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हम तकनीकी क्रांति के शिखर पर हैं : उपराष्ट्रपति

औद्योगिक क्रांति के बाद से आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस सबसे महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलावों में से एक; दुनिया इस समय बड़े बदलाव के करीब है : उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी नई उभरती प्रौद्योगिकियों की बदलाव की क्षमता पर जोर दिया और कहा कि दुनिया तकनीकी क्रांति के मुहाने पर खड़ी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एआई हमारे रहने, काम करने और बातचीत करने के तरीके को बुनियादी रूप से बदल देगा और यह एक अवसर के साथ-साथ एक चुनौती भी है। श्री धनखड़ ने औद्योगिक क्रांति के बाद से एआई के उद्भव को सबसे महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलावों में से एक बताया।

आईआईटी, बॉम्बे में छात्रों के साथ बातचीत करते हुए, उपराष्ट्रपति ने उनसे अनुसंधान और नवाचार के लिए आगे बढ़ने का आह्वान किया और साथ ही, उनसे ऐसे सामाजिक उद्देश्यों के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का आग्रह किया जो देश के लोगों और समग्र मानवता के लिए जीवन को आसान बना सके।उन्होंने आईआईटी जैसे प्रमुख संस्थानों से उद्योग और सरकार के साथ तालमेल बिठाने का भी आग्रह किया ताकि प्रौद्योगिकी को सभी के लिए सुलभ और सार्वभौमिक बनाया जा सके।

महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता के महत्व को स्वीकार करते हुए, उपराष्ट्रपति ने स्वच्छ भारत मिशन, उज्ज्वला योजना और हर घर जल योजना जैसी सरकारी पहलों की सराहना की, जिन्होंने हजारों महिलाओं को सम्मान प्रदान किया है, साथ ही, उन्हें कठिन परिश्रम से मुक्ति दिलाई है और उनके जीवन को बहुत आसान बना दिया है। उन्होंने हाल ही में संसद में महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम बताया, जिससे दूरगामी सामाजिक परिवर्तन नजर आएंगे।

युद्ध की बदलती प्रकृति और रणनीतिक क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के प्रवेश पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि “सबसे अच्छा बचाव यही है कि आप बड़े से बड़ा हमला करने में सक्षम हैं।”उपराष्ट्रपति ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि ज्ञान सर्वोच्च शक्ति है जिसमें अकेले ही दुनिया में किसी भी व्यक्ति, संगठन और राष्ट्र के स्थान को परिभाषित करने की क्षमता है। उन्होंने छात्रों से क्वांटम कंप्यूटिंग, आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस, 6जी, क्रिप्टोग्राफी, साइबर सुरक्षा और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान में संलग्न होने का भी आह्वान किया।

जनसांख्यिकीय लाभांश और युवाओं की भूमिका पर विचार करते हुए, उपराष्ट्रपति ने उन्हें शासन में सबसे बड़ा हितधारक बताया। उन्होंने भारत के भविष्य के निर्माण में युवाओं की क्षमता पर भरोसा जताया और उन्हें विकास का अग्रणी इंजन बताया।श्री धनखड़ ने उनसे भारत के गौरवान्वित नागरिक बनने, हमारे देश की ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करने और हमारे सदियों पुराने लोकाचार और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने का आग्रह किया।

मूल्यवर्धन के बिना हमारे देश के कच्चे माल को दूसरे देशों में ले जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम सभी को आर्थिक राष्ट्रवाद की गहरी भावना विकसित करनी चाहिए। मूल्यवर्धन के बिना हमारे तटों से निकलने वाला कच्चा माल हमारे युवाओं को रोजगार और उद्यमशीलता के अवसर से वंचित करता है।उपराष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार को लोकतंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए कहा कि यह आम आदमी के विकास को बाधित करता है और लोगों में निराशा भर देता है।

छात्रों को संबोधित करते हुए, श्री धनखड़ ने आईआईटी जैसे प्रमुख संस्थानों, उद्योग और सरकार के बीच तालमेल बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया, ताकि तकनीकी विकास एक उत्प्रेरक एजेंट के रूप में कार्य कर सके और भारत का वैश्विक लीडर के रूप में उभरना सुनिश्चित हो सके।अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने आईआईटी बॉम्बे के समृद्ध पूर्व छात्रों और विभिन्न विषयों में किए गए उनके अपार योगदान को भी स्वीकार किया। साथ ही, उन्होंने सभी आईआईटी के पूर्व छात्रों के संगठनों को शामिल करते हुए एक निकाय बनाने की योजना का प्रस्ताव किया, जिससे उनके अनुभव, विशेषज्ञता और अनुभव का उपयोग नीति निर्माण और निष्पादन में किया जा सके।

इस अवसर पर महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस, आईआईटी बॉम्बे में उप निदेशक (एआईए) प्रो. एस. सुदर्शन, आईआईटी बॉम्बे में उप निदेशक (एफईए) प्रो. के. वी. के. राव, छात्र, संकाय सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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