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म्यांमार में हुआ तख्ता पलट, आंग सान सी कू गिरफ्तार, सेना चीफ ने संभाली कमान

भारत-अमेरिका ने जाहिर की चिंता, कहा- लोकतंत्र कायम रहना चाहिए

नई दिल्ली । एक दशक पूर्व तक तक़रीबन 50 साल सैनिक शासन देखने वाले म्यांमार में एकबार फिर सैन्य तख्तापलट हो गया है। देश की नेता आंग सांग सू की और राष्ट्रपति यू विन म्यिंट को गिरफ्तार कर देश को सेना ने अपने कब्जे में ले लिया है। देश में एक साल के लिए आपातकाल घोषित कर दिया गया है। पूर्व जनरल और उप राष्ट्रपति मिंट स्वे को कार्यकारी राष्ट्रपति बनाया गया है और उन्हें सैन्य प्रमुख का भी दर्जा दिया गया है। इस अहम घटनाक्रम के बीच किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन को सख्ती से निबटने के लिए सड़कों पर सेना की तैनाती कर दी गयी है और तमाम तरह के संचार माध्यमों को बंद कर दिया गया है।
देश में सैन्य तख्तापलट से पूर्व आंग सान सू की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के प्रवक्ता मायो नयुंट ने आंग सान सू को हिरासत में लिये जाने के बाद आशंका जतायी थी कि जो हालात बने हैं, उससे साफ है कि सेना तख्तापलट करने का जा रही है।
देश के ताजा घटनाक्रम के संकेत पिछले कुछ दिनों पहले तब मिलने लगे थे जब सेना के प्रवक्ता द्वारा सैन्य तख्ता पलट की संभावना को खारिज नहीं किया था। दरअसल, नवंबर में हुए संसदीय चुनाव में सत्ताधारी एनएलडी पर चुनावी धांधली के आरोप लगे थे। इसमें एनएलडी की भारी जीत हुई। इस चुनाव में एनएलडी का मुख्य मुकाबला यूनियन सॉलिडरिटी एंड डवलपमेंट पार्टी से हुआ। बताया जाता है कि इस संगठन को सेना का संरक्षण प्राप्त है। चुनाव नतीजों के बाद यही संगठन चुनाव में एनएलडी पर धांधली का आरोप लगाते हुए मामला अदालत में ले गया। इसी संदर्भ में जब सैन्य प्रवक्ता से सवाल किए गए तो उसने सैनिक तख्ता पलट की संभावना से इनकार नहीं किया। सेनाध्यक्ष मिन आंग हलायंग ने भी बुधवार को कहा था कि कुछ खास परिस्थितियों में देश के संविधान को रद्द किया जा सकता है।
भारत अमेरिका ने व्यक्त की चिंता-
म्यांमार के घटनाक्रम पर भारत ने गहरी चिंता व्यक्त की है। विदेश मत्रालय ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है कि `भारत ने हमेशा से ही म्यांमार के लोकतंत्र की ओर बढ़ने की प्रक्रिया का समर्थन किया है। हमारा मानना है कि कानून का राज और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार करना चाहिए। हम वहां की स्थिती का नज़दीक से आकलन कर रहे हैं। वहीं अमेरिका ने भी वहां के घटनाक्रम पर चिंता जाहिर की है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जेन साकी ने कहा है कि `राष्ट्रपति बाइडन को स्थिति से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सलीवन ने अवगत कराया है। हम बर्मा के लोकतंत्र पर अपना मजबूत समर्थन दोहराते है और क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ मिल कर हम वहां की सेना और अन्य दलों से आग्रह करते हैं कि वे लोकतांत्रिक प्रकिया और कानून के राज का पालन करें और जिनको आज हिरासत में लिया गया है उन्हे रिहा किया जाये।` अमेरिका ने हाल में म्यांमार में हुए चुनाव के नतीजों को और लोकतंत्र की राह पर जाने में जो भी रोड़ा लगा रहा है- उन ताकतों को भी चेतावनी दी। साथ ही कहा कि वे स्थिति पर नजर रखें हुए है और बर्मा के लोगों के साथ खड़े हैं जिन्होंने लोकतंत्र और शांति के लिए इतनी बड़ी लड़ाई लड़ी है।

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