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सपा का मजबूत किला, क्या दरकने लगा है ?

रोज नई चुनौतियों में घिरते अखिलेश !

लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति में रोज नई चुनौतियों से जूझ रहे हैं. उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव हारने के बाद अखिलेश के सामने रोज नई नई चुनौतियां खड़ी हो रही हैं. विधान परिषद की 36 सीटों के लिए हो रहे चुनावों में सपा को हर सीट पर संघर्ष करना पड़ रहा है. वही दूसरी तरफ अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव जो प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया हैं सपा मुखिया के व्यवहार से खासे नाखुश हैं और सपा से नाता तोड़ने की सोच रहे हैं. इसके अलावा सपा के दो प्रमुख मुस्लिम चेहरे शफीकुर्रहमान बर्क और आजम खान कैंप से भी विरोध के सुर सुनाई देने लगे हैं. कुल मिलाकर सपा में इन दिनों सब ठीक नहीं चल रहा है. अब सबकी नजरें अखिलेश यादव पर हैं. पार्टी से जुड़े लोग यह जानना चाहते कि अखिलेश यादव अब शिवपाल, शफीकुर्रहमान बर्क और आजम खान कैंप से मिल रही चुनौतियों से कैसे निपटेंगे ?

यूपी के राजनीतिक इतिहास को देखे तो सपा का सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा आजम खान और शफीकुर्रहमान बर्क माने जाते हैं. आजम खान पिछले काफी समय से जेल में हैं. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल और आजम खान ने मिलकर ही समाजवादी पार्टी का गठन किया था. शिवपाल और आजम हमेशा ही पार्टी के मजबूत पिलर की तरह खड़े रहे हैं. आजम खान पिछले काफी समय से जेल में हैं. उनकी सपा से नाराजगी की खबरें भी समय समय पर आती रहीं हैं ।

लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव आए तो आजम खान अखिलेश यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नजर आए. उन्होंने सांसद रहते हुए जेल से ही आजम ने रामपुर से चुनाव लड़ा और जीते, यही नहीं बेटे अब्दुल्ला आजम की भी स्वार सीट से जीत हुई. लेकिन चुनाव में सपा को भाजपा के हाथों हार झेलनी पड़ी. इस चुनावी हार के बाद ही चीजें बदलती दिख रही हैं क्योंकि अखिलेश यादव पार्टी के सीनियर नेताओं से दूरी बनाए हुए हैं ।

अखिलेश के इस व्यवहार के चलते ही पार्टी के सीनियर अपने को अलग थलग महसूस कर रहे हैं. जिसके चलते पहले शिवपाल सिंह यादव नबे पानी नाराजगी का खुलासा किया, इसके बाद संभल से सपा के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने पिछले दिनों साफ कह दिया कि पूरी सपा मुसलमानों के लिए काम नहीं कर रही है. हम उनके काम से संतुष्ट नहीं हैं. अभी यह मामला सुलझा नहीं था कि आजम खेमे से अखिलेश पर हमला हुआ. रामपुर में आजम खान के करीबी माने जाने वाले और मीडिया प्रभारी फसाहत अली शानू ने सीधे अखिलेश यादव पर निशाना साध लिया. शानू ने आजम खान को नेता प्रतिपक्ष ना बनाए जाने पर सवाल खड़ा किया है ।

शानू का कहना है कि अखिलेश के बयान की वजह से ही आजम खान ने जेल में कोरोना का टीका नहीं लगाया, जिसके चलते वह मौत के मुंह में जाते-जाते बचे. इसके बाद भी आप इतना बड़ा दिल नहीं कर सके कि आजम खान को नेता प्रतिपक्ष बना देते। जबकि हमारे वोटों से ही 111 सीटें आई हैं. शानू के इस बयान को कहीं न कहीं आजम खान की ही सोच माना जा रहा है. सपा मुखिया अखिलेश यादव के प्रति शिवपाल सिंह यादव और शफीकुर्रहमान बर्क तथा आजम खान कैंप की ऐसी नाराजगी के सामने आने के बाद अब सबकी नजरें सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर टिकी हुई हैं ।

अखिलेश इस मुद्दे पर क्या कदम बढ़ाते हैं? देखना होगा. इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक अधिकतर जिलों में सपा के ही पक्ष में गया. बसपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी महज एक विधानसभा सीट पर सिमट गई. खुद मायावती ने इस बात को स्वीकारा था. ऐसे में अब अखिलेश यादव के लिए वोट बैंक को संभाले रखना बड़ी चुनौती है. वह पार्टी के सीनियर नेताओं को कैसे मनाएंगे? यह देखना होगा ।

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