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कहि न जाइ कछु नगर बिभूती

कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी।।

पावन श्रीअयोध्याधाम में जारी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के भव्य एवं दिव्य मंदिर निर्माण के क्रम में आज मंदिर के गर्भगृह में पहली शिला रखते हुए गोस्वामी तुलसीदासजी की ये पंक्तियां बरबस ही मनस पटल पर अंकित हो गईं। प्रभु श्रीराम के मंदिर की ही भांति समूची अवधपुरी त्रेतायुग सी ही भव्य और दिव्य हो, श्रीअयोध्याधाम को सजाने-संवारने के विविध कार्य इसी संकल्प के साथ हो रहे हैं। यह धाम आधुनिकता के आलोक में सनातन परंपरा को अहर्निश प्रतिष्ठित करे, विश्व के सर्वाधिक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित हो, इसी दृश्य निश्चय के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं।

जन-जन के राम की अयोध्या के साथ सदियों तक बहुत अन्याय हुआ। यह तो वह धाम है जो जो जन्म और जीवन दोनों का उद्धार करता है। षडयंत्र और कुछ लोगों की कुत्सित सोच के कारण इस धाम ने वर्षों तक अपमान का दंश झेला है। पर, अब हमारी आस्था पर चोट की यह कड़वी बातें अतीत का हिस्सा हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यशस्वी मार्गदर्शन में अयोध्या का पुरातन गौरव नवीनतम स्वरूप में प्रतिष्ठित हो रहा है। विश्व मानचित्र पर अयोध्या एक बार फिर यह वैदिक नगर के रूप में विश्व गौरवभूषित हो रही है।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और तदुपरांत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से प्रभु श्रीराम के भव्यतम और दिव्यतम मंदिर के निर्माण का शिलान्यास होने के साथ ही अयोध्या की प्रगति की लेखनी दृढ़ संकल्प की स्वर्णिम स्याही से अभिभूत होकर भविष्य का कालजयी इतिहास रचने लगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा है कि हमें श्रीअयोध्याधाम को इस स्वरूप में विकसित करना है कि आने वाली पीढ़ी अपने जीवन में कम से कम एक बार अयोध्या जाने की इच्छा अवश्य व्यक्त करे। यह भावाभिव्यक्ति अवश्यम्भावी भी है।

कारण, अयोध्या एक ऐसा महानगर है जो हर भारतीय, हर सनातनी की सांस्कृतिक चेतना में अंकित है। यह आध्यात्मिक और उदात्त महानगर है। इसी दृष्टिगत कल्पनाओं से परे श्री अयोध्या धाम का विकास हो रहा है। देश-दुनिया के सनातन संस्कृति प्रेमी अपने अराध्य प्रभु की जन्मभूमि पर आकर आह्लादित हो सकें, इसके लिए यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे निर्माण प्रगति पर है। न सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अपितु आधुनिक महानगर के समन्वित मॉडल के रूप में नव्य अयोध्या के पास और भी बहुत कुछ होगा।

अयोध्या की विकास परियोजनाओं के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार ने खजाना खोल रखा है। करीब बीस हजार करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं धाम की आभा को स्वर्णिम बनाने की दिशा में गतिमान हैं। इन परियोजनाओं के अंतर्गत क्रूज पर्यटन, राम की पैड़ी, रामायण आध्यात्मिक वन, सरयू नदी आइकॉनिक ब्रिज, प्रतिष्ठित संरचना का विकास, पर्यटन सर्किट का विकास, 84 कोसी परिक्रमा के भीतर 208 विरासत परिसरों का जीर्णोद्धार, सरयू उत्तर किनारे का विकास आदि के कार्य भी हो रहे हैं। समग्र विकास की अनिवार्य शर्त है ढांचागत सुविधाओं का विकास। इस परिप्रेक्ष्य में धाम के विकास में अयोध्या आने वाली रेलवे लाइन के दोहरीकरण के साथ भविष्य की जरूरतों के अनुसार रेलवे स्टेशन का सुंदरीकरण और विस्तारीकरण के साथ ही अयोध्या से सुल्तानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 330 से एयरपोर्ट तक  चार लेन की सड़क का निर्माण मील का पत्थर साबित होगा।

सैकड़ों करोड़ रुपये से रायबरेली से अयोध्या तक चार लेन की सड़क के चौड़ीकरण का कार्य भी हो रहा है। पतित पावनी सरयू की अविरलता और निर्मलता बरकरार रखने के लिए वहां आधुनिकतम सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं। आने वाले समय में घाट से लेकर सड़क और रेलवे स्टेशन तक का स्वरूप बदल जाएगा। एयरपोर्ट के साथ इसे जोड़ने वाली फोरलेन की सड़कें अलग से होंगी। वन गमन पथ पर तब श्रीराम को कष्ट सहना पड़ा था, पर  आज ‘राम वन गमन पथ’ को संवारने का काम किया जा रहा है। अयोध्या से चित्रकूट तक की दूरी साढ़े तीन घण्टे में ही तय होगी। पूज्य संतों के निर्देशन में अयोध्या को विश्व स्तर पर चमकाने की ब्रान्डिंग हो रही है।

भजन संध्या स्थल, क्वीन हो मेमोरियल पार्क, रामकथा पार्क के विस्तारीकरण, रामकथा गैलरी, आधुनिक बस स्टैंड, मल्टी लेवल पार्किंग, राम की पैड़ी का सुंदरीकरण, सड़क और फुटपाथों के नवीनीकरण, हनुमानगढ़ी-कनक भवन मार्ग के नवीनीकरण, लक्ष्मण किला घाट के विकास, गुफ्तार घाट के सुंदरीकरण, अंतरराष्ट्रीय रामलीला केंद्र, सांस्कृतिक आडीटोरियम, दशरथ महल, सत्संग भवन, यात्री सहायता केंद्र आदि परियोजनाओं से इस धाम की सुंदरता में चार चांद लग रहे हैं। इसके साथ ही अयोध्या को आधुनिक स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किया जा रहा है। यहां चार लाख रोजगार और आठ लाख अप्रत्यक्ष नौकरियां देने का सकारात्मक प्रयास किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में अयोध्या वैश्विक पर्यटन के नक्शे पर सुदृढ़ता से स्थापित हो रही है। और, इसका सूत्रपात प्रभु श्रीराम की धरा पर दिव्य और भव्य दीपोत्सव से हुआ। आज अयोध्या का दीपोत्सव प्रति वर्ष नए विश्व कीर्तिमान गढ़ रहा है। देश-दुनिया में इस आयोजन ने भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक सम्पन्नता को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित किया है। इसके साथ ही फिजी, थाईलैंड, जापान, नेपाल को अयोध्या से जोड़कर अयोध्या को वैश्विक पटल पर लाने की कोशिश हो रही।

हमारा सामूहिक प्रयास है कि हम सभी अपनी विश्व प्रतिष्ठित सांस्कृतिक चेतना को जीवंत रखें। लोक कल्याण की प्रेरणा देने वाली अपनी परंपराओं और अपनी अक्षुण्ण पहचान का उत्सव मनाएं। प्रभु श्रीराम के जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के गर्भगृह की पहली शिला रखते हुए उत्सवी उल्लास हृदय में उमंगित है।

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