
देवउठनी एकादशी पर आदि केशव मंदिर में होगा भगवान विष्णु का भव्य शृंगार और तुलसी पूजनोत्सव
वाराणसी के राजघाट स्थित वरुणा-गंगा संगम पर स्थित आदि केशव मंदिर में इस वर्ष देवउठनी एकादशी (2 नवम्बर 2025, रविवार) को भगवान श्री श्री प्रभु आदिकेशव (विष्णु भगवान) का भव्य शृंगार एवं तुलसी पूजनोत्सव मनाया जाएगा। मंदिर के महंत-पुजारी विद्या शंकर त्रिपाठी के अनुसार इस अवसर पर भगवान विष्णु योगनिद्रा से जाग्रत होंगे और तुलसी विवाह का आयोजन किया जाएगा। दर्शन दोपहर 2 बजे से रात 11 बजे तक होंगे। सभी श्रद्धालु परिवार सहित इस शुभ अवसर में सम्मिलित होकर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
- 2 नवम्बर को राजघाट स्थित वरुणा-गंगा संगम पर भक्तों के लिए होगा विशेष दर्शन और आरती
वाराणसी। काशी में देवउठनी एकादशी का पर्व हर वर्ष श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसी पावन परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष भी वरुणा-गंगा संगम स्थित आदि केशव मंदिर, राजघाट में भगवान श्री श्री प्रभु आदिकेशव (विष्णु भगवान) का भव्य शृंगार एवं तुलसी पूजनोत्सव धूमधाम से आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन 2 नवम्बर 2025, दिन रविवार को सम्पन्न होगा।देवउठनी एकादशी को ‘प्रबोधिनी एकादशी’ भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जाग्रत होकर सृष्टि के कार्यों का संचालन पुनः आरंभ करते हैं। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन करने से मनुष्य को अखंड सौभाग्य, संतति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
महंत विद्या शंकर त्रिपाठी ने बताया कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जाग्रत होते हैं। इसी के साथ ही चार माह तक चलने वाला चातुर्मास व्रत समाप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी माता का विवाह भी संपन्न कराया जाता है, जिसे तुलसी विवाह उत्सव कहा जाता है। इस दिन पूजा-पाठ, व्रत और दान का विशेष महत्व होता है। महंत त्रिपाठी ने बताया कि भगवान आदिकेशव का अलौकिक शृंगार, पुष्प सज्जा और विशेष आरती इस दिन की मुख्य आकर्षण रहेंगे।

श्रद्धालु दोपहर 2 बजे से रात 11 बजे तक दर्शन कर सकेंगे। तुलसी पूजन और विवाह समारोह के बाद भक्तों के लिए प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था की गई है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं, भक्तों और धर्मप्रेमियों से अपील की है कि वे परिवार सहित इस दिव्य अनुष्ठान में सम्मिलित होकर भगवान विष्णु और माता तुलसी का आशीर्वाद प्राप्त करें। देवउठनी एकादशी के अवसर पर आदि केशव मंदिर का वातावरण भक्ति रस से सराबोर रहेगा। मंदिर प्रांगण को आकर्षक फूलों और दीयों से सजाया जाएगा। धार्मिक भजन, संकीर्तन और वैदिक मंत्रोच्चारण से संपूर्ण परिसर में दिव्यता का वातावरण रहेगा।
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