कोरोना का नए स्ट्रेन डेल्टा प्लस वेरिएंट के खतरे को लेकर काफी चर्चा हो रही है। नए वेरिएंट के लक्षण और वैक्सीन से लेकर इसके खतरे का आकलन किया जा रहा है। डेल्टा प्लस वेरिएंट कितना खतरनाक हो सकता है और वैक्सीन से जुड़ी कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के लिए नई दिल्ली स्थित आरएमएल हॉस्पिटल के डॉ. ए.के. वार्ष्णेय से प्रसार भारत ने खास बातचीत की, जहां उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए।
डेल्टा प्लस वेरिएंट की काफी चर्चा हो रही है, यह कितना खतरनाक है?
वायरस हमेशा अपना जेनेटिक स्ट्रक्चर बदलता रहता है, इसमें वायरस का स्पाइक प्रोटीन बदल जाता है। यह डेल्टा प्लस वेरिएंट काफी खतरनाक माना जा रहा है। इसमें मोनोक्लोनल एंटीबॉडी भी प्रभावी नहीं हो सकती हैं या जिन्हें वैक्सीन लगी है उन्हें भी संक्रमण हो सकता है। अभी तक देश में करीब 50 केस आ चुके हैं। इस वेरिएंट को लेकर भारत सरकार और डब्ल्यूएचओ भी कंसर्न है। इसे रोकने का फिलहाल यही तरीका है कि जहां से भी केस आ रहे हैं तुरंत कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कराएं और उन्हें आइसोलेट करें। इसके अलावा लोगों को वैक्सीन लगी हो या नहीं कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन करें बाहर जाते वक्त डबल मास्क का प्रयोग करें।
डेल्टा प्लस के मल्टीप्लाई होने की संभावना क्या काफी तेज है?
इस नए वेरिएंट के संक्रमण की संभावना पुराने से कितनी तेज है इसे लेकर स्टडी चल रही है। वैसे ये डेल्टा प्लस भी लगभग 2 महीने पुराना ही है और करीब 8-10 देशों में फैल चुका है। हालांकि केस की संख्या बहुत ज्यादा मई में पाई गई है। हमारे देश में भी इसे एक महीने से ज्यादा हो गए हैं लेकिन अब तक 50-60 केस ही आए हैं। इसके संक्रमण के इलाज में काफी समय लग रहा है, जो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दी जा रही थी उसका असर भी नहीं हुआ। इसलिए इसे थोड़ा ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। लेकिन वेरिएंट कोई भी हो बचने का तरीका वही पुराना है।
क्या डेल्टा प्लस वेरिएंट के लक्षण भी अलग हैं?
अभी इस तरह का कोई मामला सामने नहीं आया है। कोरोना वायरस के अन्य वेरिएंट की तरह ही इसके भी लक्षण वही हैं। इनमें बुखार, खांसी , गले में खराश, स्मैल-टेस्ट का जाना ही है।
कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद भी डेथ हो रही है, इसकी क्या वजह है?
वैक्सीन से डेथ का मामला अभी तक सामने नहीं आया है। जहां तक वैक्सीन की बात है तो लगवाने वाले व्यक्ति को भी कई बीमारियां हो सकती हैं। इसमें अगर व्यक्ति को पहली डोज के बाद कोरोना हो गया और कोमोरबिडिटी वाले मरीज हैं तो संक्रमण बढ़ सकता है या अन्य बीमारी भी मृत्यु का कारण बन सकती है। लेकिन वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। कोरोना से वैक्सीन की बचाने की क्षमता 70 प्रतिशत तक है। इसलिए वायरस से बचाव के नियमों का पालन करना है।