
नेताजी सुभाष बाबू के जीवन से प्रेरणा लें युवा : मोदी
राष्ट्र निर्माण के लिए सर्वहित के भाव से जुटने का आह्वान किया मोदी ने.अंतरिक्ष में विनिर्माण के लिए नयी प्रौद्योगिकी पर हो रहा है काम: मोदी.छोटे शहरों में स्टार्टअप में आधे से अधिक का नेतृत्व कर रही है बेटियां: मोदी.महाकुंभ समरसता का प्रतीक: मोदी.
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की महान विभूति नेताजी सुभाष चंद्र बोस को दूरदृष्टा और प्रराक्रमी बताते हुये आज कहा कि सुभाष बाबू एक कुशल प्रशासक भी थे और उनके जीवन से युवाओं को निरतंर प्रेरणा लेनी चाहिए।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा ‘मेरे प्यारे देशवासियों, पल-भर के लिए आप एक दृष्य की कल्पना कीजिए- कोलकाता में जनवरी का समय है। दूसरा विश्व युद्ध अपने चरम पर है और इधर भारत में अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा उफान पर है। इसकी वजह से शहर में चप्पे-चप्पे पर पुलिसवालों की तैनाती है। कोलकाता के बीचों–बीच एक घर के आस-पास पुलिस की मौजूदगी ज्यादा चौकस है। इसी बीच लंबा ब्राउन कोट , पेंट और काली टोपी पहने हुए एक व्यक्ति रात के अंधेरे में एक बंगले से कार लेकर बाहर निकलता है। मजबूत सुरक्षा वाली कई चौकियों को पार करते हुए वह एक रेलवे स्टेशन गोमो पहुँच जाता है। ये स्टेशन अब झारखंड में है। यहां से एक ट्रेन पकड़कर वह आगे के लिए निकलता है। इसके बाद अफगानिस्तान होते हुए वह यूरोप जा पहुंचता है और यह सब अंग्रेजी हुकूमत के अभेद किलेबंदी के बावजूद होता है।
‘उन्होंने कहा कि ये कहानी आपको फिल्मी सीन जैसी लगती होगी। आपको लग रहा होगा इतनी हिम्मत दिखाने वाला व्यक्ति आखिर किस मिट्टी का बना होगा। दरअसल ये व्यक्ति कोई और नहीं, हमारे देश की महान विभूति नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे। 23 जनवरी यानि उनकी जन्म-जयंती को अब हम ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाते हैं। उनके शौर्य से जुड़ी इस गाथा में भी उनके पराक्रम की झलक मिलती है।श्री मोदी ने कहा ‘कुछ साल पहले मैं उनके उसी घर में गया था जहां से वे अंग्रेजों को चकमा देकर निकले थे। उनकी वह कार अब भी वहां मौजूद है। वो अनुभव मेरे लिए बहुत ही विशेष रहा। सुभाष बाबू एक दूरदृष्टा थे। साहस तो उनके स्वभाव में रचा-बसा था। इतना ही नहीं वे बहुत कुशल प्रशासक भी थे। महज 27 साल की उम्र में वह कोलकाता कार्पोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बने और उसके बाद उन्होंने मेयर की जिम्मेदारी भी संभाली। एक प्रशासक के रूप में भी उन्होंने कई बड़े काम किए। बच्चों के लिए स्कूल, गरीब बच्चों के लिए दूध का इंतजाम और स्वच्छता से जुड़े उनके प्रयासों को आज भी याद किया जाता है।
‘प्रधानमंत्री ने कहा कि नेताजी सुभाष का रेडियो के साथ भी गहरा नाता रहा है। उन्होंने ‘आजाद हिन्द रेडियो’ की स्थापना की थी जिस पर उन्हें सुनने के लिए लोग बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते थे। उनके संबोधनों से विदेशी शासन के खिलाफ लड़ाई को एक नई ताकत मिलती थी। ‘आजाद हिन्द रेडियो’ पर अंग्रेजी, हिन्दी, तमिल, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, पश्तो और उर्दू में समाचार बुलेटिन का प्रसारण होता था। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन करते हुये कहा कि देश-भर के युवाओं से आग्रह है कि वे उनके बारे में अधिक से अधिक पढ़ें और उनके जीवन से निरंतर प्रेरणा लें।
राष्ट्र निर्माण के लिए सर्वहित के भाव से जुटने का आह्वान किया मोदी ने
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संविधान निर्माता के सपनों के अनुरूप भारत के निर्माण का आह्वान करते हुए कहा है कि इसके लिए सर्वहित, संस्कृति संरक्षण और समानता के मूल्यों को लेकर आगे बढ़ना होगा।श्री मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 118वीं कड़ी में राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि इस बार का ‘गणतंत्र दिवस’ बहुत विशेष है। ये भारतीय गणतंत्र की 75वीं वर्षगाँठ है।उन्होंने कहा, “मैं संविधान सभा के उन सभी महान व्यक्तित्वों को नमन करता हूँ, जिन्होंने हमें हमारा पवित्र संविधान दिया।”उन्होंने कहा कि संविधान सभा के दौरान अनेक विषयों पर लंबी-लंबी चर्चाएं हुईं। ये चर्चाएं, संविधान सभा के सदस्यों के विचार, उनकी वाणी बहुत बड़ी धरोहर है।श्री मोदी ने अपने संबोधन में संविधान सभा के सदस्य डॉक्टर बी आर अंबेडकर, डॉ राजेंद्र प्रसाद और डॉ श्यामाचरण मुखर्जी के भाषणों का उल्लेख भी किया।
उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने एकमत और सर्वहित पर जोर दिया और डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अहिंसा और शांति जैसे मूल्यों के संस्कृति संरक्षण को महत्वपूर्ण बताया।प्रधानमंत्री ने डॉक्टर श्यामा चरण मुखर्जी का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने अवसरों की समानता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि देशवासियों को संविधान निर्माताओं के इन विचारों से प्रेरणा लेकर ऐसे भारत के निर्माण के लिए काम करना है जिस पर हमारे संविधान निर्माताओं को भी गर्व हो।श्री मोदी ने कहा, “आज 2025 की पहली ‘मन की बात’ हो रही है। हर बार ‘मन की बात’ महीने के आखिरी रविवार को होती है लेकिन इस बार हम एक सप्ताह पहले चौथे रविवार की बजाय तीसरे रविवार को ही मिल रहे हैं। क्योंकि अगले सप्ताह रविवार के दिन ही ‘गणतंत्र दिवस’ है। मैं सभी देशवासियो को ‘गणतंत्र दिवस’ की अग्रिम शुभकामनाएं देता हूँ।
“प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘गणतंत्र दिवस’ से एक दिन पहले 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस है। ये दिन इसलिए अहम है क्योंकि इस दिन ‘भारतीय निर्वाचन आयोग’ की स्थापना हुई थी। उन्होंने कहा, “मैं चुनाव आयोग का भी धन्यवाद दूंगा जिसने समय-समय पर हमारी मतदान प्रक्रिया को आधुनिक बनाया है, मजबूत किया है। आयोग ने जन-शक्ति को और शक्ति देने के लिए तकनीक की शक्ति का उपयोग किया। मैं चुनाव आयोग को निष्पक्ष चुनाव के उनके समर्पण के लिए बधाई देता हूँ।”प्रधानमंत्री ने देशवासियों से ज्यादा-से-ज्यादा संख्या में अपने मत के अधिकार का उपयोग करने का आह्वान करते हुए कहा कि फिर लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बने और इसे मजबूत करें।”
अंतरिक्ष में विनिर्माण के लिए नयी प्रौद्योगिकी पर हो रहा है काम: मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि 2025 की शुरुआत में ही भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं और अभी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास का एक्सटेम केंद्र अंतरिक्ष में विनिर्माण के लिए नई तकनीकों पर काम कर रहा है।श्री मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि आईआईटी मद्रास का एक्सटेम केंद्र अंतरिक्ष में विनिर्माण के लिए नई तकनीकों पर काम कर रहा है। ये केंद्र अंतरिक्ष में 3डी प्रिंटेड बिल्डिंग, धातु फॉम और ऑप्टिकल फाइबर्स जैसे तकनीकों पर रिसर्च कर रहा है। ये सेंटर बिना पानी के कांसेंट्रेट निर्माण जैसी क्रांतिकारी विधियों को भी विकसित कर रहा है। एक्सटेम की ये शोध भारत के गगनयान मिशन और भविष्य के अंतरिक्ष केन्द्र को मजबूती देगी। इससे विनिर्माण में आधुनिक तकनीक के भी नए रास्ते खुलेगें।
प्रधानमंत्री ने कहा ‘यह बातते हुये मुझे गर्व है कि एक भारतीय स्पेस स्टार्टअप बेंगलुरू के पिक्सेल ने भारत का पहला निजी उपग्रह कांस्टेलेशन ‘फायर-फ्लाई’ सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है। यह उपग्रह कांस्टेलेशन दुनिया का सबसे हाई रिसुलेशन हाईपरस्पेक्ट्रल उपग्रह कांस्टेलेशन है। इस उपलब्धि ने न केवल भारत को आधुनिक अंतरिक्ष तकनीक में अग्रणी बनाया है बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। ये सफलता हमारे निजी अंतरिक्ष क्षेत्र की बढ़ती ताकत और नवाचार का प्रतीक है। मैं इस उपलब्धि के लिए पिक्सेल की टीम, इसरो और इन स्पेस को पूरे देश की ओर से बधाई देता हूं।’उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले हमारे वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष क्षेत्र में ही एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। वैज्ञानिकों ने उपग्रहों की अंतरिक्ष में डॉकिंग कराई है। जब अंतरिक्ष में दो उपग्रह जुड़ते हैं तो इस प्रक्रिया को अंतरिक्ष डॉकिंग कहते हैं। यह तकनीक अंतरिक्ष में अंतरिक्ष केन्द्र तक आपूर्ति भेजने और उसमें गये लोगों के लिए अहम है। भारत ऐसा चौथा देश बना है जिसने ये सफलता हासिल की है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पौधे उगाने और उन्हें जीवित रखने के प्रयास भी कर रहे हैं। इसके लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने लोबिया के बीज को चुना। 30 दिसंबर को भेजे गए ये बीज अंतरिक्ष में ही अंकुरित हुए। ये एक बेहद प्रेरणादायक प्रयोग है जो भविष्य में अंतरिक्ष में सब्जियां उगाने का रास्ता खोलेगा। ये दिखाता है कि हमारे वैज्ञानिक कितनी दूर की सोच के साथ काम कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि ये सभी उपलब्धियां इस बात का प्रमाण है कि भारत के वैज्ञानिक और नवाचारी भविष्य की चुनौतियों का समाधान देने के लिए कितने दूरदृष्टा हैं। उन्होंने भारत के वैज्ञानिकों, नवाचारियों और युवा उद्यमियों को पूरे देश की ओर से शुभकामनाएँ देते हुये कहा ‘हमारा देश आज अंतरिक्ष तकनीक में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।’
छोटे शहरों में स्टार्टअप में आधे से अधिक का नेतृत्व कर रही है बेटियां: मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि नगालैंड जैसे राज्य में पिछले साल स्टार्टअप के पंजीयन में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है और छोटे शहरों में स्टार्टअप में से आधे से ज्यादा का नेतृत्व बेटियां कर रही हैं।श्री मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि कुछ दिन पहले ही स्टार्टअप इंडिया के नौ साल पूरे हुए हैं। जितने स्टार्टअप नौ साल में बने हैं उनमें से आधे से ज्यादा टियर 2 और टियर 3 शहरों से हैं। इसका मतलब है कि हमारा स्टार्टअप संस्कृति बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है। अंबाला, हिसार, कांगड़ा, चेंगलपट्टु, बिलासपुर, ग्वालियर और वाशिम जैसे शहर स्टार्टअप के केन्द्र बन रहे हैं।
अवशिष्ट प्रबंधन, गैर नवीनीकरण ऊर्जा, बॉयोटेक्नोलॉजी और लॉजिस्टिक ऐसे क्षेत्र हैं जिनसे जुड़े स्टार्टअप सबसे ज्यादा देखे जा रहे हैं। ये परंपरागत क्षेत्र नहीं हैं लेकिन हमारे युवा-साथी भी तो परंपरा से आगे की सोच रखते हैं इसलिए उन्हें सफलता भी मिल रही है।उन्होंने कहा कि 10 साल पहले जब कोई स्टार्टअप के क्षेत्र में जाने की बात करता था तो उसे तरह-तरह के ताने सुनने को मिलते थे। कोई ये पूछता था कि आखिर स्टार्टअप होता क्या है। तो कोई कहता था कि इससे कुछ होने वाला नहीं है। लेकिन अब देखिए एक दशक में कितना बड़ा बदलाव आ गया। आप भी भारत में बन रहे नए अवसरों का भरपूर लाभ उठाएं। अगर आप खुद पर विश्वास रखेंगे तो आपके सपनों को भी नई उड़ान मिलेगी।
महाकुंभ समरसता का प्रतीक: मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाकुंभ को समरसता का प्रतीक करार देते हुए रविवार को कहा कि यह विविधता में एकता का उत्सव मनाता है।श्री मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 118वीं कड़ी में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रयागराज में महाकुंभ का श्रीगणेश हो चुका है। यह चिरस्मरणीय जन-सैलाब, अकल्पनीय दृश्य और समता-समरसता का असाधारण संगम है। इस बार कुंभ में कई दिव्य योग भी बन रहे हैं। कुंभ का ये उत्सव विविधता में एकता का उत्सव मनाता है। संगम की रेती पर पूरे भारत समेत पूरे विश्व के लोग जुटते हैं। उन्होंने कहा, “हजारों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में कहीं भी कोई भेदभाव नहीं, जातिवाद नहीं।
“उन्होंने कहा, “महाकुंभ में भारत के दक्षिण, पूर्व और पश्चिम से लोग आते हैं। कुंभ में गरीब-अमीर सब एक हो जाते हैं। सब लोग संगम में डुबकी लगाते हैं, एक साथ भंडारों में भोजन करते हैं, प्रसाद लेते हैं – तभी तो ‘कुंभ’ एकता का महाकुंभ है।”प्रधानमंत्री ने कहा कि कुंभ का आयोजन इसका संकेत है कि हमारी परम्पराएं पूरे भारत को एक सूत्र में बांधती हैं। उत्तर से दक्षिण तक मान्यताओं को मानने के तरीके एक जैसे ही हैं। एक तरफ प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है वैसे ही,दक्षिण भू-भाग में गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और कावेरी नदी के तटों पर पुष्करम होते हैं। ये दोनों ही पर्व हमारी पवित्र नदियों से, उनकी मान्यताओं से जुड़े हुए हैं। इसी तरह कुंभकोणम से तिरुक्कड-यूर, कूड़-वासल से तिरुचेरई अनेक ऐसे मंदिर हैं जिनकी परम्पराएं कुंभ से जुड़ी हुई हैं।
श्री मोदी ने कहा कि कुंभ में युवाओं की भागीदारी बहुत व्यापक रूप में नजर आती है और जब युवा-पीढ़ी अपनी सभ्यता के साथ, गर्व के साथ जुड़ जाती है तो उसकी जड़ें और मजबूत होती हैं। इससे उसका स्वर्णिम भविष्य भी सुनिश्चित हो जाता है। उन्होंने कहा कि हम इस बार कुंभ के डिजिटल का प्रयोग भी बड़े पैमाने पर कर रहे है। कुंभ की ये वैश्विक लोकप्रियता हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।श्री मोदी ने पश्चिम बंगाल में गंगासागर पर मकर संक्रांति मेले का उल्लेख करते हुए कहा कि संक्रांति के पावन अवसर पर इस मेले में पूरी दुनिया से आए लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है। उन्होंने कहा, “कुंभ’, ‘पुष्करम’ और ‘गंगा सागर मेला’ हमारे ये पर्व, हमारे सामाजिक मेल-जोल को, सद्भाव को, एकता को बढ़ाने वाले पर्व हैं। ये पर्व भारत के लोगों को भारत की परंपराओं से जोड़ते हैं और जैसे हमारे शास्त्रों ने संसार में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, चारों पर बल दिया है। वैसे ही हमारे पर्वों और परम्पराएं भी आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक हर पक्ष को भी सशक्त करते हैं।
“प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महीने हमने ‘पौष शुक्ल द्वादशी’ के दिन रामलला के प्राण प्रतिष्ठा पर्व की पहली वर्षगांठ मनाई है। इस साल ‘पौष शुक्ल द्वादशी’ 11 जनवरी को पड़ी थी। इस दिन लाखों राम भक्तों ने अयोध्या में रामलला के साक्षात दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया। प्राण प्रतिष्ठा की ये द्वादशी भारत की सांस्कृतिक चेतना की पुनः प्रतिष्ठा की द्वादशी है। इसलिए पौष शुक्ल द्वादशी का ये दिन एक तरह से प्रतिष्ठा द्वादशी का दिन भी बन गया है। हमें विकास के रास्ते पर चलते हुए ऐसे ही अपनी विरासत को भी सहेजना है, उनसे प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है।(वार्ता)
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