अमृत महोत्सव जन आंदोलन का रूप ले रहा है: प्रधानमंत्री
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर मनाया जा रहा ‘अमृत महोत्सव’ एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है और सभी क्षेत्रों एवं समाज के हर वर्ग के लोग इससे जुड़े अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं।
आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 91वें संस्करण में देशवासियों से संवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान का उल्लेख किया और लोगों से 13 से 15 अगस्त तक अपने घरों में तिरंगा फहराकर इस आंदोलन का हिस्सा बनने तथा दो अगस्त से 15 अगस्त के बीच अपने सोशल मीडिया खातों के प्रोफाइल फोटो में तिरंगा लगाने का भी आग्रह किया।
उन्होंने कहा, ‘‘इस आंदोलन का हिस्सा बनकर आप अपने घर पर तिरंगा जरूर फहराएं या उसे अपने घर पर लगायें। तिरंगा हमें जोड़ता है, हमें देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करता है।’’
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत में आजादी के आंदोलन में आहूति देने वाले योद्धाओं को नमन किया और ‘अमृत महोत्सव’ अभियान के तहत देश भर में आयोजित किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का जिक्र किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह देखकर बहुत खुशी होती है कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है। सभी क्षेत्रों और समाज के हर वर्ग के लोग इससे जुड़े अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं।’’
उन्होंने इस कड़ी में मेघालय में स्वतंत्रता सेनानी यू. टिरोत सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों, कर्नाटक में अमृता भारती कन्नडार्थी नाम के अभियान और स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास से जुड़े रेलवे स्टेशनों पर आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों की एक लंबी सूची है। उन्होंने देशवासियों से ऐसे कार्यक्रमों में शिरकत करने की अपील भी की।
उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हो रहे इन सभी आयोजनों का सबसे बड़ा संदेश यही है कि हम सभी देशवासी अपने कर्तव्य का पूरी निष्ठा से पालन करें, तभी हम अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों का सपना पूरा कर पायेंगे, उनके सपनों का भारत बना पाएंगे।’’
कोविड-19 महामारी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके खिलाफ देशवासियों की लड़ाई अभी जारी है और पूरी दुनिया आज भी इससे जूझ रही है।
मोदी ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारतीय पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों के योगदान का विस्तार से जिक्र किया और कहा कि आयुष ने वैश्विक स्तर पर इसमें अहम भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि दुनियाभर में आयुर्वेद एवं भारतीय औषधियों के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है और यही वजह है कि आयुष के निर्यात में रिकॉर्ड तेजी आई है तथा इस क्षेत्र में कई नए स्टार्ट-अप भी सामने आ रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना काल में औषधीय पौधों पर शोध में भी बहुत वृद्धि हुई है। इस बारे में बहुत सारे शोध पत्र प्रकाशित हो रहे हैं। यह निश्चित रूप से एक अच्छी शुरुआत है।’’
इस दौरान, मोदी ने कहा कि विदेशी खिलौनों के आयात में 70 प्रतिशत तक की कमी आई है जबकि भारतीय खिलौनों का निर्यात 300 से 400 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,600 करोड़ रुपये का हो गया है।
भारतीय खिलौनों को परंपरा और प्रकृति के अनुरूप बताते हुए उन्होंने कहा कि देश के युवाओं, स्टार्ट-अप और उद्यमियों की बदौलत भारतीय खिलौना उद्योग ने जो सफलता हासिल की है, उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।
उन्होंने कहा कि आज जब भारतीय खिलौनों की बात होती है तो हर तरफ ‘‘वोकल फोर लोकल’’ की गूंज सुनाई दे रही है।प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सब कोविड-19 महामारी के काल में हुआ है और इतना ही नहीं भारत के खिलौना क्षेत्र ने खुद को बदलकर दिखा दिया है।
उन्होंने कहा कि भारतीय निर्माता अब भारतीय पौराणिक, इतिहास और संस्कृति पर आधारित खिलौने बना रहे हैं और इससे खिलौने बनाने वाले छोटे-छोटे उद्यमियों को बहुत लाभ हो रहा है
खिलौनों की दुनिया में काम कर रहे सभी उद्यमियों और स्टार्ट-अप को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने भारतीय खिलौनों को दुनियाभर में और अधिक लोकप्रिय बनाने के साथ ही अभिभावकों से भी अधिक से अधिक भारतीय खिलौने खरीदना का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने शहद उत्पादन के क्षेत्र में काम रहे किसानों के प्रयासों की भी सराहना की और कहा कि अभी इस क्षेत्र में और भी बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं।उन्होंने युवाओं से इस क्षेत्र में बन रही नयी संभावनाओं को साकार करने का आग्रह भी किया।(भाषा)