
अगले तीन दशक में भारत 311 लाख करोड़ रुपए मूल्य के लॉजिस्टिक ईंधन की कर सकता है बचत : रिपोर्ट
‘भारत में फास्ट ट्रैकिंग फ्रेट : स्वच्छ और लागत प्रभावी माल परिवहन के लिए एक रोडमैप’ नामक एक रिपोर्ट ने भारत की माल परिवहन गतिविधि के 2050 तक पांच गुना होने की आशंका जताई है। नीति आयोग, आरएमआई और आरएमआई इंडिया ने 9 जून को यह रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट भारत के लिए अपनी लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है।
परिवहन के माध्यमों से उत्पन्न धुंए से शहरों में होता है वायु प्रदूषण
वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती मांग के कारण भविष्य में माल परिवहन में वृद्धि की उम्मीद है। माल परिवहन आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है लेकिन इसकी ऊंची लॉजिस्टिक लागत अर्थव्यवस्था के लिए एक समस्या है। इसके अलावा परिवहन के माध्यमों से उत्पन्न धुंए से शहरों में वायु प्रदूषण में इसका योगदान रहता है। इसके कारण वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा में भी वृद्धि होती है।
2020 से 2050 के बीच हो सकती है 10 गीगाटन संचयी कार्बन डाईऑक्साइड की बचत
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की माल परिवहन गतिविधि 2050 तक पांच गुनी हो जाएगी और लगभग 40 करोड़ नागरिक शहरों की ओर जाएंगे। रिपोर्ट के अनुसार भारत में अपनी लॉजिस्टिक लागत में जीडीपी के 4 प्रतिशत तक कमी लाने की क्षमता है। इसके साथ, 2020 से 2050 के बीच भारत 10 गीगाटन संचयी कार्बन डाईऑक्साइड बचा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि हम 2050 तक नाइट्रोजन ऑक्साइड( एनओएक्स) और कण पदार्थ क्रमशः 35 प्रतिशत और 28 प्रतिशत तक घटा सकते हैं। इन सबके लिए संपूर्ण प्रणाली में परिवर्तन की आवश्यकता है।
‘मेक इन इंडिया’, ‘आत्मनिर्भर भारत’ तथा ‘डिजिटल इंडिया’ के लिए कुशल माल परिवहन मददगार
नीति आयोग के सलाहकार (परिवहन तथा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी) सुधेन्दु जे सिन्हा ने कहा कि माल परिवहन भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था की प्रमुख रीढ़ है और इस परिवहन प्रणाली को अधिक लागत सक्षम, कुशल और स्वच्छ बनाना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। कुशल माल परिवहन ‘मेक इन इंडिया’, ‘आत्मनिर्भर भारत’ तथा ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे सरकार के वर्तमान पहलों को हासिल करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
अगले तीन दशकों में 311 लाख करोड़ रुपये की हो सकती है बचत
आरएमआई के प्रबंध निदेशक क्ले स्टैंजर ने कहा कि इस परिवर्तन को कुशल रेल आधारित परिवहन, लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला के अधिकतम उपयोग तथा बिजली और अन्य स्वच्छ ईंधन वाहनों में बदलाव जैसे अवसरों का लाभ उठा कर परिभाषित किया जाएगा। इन समाधानों से भारत को अगले तीन दशकों में 311 लाख करोड़ रुपये की बचत करने में मदद मिल सकती है।
प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर जोर देना है नीति आयोग का उद्देश्य
नीति आयोग का गठन 1 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। वर्तमान में इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत हैं। इसका उद्देश्य कार्यक्रमों और नीतियों के क्रियान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर जोर देना है। यह राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करने के लिए भी उत्तरदायी है। इसके उद्देश्यों में, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, वृतिकों तथा अन्य भागीदारों के सहयोगात्मक समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता सहायक प्रणाली बनाना एवं विकास के एजेंडे के क्रियान्वयन में तेजी लाने के क्रम में अंतर-क्षेत्रीय और अंतर-विभागीय मुद्दों के समाधान के लिए एक मंच प्रदान करना शामिल हैं।
परिवहन और बिजली है आरएमआई इंडिया का मुख्य कार्यक्षेत्र
आरएमआई का पूरा नाम रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट है। आरएमआई इंडिया 2019 में अस्तित्व में आया था। यह भारत की स्वच्छ ऊर्जा और गतिशील भविष्य के विजन को साकार करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के साथ काम कर रहा है। इसके लिए यह केंद्र सरकार, राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों, उद्योग जगत के नेताओं और नागरिक समाज संगठनों के साथ भागीदारी करता है। इसका मुख्य कार्यक्षेत्र परिवहन और बिजली है, जो वर्तमान में भारत के कार्बन उत्सर्जन और कण प्रदूषण के 50 प्रतिशत से अधिक के लिए जिम्मेदार है।
प्रस्तावित समाधानों से हो सकता है एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत का नेतृत्व स्थापित
यह रिपोर्ट नीति, प्रौद्योगिकी, बाजार, व्यवसाय मॉडल तथा अवसंरचना विकास से संबंधित माल ढुलाई क्षेत्र की समस्याओं के समाधानों के विषय में बताती है। इन सुधारों में रेल नेटवर्क की क्षमता बढ़ाना, इंटरमोडल परिवहन को बढ़ावा देना, वेयरहाउसिंग और ट्रक परिचालन व्यवहारों में सुधार, नीतिगत उपायों और स्वच्छ प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए पायलट परियोजनाएं और ईंधन अर्थव्यवस्था के कठोर मानक शामिल हैं। अगर इन प्रस्तावित समाधानों को सफलतापूर्वक लागू किया जाए तो ये लॉजिस्टिक नवाचार में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत का नेतृत्व स्थापित करने में सहायता कर सकते हैं।