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जानें, कैसे ग्रामीण इलाकों में कोरोना को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं ‘कोरोना भूत’

हिमाचल प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने ग्रामीण इलाकों को खासतौर पर निशाने पर लिया। लिहाजा कोरोना संक्रमण को लेकर गांव में जागरूकता व गांव का सुचारू रूप से सेनेटाइजेशन और लक्षण सामने आने पर ग्रामीणों की टेस्टिंग के बाद पी.एच.सी. में संक्रमितों के इलाज जैसे काम इलाके के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए खासी चुनौती पैदा करने वाले साबित हुए। ऐसे में देशभर में कई प्रशासनिक अधिकारियों ने इन चुनौतियों का रचनात्मक हल निकाला। जी हां, ग्रामीण इलाकों में कोरोना को लेकर जागरूकता फैलाने की दिशा में एक ऐसी ही पहल कांगड़ा में भी देखने को मिली। इस पहल के पीछे कांगड़ा के किस अधिकारी की प्रेरणा दिखती है आइए जानते हैं इसके बारे में…

कोविड से बचाव के लिए जागरूकता अभियान

कोरोना की दूसरी लहर के बीच हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा जिला ‘कोरोना भूत’ को लेकर चर्चा में आया। दरअसल, जिला प्रशासन की ओर से कांगड़ा जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड से बचाव के लिए जागरूकता अभियान आरम्भ किया गया है। दरअसल, जिले के गांव-गांव जाकर इस जागरूकता अभियान का संचालन जो कर रहे हैं, उन्हें इलाके में “कोरोना भूत” के नाम से जाना जा रहा है। यही कोरोना भूत गांव-गांव जाकर लोगों को कोविड से बचने का संदेश दे रहा है। यह कोरोना भूत कोई और नहीं बल्कि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के कलाकार हैं। ये कलाकार बहरूपिया के वेश में बीते कई दिनों से जिला कांगड़ा के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में घूम-घूम कर कोरोना से बचाव के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। जिला प्रशासन की इस खास पहल का ग्रामीणों ने भी स्वागत किया है।

देश के प्रशासनिक अधिकारियों ने निकाला रचनात्मक हल

दरअसल, कांगड़ा के ग्रामीण इलाकों में कोरोना भूत के जरिए जागरूकता फैलाने का विचार जिला उपायुक्त राकेश प्रजापति के दिमाग की उपज है। प्रजापति बताते हैं कि इस पहल के बाद जिले में कोरोना संक्रमण के मामले पहले से काफी कम हुए हैं। जाहिर है कि जिले में जागरूकता अभियान के नतीजे मिलने शुरू हो गए हैं, लेकिन राकेश प्रजापति का मानना है कि लोगों को अभी भी कोविड से बचने के लिए प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।

कैसे आई कोरोना मामलों में कमी ?

राकेश प्रजापति आगे जोड़ते हुए बताते हैं कि कांगड़ा जिला में अर्बन एरिया 10 से 15 प्रतिशत है। इन इलाकों में पॉजीटिविटी रेट काफी नीचे आ गई है, लेकिन पंचायती इलाकों में वेव अभी भी चली हुई है। ऐसे में बेहद जरूरी था कि हम बेहद इनोवेटिव तरीके से पंचायत के लोगों तक पहुंचे और उनको मास्क लगाने, हैंड हाइजीन व सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में उनकी भाषा में यानि लोकल डायलेक्ट में उनके साथ संवाद करें। इसी कार्यक्रम को हमनें आगे बढ़ाया है। इसके लिए हमारे डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक रिलेशन (डीपीआर) के लोग हैं, इस काम को बखूबी पिछले एक हफ्ते से पूरे जिले में कर रहे हैं।

ग्रामीणों को क्या संदेश दे रहा ‘कोरोना भूत’ ?

ग्रामीण इलाकों में लोगों से बार-बार कोरोना से बचाव के लिए जारी किए गए निर्देशों का पालन करने की अपील की जा रही है। इलाके में घूम-घूम कर कोरोना भूल लोगों से अपील कर रहा है कि वायरस के संक्रमण से बचने के लिए बार-बार हाथ धोएं, बार-बार अपने चेहरे को न छुएं और सेनेटाइजर का प्रयोग करें। ऐसी सावधानियों को बरतते हुए इस संक्रमण से बचा जा सकता है। कोरोना भूल लोगों से बिना वजह अपने घर से न निकलने और कोरोना कर्फ्यू का पूर्ण रूप से पालन करने, कोरोना कर्फ्यू में ढील के दौरान भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और मास्क लगाकर रखने की अपील कर रहा है। प्रशासन ग्रामीणों से लगातार खांसी, बुखार, जुकाम आदि होने की स्थिति में नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में तुरंत जांच कराने की अपील भी कर रहा है, ताकी प्रारम्भिक स्तर पर ही संक्रमण का पता लगाया जा सके और उसका समय पर उपचार संभव हो पाए।

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