मतदाता पहचान सत्यापन पर अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी के सुझाव को निर्वाचन आयोग ने माना गंभीर, शिकायत हुई दर्ज
वाराणसी । भारतीय जनता पार्टी विधि प्रकोष्ठ, काशी क्षेत्र के संयोजक अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी द्वारा भारत निर्वाचन आयोग को भेजे गए एक महत्वपूर्ण पत्र पर आयोग ने औपचारिक रूप से संज्ञान लेते हुए कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। आयोग ने इस शिकायत को संदर्भ संख्या NGS24N071025452200 के अंतर्गत पंजीकृत किया है तथा ईमेल के माध्यम से सूचित किया है कि शिकायत को संबंधित अधिकारियों को अग्रेषित करते हुए प्राथमिकता पर कार्यवाही के लिए लिया गया है। यह कदम आयोग की निष्पक्ष और पारदर्शी निर्वाचन प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मतदाता की पहचान के लिए चेहरे से मिलान का सुझाव
अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी ने अपने पत्र में निर्वाचन आयोग से आग्रह किया था कि मतदाता की पहचान केवल दस्तावेज़ देखकर नहीं, बल्कि वोटर आईडी या आधार कार्ड के फोटो से प्रत्यक्ष चेहरे के मिलान द्वारा सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली मतदान केंद्रों पर फर्जी या प्रतिरूप मतदान की संभावनाओं को समाप्त कर सकती है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि पर्दानशीं या बुर्कानशीं महिलाओं के मामलों में पहचान सत्यापन केवल महिला अधिकारियों द्वारा ही किया जाए, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता के साथ सामाजिक मर्यादा भी बनी रहे।
कानूनी आधार पर आधारित प्रस्ताव
अपने सुझाव में अधिवक्ता त्रिपाठी ने स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62 एवं 100, और निर्वाचन नियमावली, 1961 के नियम 49H तथा 49L के अनुरूप है। इन प्रावधानों के तहत निर्वाचन की वैधता और मतदाता की पहचान को लेकर दिशा-निर्देश निर्धारित हैं, जिनका पालन तकनीकी सहायता से और सटीक रूप से किया जा सकता है।
फर्जी मतदान पर प्रभावी नियंत्रण की दिशा में कदम
अधिवक्ता त्रिपाठी का कहना है कि यदि चेहरे से पहचान प्रणाली लागू की जाती है, तो मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और जनता का विश्वास निर्वाचन आयोग में और मजबूत होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम लोकतंत्र की जड़ों को सुदृढ़ करेगा तथा चुनाव को विवादों से मुक्त करने की दिशा में ऐतिहासिक सुधार साबित हो सकता है।
निर्वाचन आयोग का सकारात्मक रुख
निर्वाचन आयोग द्वारा इस शिकायत को प्राथमिकता से पंजीकृत किया जाना इस बात का संकेत है कि आयोग जनता और विधि विशेषज्ञों के सुझावों को गंभीरता से ले रहा है। यह निर्णय लोकतांत्रिक संस्थाओं की जवाबदेही और पारदर्शिता के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है। राजनीतिक और कानूनी विशेषज्ञों ने इस पहल को सराहते हुए कहा है कि अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी का सुझाव व्यावहारिक, दूरदर्शी और लोकतंत्र के हित में अत्यंत उपयोगी है।
लोकतंत्र में विश्वास की नई परंपरा
वाराणसी क्षेत्र से अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी की यह पहल केवल एक सुझाव नहीं बल्कि नागरिक उत्तरदायित्व और लोकतांत्रिक जागरूकता का प्रतीक है। निर्वाचन आयोग का त्वरित संज्ञान यह सिद्ध करता है कि अब भारत की निर्वाचन प्रणाली में नागरिक भागीदारी को गंभीरता से महत्व दिया जा रहा है। यह प्रयास आने वाले चुनावों में एक नई पारदर्शी प्रक्रिया की शुरुआत कर सकता है – जहां हर मतदाता का चेहरा, उसकी पहचान और उसका वोट – सब कुछ निष्पक्षता के साथ दर्ज हो।
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