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आदिवासी भाई-बहन हमारे प्राकृतिक संसाधनों के प्रहरी और रक्षक -राष्ट्रपति

सिंग्रामपुर सम्मेलन में राष्ट्रपति बोले- 'जनजातीय समुदायों में परंपरागत ज्ञान का अक्षय भंडार'

मध्यप्रदेश के दो दिवसीय प्रवास पर आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार को दमोह जिले के सिंग्रामपुर पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। राष्ट्रपति कोविंद रविवार को सुबह 9.30 बजे जबलपुर से वायुसेना के हेलीकॉप्टर द्वारा रवाना होकर दमोह हेलीपैड पहुंचे थे, जहां प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने स्वागत कर उनकी अगवानी की। इसके पश्चात राष्ट्रपति सड़क मार्ग से सिंग्रामपुर पहुंचे, जहां उन्होंने राज्य-स्तरीय जनजातीय सम्मेलन में भाग लिया।

अटल बिहारी वाजपेयी ने जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन किया था

दमोह जिले के सिंग्रामपुर गांव में राज्य स्तरीय जनजातीय सम्मेलन के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, गोंडवाना परिक्षेत्र की धरती पर आयोजित इस सम्मेलन में आकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई। हम सब जानते हैं कि जब सुशासन यानी गुड गवर्नेंस की बात होती है तो हम अपने स्वर्गीय और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी मध्य प्रदेश में जन्मे थे। आज मुझे उनका विशेष स्मरण हो रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री के उनके कार्यकाल के दौरान ही केंद्र सरकार में एक अलग ‘जनजातीय कार्य मंत्रालय’ का गठन किया गया था। यह पहली बार हुआ था। उसके पीछे उनका भाव ये था कि जब हम समाज के सभी वर्गों की भावना की कद्र करते हैं, उनके विकास की बात करते हैं तो जो समाज का सबसे पीछे खड़ा व्यक्ति है, जनजाति व्यक्ति वो पीछे छूट जाता है। इसलिए मैं चाहता हूं कि जनजाति ट्राइबल अफेयर्स मिनिस्टरी बनेगी तो उसका उद्देश्य केवल और केवल जनजातियों के विकास के लिए ही काम करना होगा। मुझे आज प्रसन्नता है कि आज अटल जी की सोच के अनुसार यह मंत्रालय न केवल भारत सरकार का बल्कि सभी प्रदेशों में भी अपनी गतिविधि को आगे बढ़ा रहा है।

बुंदेलखंड और गोंडवाना की शौर्य परंपरा को सम्मानित करने का विशेष गर्व

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा नवंबर 2017 में मुझे मध्य प्रदेश यात्रा के दौरान बुंदेलखंड की वीरांगना झलकारी बाई की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने का सुअवसर भी मिला था। आज मुझे बेहद प्रसन्नता इस बात की है कि आज मुझे रानी दुर्गावती की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित करने और वहां वृक्षारोपण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। बुंदेलखंड और गोंडवाना की शौर्य परंपरा को सम्मानित करके मुझे विशेष गर्व का अनुभव हो रहा है। इस क्षेत्र के घर-घर में सुनी जानी वाली वीर गाथाओं की महानायिका रानी दुर्गावती के जीवन पर आधारित एकलव्य विद्यालयों के बच्चों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम सराहनीय है। ऐसे कार्यक्रमों से दर्शकों को यहां की समृद्ध विरासत से जुड़ने का अनुभव होता है और उनमें प्रेरणा का संचार भी होता है। रानी दुर्गावती के अंतिम युद्ध का विवरण सबके ह्रदय को आंदोलित करता है एवं श्रद्धा से ओतप्रोत कर देता है।

प्रतिभा किसी क्षेत्र, किसी जाति, किसी समुदाय तक सीमित नहीं होती

रानी दुर्गावती ने 16वीं सदी में आत्मगौरव की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने का इतिहास रचा था। उनके बलिदान के लगभग 300 वर्षों के बाद उनकी वंश परम्परा में ही उत्पन्न राजा शंकर शाह को अंग्रेजों का विरोध करने के कारण 19वीं सदी में मृत्युदंड दिया गया। आज के इस समारोह में मैं उन दोनों अमर शहीदों की स्मृति में स्थापित जो पुरस्कार दिए गए हैं, जनजातीय विद्यार्थियों का उत्साह बढ़ाने के लिए, उसके लिए मैं केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की प्रशंसा करता हूं। चार बच्चों का राज्यपाल और मुख्यमंत्री द्वारा यहां सम्मान किया गया। उन बच्चों ने 98-99 प्रतिशत अंक हासिल किए। यह बहुत बड़ी बात है। इससे मैंने एक निष्कर्ष निकाला कि प्रतिभा किसी क्षेत्र, किसी जाति, किसी समुदाय तक सीमित नहीं होती है। हर इंसान में प्रतिभा होती है।

आदिवासी भाई-बहन हमारे प्राकृतिक संसाधनों के प्रहरी और रक्षक

अंग्रेजी हुकूमत के दौर में, यदि हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने अपनी वीरता और पराक्रम का प्रदर्शन न किया होता तो हमारी अमूल्य वन संपदा का और भी बड़े पैमाने पर दोहन हो चुका होता। इस प्रकार, हमारे आदिवासी भाई-बहन हमारे प्राकृतिक संसाधनों के प्रहरी और रक्षक के रूप में अपना दायित्व निभाया है। विभिन्न जनजातीय समुदायों ने हमारे स्वाधीनता संग्राम में गौरवशाली योगदान दिया है। हमारे वे जनजातीय शहीद, केवल स्थानीय रूप से ही नहीं पूजे जाते हैं बल्कि पूरे देश में उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है।

कला, प्रशिक्षण हेतु वर्चुअल क्लास के पोर्टल का उद्घाटन

राष्ट्रपति ने कहा मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की वीर गाथाओं को संरक्षित करने एवं आम जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से छिंदवाड़ा में भी एक संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है। यदि हम देखें कि कुल जनसंख्या की दृष्टि से लगभग डेढ़ करोड़ से अधिक देश में सबसे बड़ी जनजातीय आबादी आपके मध्य प्रदेश में है। अत: मध्य प्रदेश में आयोजित यह जनजातीय सम्मेलन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। आज के इस सम्मेलन में कला, प्रशिक्षण हेतु वर्चुअल क्लास के पोर्टल का उद्घाटन करके मुझे प्रसन्नता हुई है। ऐसे विशेष प्रयासों के बल पर जनजातीय युवाओं को टेक्नोलॉजी और कला साहित्य के माध्यम से उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करके उन्हें आधुनिक भारत के निर्माण में सहभागी बनाना है।

जनजातीय समुदायों के तीज-त्योहार और मेले बड़े आकर्षक

उन्होंने कहा, जनजातीय समुदायों के तीज-त्योहार और मेले इतने आकर्षक होते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति का हृदय आनंद से भर उठता है। आज के कार्यक्रमों में हमारी समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिली है। मैं सभी आयोजकों व कलाकारों को भी बधाई देता हूं। हम सबको यह स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि आदिवासी समुदाय का कल्याण तथा विकास पूरे देश के कल्याण और विकास से जुड़ा हुआ है। इसी सोच के साथ केंद्र एवं राज्य की सरकारों द्वारा जनजातियों के आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 6 नए मण्डलों का सृजन किया गया

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 6 नए मण्डलों का सृजन किया गया है। इन नए मण्डलों में जबलपुर मण्डल भी शामिल है जिसका आज ही शुभारंभ हुआ है। हम सबको अपने जनजातीय भाई-बहनों से बहुत कुछ सीखना चाहिए। जनजातीय समुदायों में एकता-मूलक समाज को बनाए रखने पर ज़ोर दिया जाता है। उनमें स्त्रियों और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं किया जाता है। इसलिए जनजातीय आबादी में स्त्री-पुरुष अनुपात सामान्य आबादी से बेहतर है।

जनजातीय समुदायों में व्यक्ति के स्थान पर समूह को प्राथमिकता दी जाती है

जनजातीय समुदायों में व्यक्ति के स्थान पर समूह को प्राथमिकता दी जाती है, प्रतिस्पर्धा की जगह सहयोग को प्रोत्साहित किया जाता है। उनकी जीवनशैली में प्रकृति को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है। आदिवासी जीवन संस्कृति में सहजता होती है तथा परिश्रम का सम्मान होता है। यदि आपको मानवता की जड़ों से जुड़ना है तो आपको जनजातीय समुदायों के जीवन-मूल्यों को अपनी जीवनशैली में लाने का प्रयास करना चाहिए।

जनजातीय समुदायों में परंपरागत ज्ञान का अक्षय भंडार संचित

जनजातीय समुदायों में परंपरागत ज्ञान का अक्षय भंडार संचित है। मुझे बताया गया है कि मध्य प्रदेश में ‘विशेष पिछड़ी जनजाति समूह’ में शामिल बैगा समुदाय के लोग परंपरागत औषधियों व चिकित्सा के विषय में बहुत जानकारी रखते हैं। आज Made in India के साथ-साथ Hand Made in India को प्रोत्साहित करने पर भी बल दिया जा रहा है। हस्तशिल्प के क्षेत्र में हमारे जनजातीय भाई-बहन अद्भुत कौशल के धनी हैं।

शिक्षा ही किसी भी व्यक्ति या समुदाय के विकास का सबसे प्रभावी माध्यम

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा शिक्षा ही किसी भी व्यक्ति या समुदाय के विकास का सबसे प्रभावी माध्यम है। इसलिए जनजातीय समुदाय के शैक्षिक विकास के लिए प्रयास करना बहुत महत्वपूर्ण है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि मध्य प्रदेश में संचालित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों के निर्माण एवं संचालन पर विशेष बल दिया जा रहा है। जनजातीय छात्राओं में साक्षरता और शिक्षा के प्रसार के लिए मध्य प्रदेश में कन्या शिक्षा परिसरों के निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है।

अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के आर्थिक विकास के लिए एक विशिष्ट योजना

‘आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना’ अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के आर्थिक विकास के लिए एक विशिष्ट योजना है। ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जनजातीय वित्त और विकास निगम’ द्वारा इस योजना के तहत रियायती दर पर वित्तीय सहायता दी जाती है। हम सबको मिलकर यह प्रयास करना चाहिए कि हमारे जनजातीय भाई-बहनों को आधुनिक विकास में भागीदारी करने का लाभ मिले और साथ ही, उनकी जनजातीय पहचान व अस्मिता अपने सहज रूप में बनी रहे।

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