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तनाव की स्थिति में योग ही शांति की राह दिखाता है: मोदी

विशाखापत्तनम : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि दुनिया भर में तनाव की स्थिति से अशांति तथा अस्थिरता बढ़ रही है और ऐसे में योग ही हमें शांति का रास्ता दिखाता है।श्री मोदी ने यहां 11 वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर राष्ट्रीय योगाभ्यास कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी को शांत, संतुलित और सतत विकास की ओर अग्रसर विश्व के निर्माण की दिशा में बढना चाहिए। योग ही विश्व में टकराव की जगह सहयोग और तनाव की जगह समाधान की ओर ले जा सकता है।प्रधानमंत्री का यह वक्तव्य रूस-यूक्रेन और ईरान- इजरायल युद्ध के चलते विभिन्न देशों में पैदा हुए टकराव को देखते हुए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा,“ दुर्भाग्य से आज पूरी दुनिया किसी न किसी तनाव से गुजर रही है। कितने ही क्षेत्रों में अशांति और अस्थिरता बढ़ रही है। ऐसे में योग से हमें शांति की दिशा मिलती है। मैं विश्व समुदाय से आज के इस महत्वपूर्ण अवसर पर एक आग्रह करूंगा। आज के इस दिन से मानवता के लिए एक बार फिर नयी शुरूआत होनी चाहिए। योग सिर्फ व्यक्तिगत अभ्यास न रहे, बल्कि वैश्विक साझेदारी का माध्यम बने। सभी देश, हर समाज, योग को जीवनशैली और लोकनीति का हिस्सा बनाए। हम मिलकर एक शांत, संतुलित और सतत विश्व को गति दें। योग ही विश्व को टकराव से सहयोग, और तनाव से समाधान की ओर ले जाएगा। ”योग को जीवन का सार बताते हुए कहा कि ‘ मैं से हम’ का भाव ही भारत की आत्मा का सार है। जब व्यक्ति अपने हित से ऊपर उठकर समाज की सोचता है, तभी पूरी मानवता का हित होता है।

उन्होंने कहा , “ भारत की संस्कृति हमें सिखाती है, सर्वे भवन्तु सुखिन, यानी सभी का कल्याण ही मेरा कर्तव्य है। ‘मैं’ से ‘हम’ की ये यात्रा ही सेवा, समर्पण और सह-अस्तित्व का आधार है। यही सोच सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती है।”श्री मोदी ने योग को जन आंदोलन बनाने की अपील करते हुये कहा “आईये हम सब मिलकर योग को एक जन आंदोलन बनाये एक ऐसा आंदोलन जो विश्व को शांति, स्वास्थ्य और समरसता की ओर से ले जाये जहां हर व्यक्ति दिन की शुरुआत योग से करे और जीवन में संतुलन पाये। जहां हर समाज योग से जुड़े और तनाव से मुक्त हो जहां योग मानवता को एक सूत्र में पिराने का माध्यम बने और जहां योग फॉर वनअर्थ, वन हैल्थ ( एक धरती एक स्वास्थ्य के लिए योग)एक वैश्विक संकल्प बन जाये।

”प्रधानमंत्री ने योग को पूरी दुनिया के लिए शांति, समरसता और स्वास्थ्य का आंदोलन बनाने का आह्वान किया और कहा कि भारत विश्व भर में योग के प्रचार प्रसार के लिए इसमे निहित विज्ञान को आधुनिक अनुसंधान के माध्यम से आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि योग को आधुनिक चिकित्सा पद्धति में स्थान दिलाने का प्रयास चल रह है।प्रधानमंत्री ने कहा “ राष्ट्रीय आयुर्वेद मिशन के जरिए भी योग और वेलनेश के मंत्र को आगे बढ़ाया जा रहा है और इसमें डिजिटल प्राद्योगिकी की भी मदद ली गयी है।” उन्होंने कहा कि योग का सरल अर्थ होता है जुड़ना और यह देखना सुखद है कि योग आज किस तरह विश्व को जोड़ रहा है।उन्होंने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के हमारे प्रस्ताव के साथ आज एक सौ 75 देश खड़े है आज की दुनिया में ऐसी एकता ,ऐसा समर्थन सामान्य घटना नहीं है आज योग करोड़ों लोगों की जीवन शैली बन चुका है। आज ब्रेल लिपि में योग की शिक्षा दी जा रही है।

इस अवसर पर श्री मोदी ने योगाभ्यास में लगभग पांच लाख प्रतिभागियों के साथ भाग लिया। योग संगम कार्यक्रम पूरे देश में साढे तीन लाख से अधिक स्थानों पर एक साथ आयोजित किए गए।कार्यक्रम में आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल सय्यद अब्दुल मजीद ,आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू केन्द्रीय मंत्री के राम मोहन राव नायडू , प्रताप राव जाधव , चन्द्र शेखर ,भूपति राजू ,श्री निवास वर्मा, आन्ध्र पदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति तथा बड़ी संख्या में लोग शामिल थे। उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ योगाभ्यास किया।इस वर्ष की विषय वस्तु, “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” मानव और संपूर्ण विश्‍व के स्वास्थ्य के परस्पर संबंध को रेखांकित करती है और सामूहिक कल्याण की वैश्विक दृष्टि को प्रतिध्वनित करती है, जो भारत के “सर्वे संतु निरामया” (सभी रोग मुक्त हों) के दर्शन में निहित है। (वार्ता)

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