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नवरात्र व्रत में सेहत का संतुलन : आयुर्वेदिक उपाय और डायबिटीज़-BP मरीजों के लिए खास सावधानियाँ

वाराणसी : शारदीय नवरात्र 2025 की शुरुआत के साथ ही श्रद्धालुओं ने नौ दिनों के उपवास और व्रत का संकल्प ले लिया है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि शरीर और मन के शुद्धिकरण का भी अवसर माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार नवरात्र व्रत के दौरान सही खानपान और जीवनशैली अपनाकर शरीर को डिटॉक्स किया जा सकता है। उपवास के समय शरीर हल्के और सात्विक भोजन को आसानी से पचा लेता है और इससे मन को भी शांति मिलती है।

आयुर्वेदाचार्यों का कहना है कि व्रत में शरीर को पर्याप्त जल की आवश्यकता होती है। इसलिए गुनगुना पानी, नारियल पानी और छाछ का सेवन लाभकारी माना गया है। फलाहार में पपीता, अमरूद, सेब और अनार जैसे फल शामिल करने चाहिए। मखाना, सिंघाड़े का आटा और साबूदाना उपवास के दौरान ऊर्जा देने वाले और पचने में आसान माने जाते हैं। दूध, दही और पनीर कैल्शियम और प्रोटीन की कमी पूरी करते हैं जबकि घी और नारियल तेल सीमित मात्रा में पाचन शक्ति को संतुलित बनाए रखते हैं। आयुर्वेद यह भी कहता है कि व्रत के दौरान भोजन हमेशा कम मात्रा में और नियमित अंतराल पर लेना चाहिए।

डॉक्टर मानते हैं कि उपवास सभी के लिए एक जैसा नहीं होता। विशेषकर डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों के लिए लंबे समय तक खाली पेट रहना खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे लोगों को हर तीन से चार घंटे पर हल्का फल या मखाना खाना चाहिए और केला, अंगूर, आम जैसे मीठे फलों से बचना चाहिए। सेब, अमरूद और पपीता इनके लिए अधिक फायदेमंद हैं। साबूदाना का अधिक सेवन भी शुगर लेवल बढ़ा सकता है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डायबिटीज़ मरीज अपनी दवा और इंसुलिन किसी भी हाल में न छोड़ें और डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।

वहीं, हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को व्रत के दौरान केवल सेंधा नमक का उपयोग करना चाहिए और वह भी नियंत्रित मात्रा में। तली-भुनी और पैकेट वाली चीज़ें इन मरीजों के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं। तनाव और रात भर जागरण से बचना चाहिए क्योंकि इससे BP असंतुलित हो सकता है। तुलसी, अदरक और दालचीनी की हर्बल चाय ऐसे लोगों के लिए लाभकारी होती है। साथ ही हल्का योग, प्राणायाम और ध्यान करने से मानसिक शांति बनी रहती है और BP संतुलन में रहता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि नवरात्र का उपवास केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि इसे एक स्वास्थ्य अवसर भी मानना चाहिए। आयुर्वेद के बताए गए नियमों का पालन करके जहां सामान्य उपवास करने वाले लोग शरीर और मन को डिटॉक्स कर सकते हैं, वहीं डायबिटीज़ और BP मरीज भी थोड़ी सावधानी बरतकर सुरक्षित तरीके से व्रत कर सकते हैं।

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