कोविड-19 , वित्त मंत्री ने उपभोक्ता खर्च को प्रोत्साहित करने के लिए 73,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड-19 महामारी के कारण लागू किए गए लॉकडाउन से उत्पन्न आर्थिक सुस्ती से लड़ने के प्रयासों के तहत आज यहां अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता खर्च को प्रोत्साहित करने के लिए 73,000 करोड़ रुपये के उपायों की घोषणा की। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, वित्त सचिव डॉ. अजय भूषण पांडेय, वित्तीय सेवा विभाग में सचिव देबाशीष पांडा और आर्थिक कार्य विभाग में सचिव तरुण बजाज भी इस प्रोत्साहन (स्टिमुलस) पैकेज की घोषणा के दौरान उपस्थित थे। मांग बढ़ाने में सहायक इस प्रोत्साहन (स्टिमुलस) पैकेज की घोषणा करते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा, ‘ऐसे संकेत मिले हैं कि सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की भी बचत में अच्छी-खासी वृद्धि हुई है और हम विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के लोगों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं, ताकि कम भाग्यशाली व्यक्तियों का भी भला हो सके।’ वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि यदि आज घोषित किए गए प्रोत्साहन (स्टिमुलस) उपायों की बदौलत विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग बढ़ती है, तो इसका सकारात्मक प्रभाव उन लोगों या कारोबारियों पर भी पड़ेगा जो कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और जो अपने व्यवसाय को निरंतर जारी रखने के लिए विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग बढ़ने का इंतजार बड़ी बेसब्री से कर रहे हैं।
वित्त मंत्री ने इस विचार पर जोर दिया कि आज का समाधान कल की समस्या का कारण नहीं बनना चाहिए। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि सरकार देश के आम नागरिकों पर भविष्य की महंगाई का बोझ नहीं डालना चाहती और सरकारी कर्ज को भी अस्थायी रास्ते पर नहीं धकेलना चाहती है। वित्त मंत्री द्वारा आज जो प्रस्ताव पेश किए हैं, वे वित्तीय रूप से बहुत किफायती ढंग से खर्च को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार किए गए हैं। इनमें कुछ प्रस्ताव बाद में ऑफसेट परिवर्तनों के जरिए खर्च को आगे बढ़ाने या शुरुआती खर्च को लेकर हैं, जबकि अन्य प्रस्ताव जीडीपी में वृद्धि से सीधे जुड़े हुए हैं। श्रीमती सीतारमण द्वारा की गई वर्तमान घोषणा कोविड-19 द्वारा पैदा की गई आर्थिक मंदी का मुकाबला करने में भारत सरकार के सक्रिय हस्तक्षेप को दिखाती है। इनका विवरण निम्नानुसार हैं: –
उपभोक्ता खर्च / अवकाश यात्रा रियायत (एलटीसी)नकद वाउचर योजना
वित्त मंत्री ने इस योजना की घोषणा करते हुए कहा, “एलटीसी नकद वाउचर योजना का लाभ उठाने में कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ा प्रोत्साहन यह है कि 2021 में पूरे होने वाले चार साल के ब्लॉक में एलटीसी का लाभ नहीं उठाया गया तो वो समाप्त हो जाएगी, और ये दरअसल कर्मचारियों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। वे इससे वो सामान खरीद सकते हैं जो उनके परिवार के काम आ सकता है।” केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 4 साल के ब्लॉक में एलटीसी मिलता है जिसमें वेतनमान / पात्रता के अनुसार हवाई या रेल किराए की प्रतिपूर्ति की जाती है और इसके अलावा 10 दिनों के छुट्टी नकदीकरण (वेतन + डीए) का भुगतान किया जाता है। लेकिन कोविड-19 के कारण कर्मचारी लोग 2018-21 के वर्तमान ब्लॉक में एलटीसी का लाभ उठाने की स्थिति में नहीं हैं।
इसलिए सरकार ने 2018-21 के दौरान एलटीसी के बदले नकद भुगतान देने का फैसला किया है, जिसमें शामिल होगा: छुट्टी नकदीकरण पर पूर्ण भुगतान और पात्रता की श्रेणी के आधार पर 3 फ्लैट-दर वाले स्लैब में किराए का भुगतान , किराया भुगतान कर मुक्त होगा । इस योजना का उपयोग करने वाले कर्मचारी को 31 मार्च 2021 से पहले किराए के मूल्य का तीन गुना और छुट्टी नकदीकरण के मूल्य का एक गुना सामान / सेवाएं खरीदनी होंगी। इस योजना के लिए यह भी आवश्यक है कि इस पैसे को डिजिटल मोड के माध्यम से जीएसटी पंजीकृत विक्रेता से 12 प्रतिशत या अधिक की जीएसटी दर वाले सामान पर ही खर्च किया जाए। इसका लाभ उठाने के लिए कर्मचारी को जीएसटी चालान दिखाना आवश्यक है।
अगर केंद्र सरकार के कर्मचारी इस योजना को चुनते हैं तो इसकी लागत लगभग 5,675 करोड़ रुपये होगी। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के कर्मचारियों को भी इस सुविधा की अनुमति दी जाएगी और उनके लिए ये अनुमानित लागत 1,900 करोड़ रुपये आएगी। राज्य सरकार / निजी क्षेत्र के लिए भी इस कर रियायत की अनुमति दी जाएगी, उन कर्मचारियों के लिए जो वर्तमान में केंद्र सरकार की इस योजना के दिशा-निर्देशों के अधीन एलटीसी के हकदार हैं। केंद्र सरकार और केंद्रीय पीएसई / पीएसबी कर्मचारियों द्वारा इससे अर्थव्यवस्था में अनुमानित रूप से 19,000 करोड़ रुपये के लगभग मांग का संचार होगा। राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा 9,000 करोड़ रुपये के करीब मांग का संचार होगा। ऐसी उम्मीद है कि ये 28,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उपभोक्ता मांग पैदा करेगा।
II- विशेष त्योहार एडवांस योजना
गैर-राजपत्रित कर्मचारियों के साथ-साथ राजपत्रित कर्मचारियों के लिए भी एक विशेष त्योहार एडवांस योजना को मांग को प्रोत्साहित करने के एक मुश्त उपाय के रूप में पुनर्जीवित किया जा रहा है। सभी केन्द्र सरकार के कर्मचारी अपने त्योहार की पसंद के आधार पर 31 मार्च, 2021 तक खर्च की जाने वाली 10,000 रुपये की ब्याज मुक्त एडवांस राशि प्राप्त कर सकते हैं। यह ब्याज मुक्त एडवांस राशि कर्मचारी से अधिक से अधिक 10 किश्तों में वसूलनीय है। कर्मचारियों को अग्रिम राशि का प्री-लोडेड रुपे कार्ड मिलेगा। सरकार कार्ड के बैंक प्रभारों को वहन करेगी। रुपे कार्ड के माध्यम से अग्रिम राशि का वितरण भुगतान के डिजिटल मोड को सुनिश्चित करता है, जिसके परिणामस्वरूप कर राजस्व और ईमानदार व्यवसायों को प्रोत्साहन मिलेगा। विशेष त्योहार एडवांस योजना (एसएफएएस) की एक मुश्त वितरण राशि लगभग 4,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। अगर सभी राज्य सरकारें एसएफएएस देती हैं तो 8,000 करोड़ रुपये की अन्य राशि वितरित किए जाने की उम्मीद है।
राज्यों को विशेष सहायता:
पूंजीगत व्यय से संबंधित कदमों की घोषणा करते हुए, श्रीमती सीतारमण ने कहा कि बुनियादी ढांचे और परिसंपत्ति निर्माण पर खर्च किए गए धन का अर्थव्यवस्था पर गुणात्मक प्रभाव पड़ता है। यह न केवल वर्तमान जीडीपी, बल्कि भविष्य की जीडीपी में भी सुधार लाता है। सरकार राज्यों और केंद्र, दोनों, के पूंजीगत व्यय को एक नयी गति देना चाहती है। पूंजीगत व्यय पर एक नया जोर देते हुए, श्रीमती सीतारमण ने कहा कि बुनियादी ढांचे और परिसंपत्ति निर्माण पर खर्च किए गए धन का अर्थव्यवस्था पर गुणात्मक प्रभाव पड़ता है। यह न केवल वर्तमान जीडीपी, बल्कि भविष्य की जीडीपी में भी सुधार लाता है। सरकार राज्यों और केंद्र, दोनों, के पूंजीगत व्यय को एक नयी गति देना चाहती है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों को 50 वर्षों के लिए 12,000 करोड़ रूपए के पूंजीगत व्यय के लिए एक विशेष ब्याज मुक्त ऋण जारी कर रही है। इस योजना के 3 भाग हैं।
इस योजना के भाग – 1 में निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:
8 पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 200 करोड़ रुपये प्रत्येक (1,600 करोड़ रुपये)
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के लिए 450 करोड़ प्रत्येक ( 900 करोड़ रुपये)
इस योजना के भाग – 2 में निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:
15वें वित्त आयोग अंतरण के अनुसार 7,500 करोड़ रुपये शेष राज्यों हेतु
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों को दिए जाने वाले ब्याज़ मुक्त ऋण का पहला और दूसरा भाग 31 मार्च, 2021 से पहले खर्च करना होगा। पहले भाग में 50% राशि दी जाएगी और शेष 50% राशि का हस्तांतरण पहले भाग के इस्तेमाल के बाद दी जाएगी। इस्तेमाल न किए गए धन को केंद्र सरकार दूसरे मद के लिए आवंटित कर देगी। तीसरे भाग के अंतर्गत 12,000 करोड़ रुपये का ब्याज़ मुक्त लोन राज्यों को दिया जाएगा। 2,000 करोड़ रुपये उन राज्यों को दिए जाएंगे जो व्यय विभाग द्वारा 17 मई, 2020 को जारी किए गए पत्र संख्या (एफ़ न.) 40(06)/पीएफ़-एस/17-18 भाग-5 में आत्म निर्भर भारत पैकेज (एएनबीपी) में निर्धारित किए गए 4 सुधारों में से कम से कम 3 सुधारों को पूर्ण करेंगे। यह 2,000 करोड़ रुपये अन्य ऋणों और कर्ज़ों की सीमा से अलग होंगे।
इस योजना के मुख्य बिन्दु निम्न लिखित हैं:
इसका इस्तेमाल धन की आवश्यकता वाली नई या पहले से चल रही परियोजनाओं और / या ठेकेदारों का बकाया चुकाने/ या ऐसी परियोजनाओं हेतु आपूर्तिकर्ताओं के बिल का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है। कैपेक्स (सीएपीईएक्स) को 31 मार्च, 2021 से पहले खर्च करना होगा। यह धन आवंटन राज्यों को दिए जाने वाले अन्य अतिरिक्त ऋण सीमा के ऊपर होगा। बुलेट पुनर्भुगतान 50 वर्ष के बाद होगा, 50 वर्षों के लिए सेवा की आवश्यकता नहीं होगी।
II- बढ़े हुए बजट प्रावधान
वित्त मंत्री ने कहा है कि, केंद्रीय बजट 2020 में जारी किए गए 4.13 लाख करोड़ रुपये के अलावा 25,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट सड़क, रक्षा, जल आपूर्ति, शहरी विकास और घरेलू स्तर पर उत्पादित पूंजी आधारित उपकरणों पर होने वाले व्यय के लिए प्रदान किया जा रहा है। सरकारी व्यावसायिक गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने की अनुमति देने के लिए, वित्त मंत्रालय और सभी संबंधित मंत्रालयों की आगामी संशोधित चर्चाओं में इनका आवंटन किया जाएगा। विदित है कि, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) के तहत 1.70 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा 26 मार्च, 2020 को हुई थी और आत्म निर्भर भारत पैकेज (एएनबीपी) के अंतर्गत भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 10% भाग के बराबर 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा 12 मई 2020 को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान का स्पष्ट आह्वान किया जिससे भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन जाए। साथ ही उन्होंने इस अभियान के पांच स्तंभों – अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढाँचा, कार्य प्रणाली, जीवंत जनसांख्यिकी और माँग को भी रेखांकित किया।