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बंगलादेश मुक्ति संग्राम 20वीं सदी की असाधारण घटना: राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बंगलादेश मुक्ति संग्राम को बीसवीं सदी की असाधारण घटना करार देते हुए कहा कि यह अन्याय अत्याचार और दमन के खिलाफ नैतिक आधार पर लड़ी गई लड़ाई थी।श्री सिंह ने बंगलादेश के सशस्त्र सेना दिवस के उपलक्ष में यहां स्थित बंगलादेश उच्चायोग में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही।उन्होंने भारत की सशस्त्र सेनाओं और सरकार की ओर से बंगलादेश की सशस्त्र सेनाओं को शुभकामनाएं दी और शांति तथा सुरक्षा की दिशा में उनके प्रयासों के सफल होने की कामना की।

रक्षा मंत्री ने कहा कि बंगलादेश मुक्ति संग्राम की स्वर्ण जयंती के मद्देनजर यह वर्ष भारत-बंगलादेश संबंधों के लिए असाधारण महत्व लिए हुए है।श्री सिंह ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनकी दूरदृष्टि संघर्ष और प्रेरणादाई नेतृत्व से बंगलादेश के लोगों को स्वतंत्रता के लिए मार्गदर्शन मिला।उन्होंने बंगलादेश मुक्ति संग्राम के दौरान शहीद हुए भारतीय सेनाओं के बहादुर जवानों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

उन्होंने तत्कालीन भारतीय नेतृत्व की भी सराहना की जिसने विषम परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बल पर अन्याय और अत्याचार के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी।उन्होंने कहा कि यह लड़ाई अलोकतांत्रिक शासन और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ी गई थी। भारत ने ऐसे मौके पर लाखों शरणार्थियों को शरण दी जब उसके पास अपने देशवासियों के लिए भी पर्याप्त संसाधन नहीं थे। उस समय संघर्ष कर रहे एक देश ने दूसरे जरूरतमंद राष्ट्र की मदद की।रक्षा मंत्री ने भारत और बंगलादेश के बीच रक्षा क्षेत्र में घनिष्ठ सहयोग पर संतोष व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि भारत ने बंगलादेश को रक्षा उपकरणों के लिए 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया है।उन्होंने कहा कि भारत बंगलादेश के साथ एक दूसरे की रक्षा और सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए मिलकर काम करने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों की सुरक्षा और विकास की चिंताओं के प्रति संवेदनशील है और चाहता है कि पड़ोसी भी इसी भावना के साथ रहें।

श्री सिंह ने कहा कि भारत और बांग्लादेश दोनों समान चुनौतियां का सामना कर रहे हैं। दोनों देश गरीबी, भुखमरी , आतंकवाद और कट्टर विचारधारा तथा जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रहे हैं।रक्षा मंत्री ने कहा कि छह दिसंबर के दिन को भारत में मैत्री दिवस के रूप में मनाया जाएगा क्योंकि इसी दिन भारत ने बंगलादेश को स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता दी थी।

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