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योगी सरकार दे रही है बिजली पर ग्यारह हजार करोड़ रुपए से अधिक की सब्सिडी

गरीब, गांव, किसान का हमेशा ख्याल रखा है यूपी सरकार ने: गरीबों और किसानों को प्रति यूनिट छूट

मुफ्तखोरी की ओछी राजनीति केजरीवाल प्राइवेट लिमिटेड की असलियत:

यूपी चुनाव से पहले “आप” की मुफ्त बिजली के वादे पर कृषि मंत्री ने कसा तंज

लखनऊ, 16 सितंबर: हर घरेलू बिजली उपभोक्ता को मुफ्त बिजली देने का वादा कर यूपी विधानसभा चुनाव जोर-आजमाइश कर रही आम आदमी पार्टी को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने आड़े हाथों लिया है। गुरुवार को जारी प्रेस बयान में शाही ने कहा कि ‘केजरीवाल प्राइवेट लिमिटेड’ को यह तो मालूम ही है कि गरीबों, गांव में रहने वालों और किसानों का योगी सरकार ने कितना ध्यान रखा है।

योगी सरकार बिजली का मीटर रखने वाले ग्रामीण उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 2.80 रुपए के और बगैर मीटर वालों को 4.07 रुपए की छूट शुरू से ही दे रही है। इसके अलावा एक किलोवाट लोड तक और 100 यूनिट की खपत तक के शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं को भी चार रुपए से अधिक प्रति यूनिट छूट मिलती है। यही नहीं गांव में मीटर और बिना मीटर वाले कृषि उपभोक्ताओं को तो छूट क्रमशः पांच रुपए और 6.32 रूपए है। इस तरह सरकार ग्यारह हजार करोड़ की सब्सिडी तो सिर्फ गरीब और किसानों के लिए देती है।

कृषि मंत्री ने तंज किया कि केजरीवाल के पास यूपी की जनता के लिए विकास का कोई मॉडल नहीं है। दिल्ली में अब तक यह पार्टी ने कोई ऐसा काम नहीं कर सकी जिसे वह अपना बता सके। ऐसे में “मुफ्तखोरी के लालच” को उसने चुनावी हथियार बनाया है।

उन्होंने कहा कि यूपी की योगी सरकार ने जिला मुख्यालयों पर 24 घंटे, तहसील मुख्यालयों पर 20 घंटे और गांवों में 18 घंटे बिजली देने का वादा किया था और उसे पूरा किया। यही नहीं, साढ़े चार साल में यूपी के हर कोने को बिजली से रोशन कर दिया गया है। सौभाग्य योजना से 01 करोड़ 40 लाख घरों में बिजली आई है। चार साल पहले तक यूपी में बिजली आना अखबारों की सुर्खियां बनती थीं, आज अगर कभी बिजली कट जाए तो लोग हैरान होते हैं। यह होता है विकास, लेकिन ऐसे विकास के लिए जिस विजन की जरूरत होती है, वह न अरविंद केजरीवाल के पास है न मनीष सिसौदिया के पास। ऐसे में ले देकर मुफ्त बिजली देने का लालच ही उनके पास बचा है। सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि लोकतंत्र में इस तरह की बेतुकी एवं घोषणाएं राजनीति को दूषित करते हैं, जो न केवल घातक है बल्कि एक बड़ी विसंगति भी है।

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