लख़नऊ । प्रियंका जी योगीजी मुख्यमंत्री आदित्यनाथ गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं। उनपर किसी टिप्पणी के पहले पीठ का इतिहास, सरोकार, इसके प्रतिनिधियों के राजनीति में आने के मकसद भी जान लेतीं तो अच्छा रहता।
आपको बता दें कि योगी जी के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ मीनाक्षीपुरम की धर्मांतरण की घटना का विस्तार उत्तर भारत में न हो इसके लिए राजनीति में आए। फिर तो ता उम्र हिंदू समाज को जोडऩे के मिशन में ही लगे रहे। इसी क्रम मे उन्होंने सातों के साथ वाराणसी में डोम राजा के भोजन किया। सामूहिक सहभोजों का उनके द्वारा जारी परंपरा अब भी जारी है। दलित कामेश्वर चौपाल के हाथो राममंदिर के शिलापूजन की पहली ईंट रखवाई। पटना के एक मंदिर में उनकी ही पहल से पहली बार एक दलित पुजारी की नियुक्ति हुई। योगीजी उसी सिलसिले को आगे बढ़ा रहे हैं। आपको शायद याद न हो या जानबूझकर याद न करना चाहें , पर अयोध्या में दलित महाबीर के यहां प्रेम से भोजन करती हुई योगीजी की तस्वीर और उस परिवार के आंखों से छलकती ख़ुशी अब भी लोगों के दिलो दिमाग पर चस्पा है।
जहां तक पीठ के सामाजिक सरोकारों की बात है तो उससे संचालित करीब चार दर्जन से अधिक शिक्षण संस्थाओं में दाखिले के लिए किसी से मजहब नहीं पूछा जाता। मंदिर परिसर में ही गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय भी है। उसकी ओपीडी में हर रोज सैकड़ों की संख्या में आने वाले मरीजों में से अधिकांश गरीब दलित,गरीब और अल्पसंख्यक ही होते हैं। मकर संक्रांति से मंदिर परिसर में माह भर तक चलने वाले खिचड़ी मेले में लगने वाली अधिकांश दुकानें भी उनकी ही होती हैं। इस सच से हर कोई वाकिफ है, पर आप नहीं वाकिफ होना चाहेंगी।
राजनीति में आने का मकसद
अब जरा पीठ के प्रतिनिधियों का राजनीति में आने की वजह भी जान लें। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ कांग्रेस द्वारा कम्यूनल लीग के मंजूर किये जाने की वजह से राजनीति में आए किसी पीठ की तीन पीढिय़ों का इतना शानदार इतिहास खुद में अपवाद है। आपकी टिप्पणी उत्तर भारत की सर्वमान्य पीठों में से एक गोरक्षपीठ का अपमान है। इन संदर्भों में जनता ही तय करेगी कि कौन दलित विरोधी है। कौन समाज को जोड़ रहा है और कौन तोड़ रहा है।
मालूम हो कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को अपने एक ट्वीट में लिखा है कि उप्र के मुख्यमंत्री ने जातिवादी बयान देकर अपनी दलित विरोधी मानसिकता दिखाई है। उन्होंने लिखा है कि देश के करोड़ों दलितों का अपमान भारत बर्दाश्त नहीं करेगा।