
वाराणसी । काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कामधेनु सभागार में शनिवार को काशी मंथन के द्वारा पूर्व भारतीय राजनयिक विवेक काटजू के व्याख्यान का आयोजन हुआ। ‘आराजकता की ओर बढ़ता पाकिस्तान : वर्तमान और भविष्य’ विषय पर अपने व्याख्यान के दौरान श्रोताओं को संबोधित करते हुए श्री काटजू ने पाकिस्तान के निर्माण की पृष्ठभूमि से लेकर वर्तमान हालत तक पहुंचने के कारणों पर विस्तार से चर्चा की।श्री काटजू ने अपने व्याख्यान की शुरुआत विद्यार्थियों से यह अपील करते हुए किया कि जब भी कुछ पढ़ें या कुछ देखें तो उसकी तह तक जाकर देखेने समझने की कोशिश करें। किसी भी विषय को समझने के लिए यही सही शुरुआत होती है। विषय को जब पूरी तरीके से समझना हो तो सबसे पहले लिखे हुए शब्दों का अर्थ देखें।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का निर्माण की नींव ही एक नकारात्मक सोच से पड़ी थी। अपनी स्थापना के साथ ही उसने भारत के विरुद्ध अपनी पहचान का निर्माण शुरू किया था। धर्म के आधार पर विभाजित देश में बाद में धर्म के अंदर ही विभाजन शुरू हो गया था। 1954 में पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिमों के विरुद्ध दंगे शुरू हो गए। दंगों के बाद मोहम्मद मुनीर कमीशन ने जब जांच शुरू की उस कड़ी में उन्होंने इस्लाम के कई जानकारों से इस्लाम धर्म का तात्पर्य पूछा। मुनीर कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि किसी भी दो इस्लामिक विद्वानों ने एक-दूसरे की कही गई बात पर सहमति नहीं जतायी सभी ने इस्लाम धर्म की अपनी परिभाषाओं को सही वह दूसरे व्यक्ति की कही बातों को नकारते हुए उसे क़ाफ़िर ठहराया। पाकिस्तान ने कभी भी अपनी राष्ट्रीय पहचान या नागरिकता के निर्माण लिए के लिए सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया उसने एक राष्ट्र के लोगों को एक सूत्र में बाँधने वाली भौगोलिक इकाई पर कभी जोर नहीं दिया बल्कि वह हमेशा धार्मिक पहचान को पुख्ता करने में लगा रहा । यही कारण है कि कालांतर में वह हर तरह की कठिनाइयों में उलझता चला गया।
पाकिस्तान आज न केवल आर्थिक रूप से बल्कि सामरिक एवं राजनीतिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा। वहां के ज्यादातर संस्थानों, सरकार, उद्योगों तक पर सेना का प्रभाव है। सेना सबसे बड़ी औद्योगिक इकाई है इसकी वजह से वहाँ एक तरफ औपचारिक अर्थव्यवस्था चरमरा रही है वही दूसरी तरफ अनौपचारिक अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है। वहां के जनमानस का सामंतवादी रवैया भी वहां के विकास में बाधक है। वहां का उच्च तबका टैक्स देने से भागता है। यही कारण है वहां पर सरकार के पास पैसे नहीं बचे हैं और वह आईएमएफ से लगातार दया की भीख मांग रही है। हालांकि ऐसी स्थिति में भी हम पाकिस्तान के टूटने की कामना नहीं कर सकते क्योंकि वह परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्र है। भारत या विश्व का कोई भी राष्ट्र यह नहीं चाहेगा परमाणु संपन्न पाकिस्तान में अराजकता की स्थिति आए क्योंकि यह समूचे विश्व के लिए भयानक स्थिति होगी। पाकिस्तान में अगर वहां की जनता कुछ बेहतर चाहती है तो उन्हें सबसे पहले एक बेहतर हुक्मरान चुनना होगा ऐसा हुक्मरान जो उन्हें नफरत की दिशा से हटा सकारात्मक दिशा की ओर ले चलने का साहस दिखाये। परंतु मुझे पाकिस्तान में ऐसे नेतृत्व की घनघोर कमी दिखती है।
इस अवसर पर स्वागत उद्बोधन काशी मंथन के संयोजक एवं विश्वविद्यालय के संयुक्त कुलसचिव डॉक्टर मयंक नारायण सिंह ने किया। उन्होंने बताया कि काशी मंथन का उद्देश्य विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय संबंधों और राजनीति एवं सामरिक विषयों पर जागरूक करना है। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन सुश्री सुकेशी ऋषभ व प्रश्नोत्तरी सुश्री मोनालिसा हजारीका ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुमिल तिवारी ने किया