्तमंत्री ने कहा कि बैंकिंग व्यवस्था में संरचनात्मक सुधार हो रहे हैं। इससे उनके दायरे में वृद्धि हुई है। वित्तीय समावेशन में तेजी आयी है। ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन बढ़ा है। मुद्रा योजना और पीएम स्वनिधि जैसी योजनाओं की भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि निदेशक को विकल्प देने से कुशलता और अनुभव में वृद्धि होगी।उन्हाेंने कहा कि जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वाले कर्जदारों पर कार्रवाई हो रही है। ऐसे मामलों में जब्ती होती है। इसके लिए आंतरिक और बाहरी कार्रवाई भी होती है।
उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रावधान की अनुपालना नहीं होने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि जन धन खाते में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर कोई जुर्माना नहीं लगता है।श्रीमती सीतारमण ने कहा कि बैंकों का दायरा बढ़ रहा है। शहरी, अर्धशहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखायें मौजूद हैं जिससे लोगों तक पहुंच हो रही है। साईबर सुरक्षा पर उन्होंने कहा कि इसके लिए गृह मंत्रालय के साथ मिलकर प्रबंध किये गये हैं। सभी संबद्ध पक्षों को इसमें जोड़ा गया है। (वार्ता)
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